अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
नेटफ्लिक्स पर कुछ अच्छा देखना हो तो रजनीश यानी ओशो पर बनी वाइल्ड वाइल्ड कंट्री नाम से बनी डॉक्यूमेंट्री सीरीज जरूर देखें। इसे जब मैंने देखा था तो बहुत कुछ ऐसा मुझे पता चला , जिसके कारण ओशो और उनके दर्शन को सुनने समझने का मेरा नजरिया ही बदल गया।
करोड़ों लोगों को आध्यात्मिक शांति दिलाने के लिए बतौर धर्म गुरु, दुनियाभर में प्रसिद्ध ओशो को उस समय गुस्से में बदले की भावना से जलते और अपनी चहेती सेक्रेटरी शीला को अमेरिकी सरकार द्वारा सजा न दिए जाने पर अपने ही अनुयायियों द्वारा ‘ सजा’ दिलाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सरे आम टीवी चैनलों पर आह्वान करते देख कर मुझे सबसे ज्यादा हैरत हुई।
मेरा मानना है कि ओशो के अमेरिका से भगाए जाने और उससे पहले जेल जाने की उनकी आगामी जिंदगी के लिए संभवतः यही वह प्रेस कॉन्फ्रेंस जिम्मेदार थी, जिसे करके खुद ओशो ने ही अमेरिका की सरकार को एक सुनहरा मौका दे दिया था।
हॉलीवुड की कालजयी फिल्म गॉडफादर के धनकुबेर निर्माता की पत्नी हास्या के लगातार ओशो के करीब आने के बाद अपनी घटती ताकत और बढ़ती उपेक्षा से घबरा कर शीला अचानक अपने साथ आश्रम के कुछ और लोगों को लेकर जर्मनी फरार हो गई। इधर शीला फरार हुईं, उधर हास्या को ही शीला की जगह ओशो की पर्सनल सेक्रेटरी बना दिया गया। लेकिन शीला के इस तरह रातों रात भाग जाने से आश्रम के साथ साथ ओशो की भी जबरदस्त बदनामी हुई।
जाहिर है, यह ऐसा झटका था, जिससे ओशो तिलमिला उठे।
अमेरिका के ओरेगन में बने उनके आश्रम में शीला ने उनकी सेक्रेटरी रहते हुए ओशो का प्रभाव अमेरिका में बढ़ाने और अपना कद आश्रम में बढ़ाने के लिए जो जो गोरखधंधे किए थे, उनको दुश्मनी की भावना से सरे आम उजागर करके ओशो ने खुद ही अमेरिकी सरकार को जांच करने के लिए न्योता दिया।
अमेरिकी सरकार तो बरसों से ओशो को अपने देश से निकालने के लिए किसी मौके की तलाश में थी ही। इसके लिए उसके तमाम विभाग बरसों से कोशिशें कर भी रहे थे। वहां का मीडिया और स्थानीय लोग भी कई बरस से ओशो के खिलाफ मुहिम छेड़कर उन्हें शैतानी धार्मिक समूह बता रहे थे। क्योंकि ओशो अपने उन्मुक्त सेक्स से भरे दर्शन से न सिर्फ अमेरिका में ईसाई धार्मिक – सामजिक नैतिकता को लगातार ध्वस्त कर रहे थे बल्कि वह शीला के जरिए राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को भी हथियाने में जुटे हुए थे।
इसके बावजूद अगर वहां की सरकार ओशो का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी तो वह इसलिए क्योंकि ओशो वहां के धनकुबेरों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। इसके अलावा, एक और अहम कारण यह भी था कि संभवतः ओशो की सहमति से ही सारे गैर कानूनी काम करने के बावजूद शीला ने कोई सबूत ऐसा नहीं छोड़ा था, जो ओशो या आश्रम को किसी भी वारदात में फंसा सके।
लेकिन ओशो ने जैसे ही शीला को ठिकाने लगाने के लिए लगाए गए आरोपों की जांच का मौका अमेरिका को दिया, वहां की सरकार ने आश्रम में घुसकर एक के बाद एक सबूत हासिल करके न सिर्फ उनकी सेक्रेटरी शीला को अमेरिका की जेल में जीवन भर सड़ा दिया बल्कि ओशो को भी कुछ समय के लिए वहीं की जेल में पहुंचा दिया।
ओशो को वहां की अदालत ने जेल से छोड़ने के लिए एक ही शर्त रखी कि वह तत्काल अमेरिका छोड़कर चले जाएं। ओशो इसके बाद भारत आए, जहां वह बहुत जल्दी व बेहद कम उम्र में ही चल बसे।
उनकी मौत को लेकर भी तमाम अटकलें लगाई जाती हैं और कहा जाता है कि अमेरिकी सरकार ने उन्हें जहर देकर बीमार कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि ओशो को उनके ही उन ताकतवर अनुयायियों ने जहर देकर मार दिया, जो ओशो की अकूत धन दौलत के साम्राज्य को हथियाना चाहते थे। ओशो के निधन के बाद जाली वसीयत की जांच की खबरें भी आती रहीं।
बहरहाल, ओशो का निधन कैसे हुआ, यह जान पाना तो आसान नहीं है मगर ओशो का दुनियाभर में चमकता सूरज अगर अमेरिका से निकाले जाने पर मद्धम होते दिख रहा था तो उसकी वजह कोई और नहीं, खुद ओशो ही थे। यदि वह बदले की भावना में फंसकर और चिढ़वश शीला को तबाह करने की एक आम इंसान जैसी चाहत न रखते तो अमेरिकी सरकार कभी उनके आश्रम में घुसकर उनके खिलाफ सबूत न जुटा पाती।
इस सीरीज में कुल छह एपिसोड हैं और हर एपिसोड एक के बाद एक नई नई और ऐसी जानकारी हमें देता है, जिससे पता चलता है कि मुंबई के एक छोटे से फ्लैट में तब महज चंद लोगों के धर्म गुरु कहे जाने वाले आचार्य रजनीश अपनी कम उम्र में जिस दिन शीला से मिले…. उसी दिन से वह भगवान रजनीश और फिर ओशो बनने के सफर पर तो चल पड़े लेकिन शीला को मां आनंद शीला बनाकर उन्होंने अमेरिका में जेल जाने और वहां से निकाले जाने की अपनी तकदीर भी लिख दी थी….
दिलचस्प बात यह है कि शीला ही ओशो को भारत से अमेरिका लेकर गई थीं… वहां के आश्रम की जमीन का इंतजाम और चयन व आश्रम का निर्माण भी उन्हीं की देखरेख में हुआ था। वह आश्रम के लिए धन का इंतजाम करने के साथ आश्रम चलाने और रजनीश का प्रभाव बढ़ाने तक का हर जिम्मा लिए हुए थीं।
कुल मिलाकर अगर एक लाइन में यह सार कहा जाए कि ओशो के उत्थान और पतन के पीछे उनके दर्शन और ज्ञान के साथ- साथ एक महिला यानी शीला ही थीं तो यह कहीं से अतिशयोक्ति नहीं है… एक पुरानी कहावत है कि हर सफल पुरुष की सफलता के पीछे कोई न कोई महिला ही होती है… ओशो के मामले में इस कहावत को यूं कहना पड़ेगा कि हर पुरुष की सफलता “और असफलता” के पीछे कोई न कोई महिला ही होती है….