लखनऊ से प्रकाशित होने वाले गांव कनेक्शन अखबार से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. इस अखबार ने अपना कामकाज समेटते हुए अपने यहां से बड़े पैमाने पर लोगों को निकाला है. पत्रकार, गीतकार और रेडियो पर कहानी सुनाकर लोकप्रिय हुए नीलेश मिश्रा ने छह साल पहले धूम-धड़ाके के साथ इस अखबार को शुरू किया था. तब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी. सपा सरकार के सहयोग से यह अखबार खूब फूला-फला.
नीलेश मिसरा ने अखबार को अपना फैमिली बिजनेस बना दिया. इस अखबार के प्रधान संपादक के रूप में उन्होंने अपने पिता शिव बालक मिश्रा (जिनका पत्रकारिता का कोई अनुभव नहीं था) को प्रधान संपादक बनाया. अपने चेचेर भाई मनीष मिश्रा को एसोसिएट एडीटर. रिश्तेदार अरविंद शुक्ला को डीएनई बनाया. इस अखबार के मैनेजमेंट का सर्वेसर्वा नीलेश मिसरा ने अपनी पत्नी यामिनी त्रिपाठी को बनाया.
सपा सरकार में इनका साम्राज्य फैला. कॉलेज से निकले नए लड़के-लड़कियों को बड़ा सा ख्वाब दिलाकर मामूली तन्खावहों ने नीलेश मिसरा ने गांव कनेक्शन में काम कराना शुरू किया. देश की कई सारी मल्टीनेशनल कंपनियों से भी इन्होंने ग्रामीण पत्रकारित के नाम पर फंड लिए. इसी बीच गांव फउंडेशन नाम से अपनी पत्नी यामिनी के नेतृत्व में एक एनजीओ भी खड़ा कर लिया. देखते ही देखते इनका गोमती नगर में करोड़ों का बंगला तैयार हो गया और गांव में खेती योग्य जमीने भी खरीद ली.
समय ने करवट बदला. एक साल पहले उत्तर प्रदेश से सपा सरकार की विदाई के बाद इनके बुरे दिन शुरू हो गए. एक महीने के अंदर इस इस अखबार से दर्जन भर से ज्यादा लोग निकाल दिए गए. अब गांव कनेक्शन डिजिटल को प्रमोट किया जा रहा है. बेरोजगार हुए लोग परेशान घूम रहे हैं.
‘गांव कनेक्शन’ से बेरोजगार हुए एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.