Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

महा कवि निराला की इस अदभुत अधनंगी तस्वीर के पीछे की कहानी क्या है?

पंकज चतुर्वेदी-

निराला एवं महादेवी वर्मा….

“यह तस्वीर इलाहाबाद में, कटरा चौराहे पर स्थित लक्ष्मी टॉकीज़ (अभी बंद है) की है। महाकवि निराला, पृथ्वीराज कपूर का नाटक देखने के लिए आमंत्रित किए गए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उनको बुलाने पृथ्वीराज कपूर स्वयं दारागंज गए थे। निराला ने सुतली से पृथ्वीराज कपूर की छाती नापी। छाती चौड़ी थी। निराला जी ख़ुश हो गए। बोले : ‘ज़रूर आऊँगा।’ उनको लेने बग्घी गई थी। उनके आने तक नाटक शुरू नहीं हुआ।”

~ सूर्य नारायण

Advertisement. Scroll to continue reading.

“आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री ने अपनी पुस्तक ‘नाट्य सम्राट’ में एक विशिष्ट चित्र दिया है। इसमें महाकवि निराला और पृथ्वीराज एक साथ खड़े दिख रहे हैं। लगभग हमक़द।

चित्र-परिचय में महाकवि को ‘साहित्य सम्राट’ और पृथ्वीराज को ‘नाट्य सम्राट’ से अभिहित किया गया है।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

~ श्याम बिहारी श्यामल


“मैंने एक संस्मरण ‘नवनीत’ में पढ़ा था कि इस नाटक के बाद निराला जी मंच पर आए और पृथ्वीराज कपूर का हाथ पकड़कर बोले : ‘इलाहाबाद में तीन नदियों का संगम है : गंगा, यमुना और सरस्वती, लेकिन सरस्वती विलुप्त है। ये पृथ्वीराज ही सरस्वती हैं।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

~ शंभुनाथ शुक्ल

{चित्र साभार : भारतेंदु मिश्र}

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement