छः महीने पहले हुए पत्रकार के साथ मारपीट की घटना की जांच में ढिलाई बरत रही है सिवाना पुलिस
सिवाना (बाड़मेर, राजस्थान) : राजस्थान सरकार जहां एक तरफ पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी तरफ खबरों से बौखलाए बाड़मेर जिले के सिवाना कस्बे के ग्राम विकास अधिकारी नरपत सिंह देवड़ा ने अपने गुनाहों को छुपाने के लिए युवा पत्रकार अजरूद्दीन पर फर्जी मुकदमा लिखवा दिया। अजरूद्दीन द्वारा दुकान नीलामी की खबर लिखने पर ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत कर्मचारियों ने पत्रकार पर मारपीट करने का बेबुनियाद आरोप लगाया फिर पुलिस पर दबाव बनाकर मुकदमा लिखवा दिया!
ग्राम विकास अधिकारी को मिलने वाले राजनीतिक सपोर्ट से पुलिस ने तहरीर मिलते ही आईपीसी की धाराओं 341, 323, 332, 353, 354, 384, 379 में तत्काल मुकदमा दर्ज कर लिया। शासनादेश और न्यायालय के आदेशानुसार पत्रकार के खिलाफ तहरीर मिलने पर पुलिस को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाने के साथ साथ आरोप की सत्यता की जांच होनी चाहिए और आरोप साबित होने के बाद मुकदमा होना चाहिए था।
ज्ञात हो कि सिवाना ग्राम विकास अधिकारी नरपतसिंह देवड़ा बिना नीलामी प्रक्रिया के दुकान आवंटन कर रहे थे। इस घोटाले को उजागर करना ग्राम विकास अधिकारी साहब को नागवार गुजरा। इसी के चलते ग्राम विकास अधिकारी नरपत सिंह देवड़ा व पंचायत कर्मचारीयों द्वारा दुकान नीलाम प्रक्रिया के दौरान खबर कवरेज करने को लेकर युवा पत्रकार अजरूद्दीन के साथ मारपीट की गई।
पत्रकार को फंसाने के लिए षड्यंत्र रचते हुए ग्राम विकास अधिकारी ने पुलिस थाना सिवाना में बेबुनियाद आरोप लगाया। सिवाना थाना में बताया गया कि पत्रकार अजरूद्दीन ने पंचायत कर्मचारी के साथ मारपीट की तथा महिला के साथ धक्कामुक्की कर कपड़े खींचकर अपशब्द कहकर लज्जा भंग की। साथ ही चाकू की नोक पर पंचायत कर्मचारी के ₹6000 लेकर फरार हो गया। इस तरह फर्जी आरोप लगाकर पत्रकार की कलम को रोकने का प्रयास किया गया। ग्राम विकास अधिकारी साहब अपने कारनामों के चलते काफी सुर्खियों मे रहते हैं।
पत्रकार के मुकदमे को पुलिस ने बता दिया झूठा
ग्राम विकास अधिकारी साहब के राजनीतिक सिफारिश से या ग्राम विकास अधिकारी साहब की दंबगई से सिवाना पुलिस दबाव में आ गई। ये भी संभव है कि पुलिस ने अपनी जेब भर ली हो। इसीलिए पुलिस ने युवा पत्रकार अजरूद्दीन द्वारा लिखाए गए मुकदमे को झूठा बता दिया।
पत्रकार के मामले में बाड़मेर पुलिस बिल्कुल गंभीर नहीं है। पुलिस पत्रकारों की मदद करने के नाम पर उल्टा फंसा कर उत्पीड़न कर रही है।
अजरूद्दीन खान
सिवाना
बाड़मेर (राजस्थान)
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