तारा सहदेव से बातचीत करते आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर
आज हम, अमिताभ ठाकुर, आईजी सिविल डिफेन्स और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने तारा सहदेव से उसके निवास पर मुलाकात की.
इस वार्ता में तारा ने कई मार्मिक बातें कहीं जैसे-“कानून के पास इंसाफ मांगने जाते हैं तो कानून वाले उनके घर पर होते हैं”, “वह ज्यादा दर्दनाक था जिसमे मैं फंसी थी या वह जिससे मैं आज लड़ रही हूँ.” तारा ने कहा कि मुंबई, दिल्ली और कोलकाता के लिए नियमित रूप से भारी मात्र में पैसा जाता था, जिसमे विदेशी मुद्रा भी शामिल थी.
उसने रोते हुए कहा कि “हवालदार से ले कर ज्यूडिशियरी भी पूरी तरह इन्वौल्व है, कोई पूछ नहीं रहा है. उलटे मुझसे कहते हैं कि प्रूफ लाओ.” उसने कहा कि “डीआईजी धमकी देते हैं घर आ कर कि यहाँ से कहीं चली जाइए, आपको क्या लगता है आप बहुत पोपुलर हो गयी हैं. डीआईजी ने मेरे पापा को टार्चर किया, कहा कि आप बेटी को आगे लाकर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. डीआईजी ने कहा कि हो सकता है पुलिस डायरी कमजोर हो जाये, डीआईजी बहुत गुस्से में आ गए.”
तारा ने बताया कि ऐसा कैसे हुआ कि दिल्ली पुलिस को यह व्यक्ति तुरंत मिल गया और रांची पुलिस को वह कई दिन तक नहीं मिला. इन बातों को प्रस्तुत करते हुए हमने झारखण्ड के डीजीपी राजीव कुमार और मामले के विवेचक से मुलाकात की और उनके सामने विभिन्न मांग रखी.
हमने कहा कि अब इस पूरे मामले में न्यायिक व्यवस्था में कथित भ्रष्टाचार और इसमें बड़े-बड़े न्यायिक अधिकारी की भूमिका कही जा रही है, अतः इनमें से आपराधिक सन्दर्भों पर कार्यवाही की जाए. हमने वादिनी तारा को विवेचना की प्रगति से अनवरत अवगत कराते रहने की मांग की. वादिनी द्वारा जिस व्यक्ति पर प्रश्रय देने की शंका व्यक्त की जाती है उनसे पूछताछ शीघ्रता से की जाए. साथ ही न्यायालय के कागजों का मिलना, बेल दिए जाने की प्रक्रिया में कथित रूप से दलाली करना जैसी बातों पर भी विवेचना करने की मांग की. हमने इस विवेचना से डीआईजी को अलग करने की भी मांग की.
डॉ. नूतन ठाकुर
#094155-34525
भेजे गए पत्र—
सेवा में,
पुलिस इंस्पेक्टर/
विवेचनाधिकारी,
थाना,
जनपद- रांची।
विषय- सुश्री तारा सहदेव प्रकरण में निष्पक्ष विवेचना विषयकः
महोदय,
कृपया निवेदन है कि हम अमिताभ ठाकुर और डॉ. नूतन ठाकुर पेशे से क्रमशः यूपी कैडर के आईपीएस अफसर और अधिवक्ता हैं. साथ ही हम अपने व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक सहभागिता का कार्य भी करते हैं जिसमे लोक जीवन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर विशेष बल रहता है.
इसी सन्दर्भ में हमने रांची स्थित तारा सहदेव प्रकरण को भी संज्ञान में लिया क्योंकि समाचार पत्रों के माध्यम से यह तथ्य लगातार आ रहा था कि इस प्रकरण में कई मा. न्यायाधीश, मंत्रीगण, वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की बातें कही जा रही थी.
आज दिनांक 06/09/2014 को हम समय लगभग 11 बजे सुश्री तारा सहदेव के किशोरगंज चौक, हरमू बाईपास स्थित आवास पर गए थे जहां हमने सुश्री तारा और उनके भई द्वेद सहदेव से मुलाकात और वार्ता की.
इस वार्ता में अन्य बातों के अलावा सुश्री तारा ने कई मार्मिक बातें कहीं जैसे-“कानून के पास इंसाफ मांगने जाते हैं तो कानून वाले उनके घर पर होते हैं”, “मैं नहीं जानती थी कि सीजेएम, डीजे, मिनिस्टर, पुलिस के डीआईजी, डीएसपी जैसे लोग” उनके पास जाते हैं, सुश्री तारा ने यहाँ तक कहा- “वह ज्यादा दर्दनाक था जिसमे थी या वह जिससे मैं आज लड़ रही हूँ.”
सुश्री तारा ने कहा कि मुंबई, दिल्ली और कोलकाता नियमित रूप से पैसा जाता था और भारी मात्र में पैसा जाता था, कभी लैपटॉप बैग में और कभी और रूप में. उनका यह भी कहना है कि उसने अपने पूर्व पति के पास विदेशी मुद्रा भी देखी थी.
सुश्री तारा ने बताया कि उसके पति मंत्री को कहते थे कि लालबत्ती छोड़ कर आओ. उसने रोते हुए कहा कि “हवालदार से लेकर ज्यूडिशियरी पूरी तरह इन्वौल्व है, कोई पूछ नहीं रहा है. उलटे मुझसे कहते हैं कि प्रूफ लाओ.”
सुश्री तारा ने यह भय भी जताया कि “जिस तरह कानून इनके साथ है ये कुछ भी कर सकता है. मेरे पापा आम आदमी हैं. मेरे भाई को धमकी देते हैं.” उन्होंने कहा- “जब सिस्टम से लड़ने का प्रयास कर रही हूँ तो सारे सबूत मिटा दिए गए।”
एक बहुत ही गंभीर बात सुश्री तारा ने कहा कि “डीआईजी धमकी देते हैं घर आ कर कि यहाँ से कहीं चली जाएगी, आपको क्या लगता है आप बहुत पोपुलर हो गयी हैं. डीआईजी ने मेरे पापा को टार्चर किया, कहा कि आप बेटी को आगे लाकर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. डीआईजी ने कहा कि हो सकता है पुलिस डायरी कमजोर हो जाये, डीआईजी बहुत गुस्से में आ गए.”
सुश्री तारा ने कहा कि ऐसा कैसे हुआ कि दिल्ली पुलिस को जो व्यक्ति तुरंत मिल गया और रांची पुलिस को वह कई दिन तक नहीं मिला.
सुश्री तारा ने कहा कि विजीलेंस रजिस्ट्रार श्री मुश्ताक अहमद अच्छे से जानते थे कि उनके पूर्व पति मुस्लमान हैं, उन्हें मैंने पूर्व में भी अपने मारपीट के बारे में बताया पर उन्होंने “समझौता कर लो” कहा.
सुश्री तारा ने कहा कि वे कई सारी बातें पुलिस को बता रही हैं और कई तथ्य दे रही हैं पर पुलिस उन्हें जाने कहाँ रफा-दफा कर दे रही है. उन्होंने एक रोहित का नंबर दिया पर कुछ नहीं किया गया, एक लड़की जो किसी तरह अपनी जान बचा पायी थी, उसका नंबर दिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ.
हमने सुश्री तारा से जो बात की उसकी छायाप्रति हम जस का तस आपको प्रस्तुत कर रहे हैं. इन बयानों पर सुश्री तारा के भी हस्ताक्षर हैं जो उनके द्वारा हमें बताते समय हमने नोट किया था.
इन तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए हम सादर निम्न निवेदन कर रहे हैं –
1. यद्यपि प्रारंभ में इस मामले में पारिवारिक विवाद और महिला उत्पीड़न के ही तथ्य थे लेकिन अब इस पूरे मामले में न्यायिक व्यवस्था में कथित भ्रष्टाचार और इसमें बड़े-बड़े न्यायिक अधिकारी की भूमिका कही जा रही है, अतः इनमे से आपराधिक सन्दर्भों को अपने स्तर से कार्यवाही करने की कृपा करें.
2. इस मामले में यदि किसी भी वरिष्ठ पुलिस अथवा प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका सामने आती है तो उसे भी दिखवाए जाने और तदनुसार आपराधिक तथा/अथवा प्रशासनीय उत्तरदायित्व निर्धारित करने की कृपा करें.
3. प्रकरण में वादिनी सुश्री तारा को विवेचना की प्रगति से अनवरत अवगत कराते रखा जाये ताकि उसे अनवरत पुलिस विवेचना और व्यवस्था पर विश्वास बना रहे क्योंकि यह आपराधिक न्याय प्रणाली का आवश्यक अंग प्रतीत होता है.
4. इस प्रकरण में अब तक प्राप्त तथ्यों से सुश्री तारा को टार्चर किये जाने के मामले को मात्र 498ए आईपीसी का मामला नहीं प्रतीत होता है बल्कि इसमें जितने रसूखदार लोगों की कथित आपराधिक भूमिका और उनके पूर्व पति की अपने आधिकारिक रसूख के आधार पर मदद किये जाने की बात कही जा रही है, उसकी भी जांच आवश्यक दिखती है.
5. वादिनी द्वारा उनके पति द्वारा किये गए अत्याचार आदि में जिस-जिस व्यक्ति द्वारा उन्हें प्रश्रय देने की शंका व्यक्त की जाती है उनसे पूछताछ शीघ्रता से की जाए और उसमे अकारण कोई विलम्ब ना हो.
6. सुश्री तारा के व्यक्तिगत प्रकरण के अलावा अन्य जो कई गंभीर तथ्य, यथा न्यायालय के कागजों का उसके घर मिलना, बेल दिए जाने की प्रक्रिया में कथित रूप से रकीबुल द्वारा दलाल की भूमिका निभाया जाना, विदेशी मुद्रा और अन्य बेईमानी का पैसा जमा होना जैसे जो भी आरोप सुश्री तारा द्वारा बताये हां रहे हैं, उन पर भी त्वरित गति से और निष्पक्ष विवेचना कराया जाना आवश्यक प्रतीत होता है.
पत्र संख्या- AT/Tara/Inv
दिनांक- 06/09/2014
भवदीय,
(अमिताभ ठाकुर)
डॉ नूतन ठाकुर
5/426, विराम खंड
गोमतीनगर,
लखनऊ- 226010
उत्तर प्रदेश।
#094155-34526
[email protected]
#094155-34525
[email protected]
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
झारखण्ड,
रांची
विषय- सुश्री तारा सहदेव प्रकरण में निष्पक्ष विवेचना विषयक
महोदय,
कृपया निवेदन है कि हम अमिताभ ठाकुर और डॉ नूतन ठाकुर पेशे से क्रमशः यूपी कैडर के आईपीएस अफसर और अधिवक्ता हैं. साथ ही हम अपने व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक सहभागिता का कार्य भी करते हैं जिसमे लोक जीवन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर विशेष बल रहता है.
इसी सन्दर्भ में हमने रांची स्थित तारा सहदेव प्रकरण को भी संज्ञान में लिया क्योंकि समाचारपत्रों के माध्यम से यह तथ्य लगातार आ रहा था कि इस प्रकरण में कई मा. न्यायाधीश, मंत्रीगण, वरिष्ठ अधिकारी की संलिप्तता की बातें कही जा रही थी.
आज दिनांक 06/09/2014 को हम समय लगभग 11 बजे सुश्री तारा सहदेव के किशोरगंज चौक, हरमू बाईपास स्थित आवास पर गए थे जहां हमने सुश्री तारा और उनके भई द्वेद सहदेव से मुलाकात और वार्ता की.
इस वार्ता में अन्य बातों के अलावा सुश्री तारा ने कई मार्मिक बातें कहीं जैसे-“कानून के पास इंसाफ मांगने जाते हैं तो कानून वाले उनके घर पर होते हैं”, “मैं नहीं जानती थी कि सीजेएम, डीजे, मिनिस्टर, पुलिस के डीआईजी, डीएसपी जैसे लोग” उनके पास जाते हैं, सुश्री तारा ने यहाँ तक कहा- “वह ज्यादा दर्दनाक था जिसमे थी या वह जिससे मैं आज लड़ रही हूँ”.
सुश्री तारा ने कहा कि मुंबई, दिल्ली और कोलकाता नियमित रूप से पैसा जाता था और भारी मात्र में पैसा जाता था, कभी लैपटॉप बैग में और कभी और रूप में. उनका यह भी कहना है कि उसने अपने पूर्व पति के पास विदेशी मुद्रा भी देखी थी.
सुश्री तारा ने बताया कि उसके पति मंत्री को कहते थे कि लालबत्ती छोड़ कर आओ. उसने रोते हुए कहा कि “हवालदार से जुडीसीएरी पूरी तरह इन्वोल्व है, कोई पूछ नहीं रहा है. उलटे मुझसे कहते हैं कि प्रूफ लाओ.”
सुश्री तारा ने यह भय भी जताया कि “जिस तरह कानून इनके साथ है ये कुछ भी कर सकता है. मेरे पापा आम आदमी हैं. मेरे भाई को धमकी देते हैं.” उन्होंने कहा- “जब सिस्टम से लड़ने का प्रयास कर रही हूँ तो सारे सबूत मिटा दिए गए”
एक बहुत ही गंभीर बात सुश्री तारा ने कहा कि “डीआईजी धमकी देते हैं घर आ कर कि यहाँ से कहीं चली जाएगी, आपको क्या लगता है आप बहुत पोपुलर हो गयी हैं. डीआईजी ने मेरे पापा को टार्चर किया, कहा कि आप बेटी को आगे लाकर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. डीआईजी ने कहा कि हो सकता है पुलिस डायरी कमजोर हो जाये, डीआईजी बहुत गुस्से में आ गए.”
सुश्री तारा ने कहा कि ऐसा कैसे हुआ कि दिल्ली पुलिस को जो व्यक्ति तुरंत मिल गया और रांची पुलिस को वह कई दिन तक नहीं मिला.
सुश्री तारा ने कहा कि विजीलेंस रजिस्ट्रार श्री मुश्ताक अहमद अच्छे से जानते थे कि उनके पूर्व पति मुस्लमान हैं, उन्हें मैंने पूर्व में भी अपने मारपीट के बारे में बताया पर उन्होंने कहा कि समझौता कर लो.
सुश्री तारा ने कहा कि वे कई सारी बातें पुलिस को बता रही हैं और कई तथ्य दे रही हैं पर पुलिस उन्हें जाने कहाँ रफा-दफा कर दे रही है. उन्होंने एक रोहित का नंबर दिया पर कुछ नहीं किया गया, एक लड़की जो किसी तरह अपनी जान बचा पायी थी, उसका नंबर दिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ.
हमने सुश्री तारा से जो बात की उसकी छायाप्रति हम जस का तस आपको प्रस्तुत कर रहे हैं. इन बयानों पर सुश्री तारा के भी हस्ताक्षर हैं जो उनके द्वारा हमें बताते समय हमने नोट किया था.
इन तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए हम सादर निम्न निवेदन कर रहे हैं –
1. यद्यपि प्रारंभ में इस मामले में पारिवारिक विवाद और महिला उत्पीड़न के ही तथ्य थे लेकिन अब इस पूरे मामले में न्यायिक व्यवस्था में कथित भ्रष्टाचार और इसमें बड़े-बड़े न्यायिक अधिकारी की भूमिका कही जा रही है, अतः इनमे से आपराधिक सन्दर्भों को अपने स्तर से और यदि कोई प्रशासनिक अनियमितता के तथ्य सामने आते हैं तो उनसे मा० मुख्य न्यायाधीश, झारखण्ड उच्च न्यायालय को अवगत कराये जाने की कृपा करें.
2. इस मामले में यदि किसी भी वरिष्ठ पुलिस अथवा प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका सामने आती है तो उसे भी दिखवाए जाने और तदनुसार आपराधिक तथा/अथवा प्रशासनीय उत्तरदायित्व निर्धारित करने की कृपा करें.
3. प्रकरण में वादिनी सुश्री तारा को विवेचना की प्रगति से अनवरत अवगत कराते रखा जाये ताकि उसे अनवरत पुलिस विवेचना और व्यवस्था पर विश्वास बना रहे क्योंकि यह आपराधिक न्याय प्रणाली का आवश्यक अंग प्रतीत होता है.
4. इस प्रकरण में अब तक प्राप्त तथ्यों से सुश्री तारा को प्रताड़ित किये जाने के मामले को मात्र 498ए आईपीसी का मामला नहीं प्रतीत होता है बल्कि इसमें जितने रसूखदार लोगों की कथित आपराधिक भूमिका और उनके पूर्व पति की अपने आधिकारिक रसूख के आधार पर मदद किये जाने की बात कही जा रही है, उसकी भी जांच आवश्यक दिखती है.
5. चूँकि इस प्रकरण में यह तथ्य भी बार-बार कहा गया कि पुलिस की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई तथ्य नहीं कहे गए किन्तु इसके बाद भी विभिन्न पुलिस सूत्रों से लगातार गंभीर विस्फोटक तथ्य सामने आते रहे जो उचित नहीं प्रतीत होता है, अतः निवेदन है कि इस मामले में सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाये कि वे जो भी आवश्यक तथ्य समझते हैं उन्हें आधिकारिक रूप से नियमित रूप से प्रस्तुत करें और इससे इतर मीडिया द्वारा पुलिस सूत्रों से कथित रूप से प्राप्त बताये जा रहे समाचारों का आधिकारिक खंडन भी करें ताकि जनमानस में किसी प्रकार की भ्रान्ति ना उत्पन्न हो और व्यवस्था को ले कर अकारण भय, भ्रम और अविश्वास की जिस भावना ने जन्म ले लिया है, उसका समापन हो सके.
6. वादिनी द्वारा उनके पति द्वारा किये गए अत्याचार आदि में जिस-जिस व्यक्ति द्वारा उन्हें प्रश्रय देने की शंका व्यक्त की जाती है उनसे पूछताछ शीघ्रता से की जाए और उसमे अकारण कोई विलम्ब ना हो.
7. सुश्री तारा के व्यक्तिगत प्रकरण के अलावा अन्य जो कई गंभीर तथ्य, यथा न्यायालय के कागजों का उसके घर मिलना, बेल दिए जाने की प्रक्रिया में कथित रूप से रकीबुल द्वारा दलाल की भूमिका निभाया जाना, विदेशी मुद्रा और अन्य बेईमानी का पैसा जमा होना जैसे जो भी आरोप सुश्री तारा द्वारा बताये हां रहे हैं, उन पर भी त्वरित गति से और निष्पक्ष विवेचना कराया जाना आवश्यक प्रतीत होता है.
8. चूँकि सुश्री तारा ने स्थानीय पुलिस उपमहानिरीक्षक पर ही धमकाने और विवेचना गलत कर देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, अतः अब यह अनिवार्य हो गया है कि इसकी विवेचना से उक्त अधिकारी को अलग किया जाए और उनसे किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस विवेचना का पर्यवेक्षण कराया जाये जिसमे इन तथ्यों की भी जांच हो.
पत्रसंख्या- AT/Tara/Inv
दिनांक-06/09/2014
भवदीय,
(अमिताभ ठाकुर)
डॉ नूतन ठाकुर
5/426, विराम खंड
गोमतीनगर,
लखनऊ- 226010
उत्तर प्रदेश।
#094155-34526
[email protected]
#094155-34525
[email protected]