संक्रमण के शिकार इस जीवट पत्रकार ने घर में रहकर कैसे कोरोना को हराया, पढ़िए

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श्याम त्यागी

Part 1

कोरोना को मैंने कैसे हराया? सभी लोग जानना चाहते हैं। इसलिए दवाई, उपचार, डर, भय सबपर थोड़े से विस्तार से लिख रहा हूं…. पढ़िए और शेयर कीजिये

पूरी दुनिया में कोरोना ने जो तबाही मचाई है उसे देखकर सुनकर भारत में भी हर शख्स डरा हुआ है। सावधानी बरत रहा है लेकिन फिर भी सहमा हुआ है। उसे यही डर रहता है कि पता नहीं कब कहां से ये वायरस उड़कर आ जाएगा और गले पड़ जाएगा। उसका डर वाजिब भी है क्योंकि ये खांसने और छींकने से ही फैलता है। किसी ने अपने हाथ पर खांस लिया है या छींक लिया है और आप उसके हाथ द्वारा छुए हुए सामान के सम्पर्क में आ गए तो ये वायरस आपके गले पड़ जाएगा। सीधे आपके मुंह पर खांस दिया है तब तो ये वायरस आपको छोड़ेगा ही नहीं। आपके शरीर में घुस जाएगा, बिन बुलाए मेहमान की तरह। बाकी सरकारी अस्पताल, प्राइवेट अस्पताल की स्थिति की बारे में आप टीवी पर देख सुन रहे ही हैं। लगातार बढ़ते संक्रमण और मौत के आंकड़े देख भी डर ही रहे होंगे। बेड नहीं हैं। वेंटिलेटर नहीं हैं। बहुत कुछ नहीं है। ये सब सुनकर डर ही लगता है।

इसलिए इस वायरस को अपने अंदर से खत्म करने की कहानी इसके डर को खत्म करने से ही शुरू होती है। अब ह्यूमन नेचर है। डर के आगे कितनी भी जीत हो डरेगा तो है ही। मैं भी डर गया था। बुरी तरह डर गया था। अपने परिवार और ढाई साल के बेटे की तरफ देखकर घबरा गया था।

लेकिन दोस्तों ने साथियों ने और ‘टीवी9 भारतवर्ष’ के मेरे सीनियर्स ने और मेरे बॉस सन्त सर ने हिम्मत दी, हौसला बढ़ाया, कि बस डरना नहीं है। कोरोना की यही रीत है, डर के आगे जीत है। संस्थान ने खूब साथ दिया। सेहत को लेकर हर रोज अपडेट संस्थान द्वारा लिया गया। हर परेशानी में संस्थान साथ खड़ा है ये अहसास दिलाया। सभी का शुक्रिया।

दरअसल 21 मई को मैं ऑफिस में था। घर से ठीक ठाक गया था। लेकिन ऑफिस में अचानक से मेरे सिर में दर्द शुरू हुआ। मैं काम करता रहा, सिर का दर्द 1-2 घंटे बाद पूरे शरीर के दर्द में बदल गया। पूरे शरीर में दर्द शुरू हो गया। मैंने अपने दोस्त प्रदीप ठाकुर को ये बात बताई की मेरे पूरे शरीर में दर्द हो रहा है। उसने तत्काल प्रभाव से मुझे दर्द की कोई टेबलेट मंगाकर दी। दवाई खाई तो कुछ मिनट के लिए आराम लग गया। इधर मेरी शिफ्ट भी खत्म हो गई। दर्द के साथ ही घर आ गया। लेकिन मैंने ऑफिस से ही घर फोन कर दिया था कि आज मेरी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए सबलोग थोड़ा दूर ही रहना।

खैर, घर आया और पैरासिटामोल की एक टेबलेट लेकर सो गया। रात भर दर्द रहा। सुबह 4 बजे तक बुखार हो गया। बुखार भी 102। अपने दोस्त को फोन किया, वो सुबह 5-6 बजे ‘डोलो’ टेबलेट देकर गया। मुझे कुछ अंदेशा लगने लगा था इसलिए दोस्त को बोल दिया था की टेबलेट बाहर ही रखकर चला जाए। पास ना आए। ‘डोलो’ ली तो कुछ देर में बुखार उतर गया। लेकिन अगले दो दिन यही रूटीन रहा। बुखार आता, मैं दवाई लेता और वो भाग जाता। 24 तारीख तक यही चला। साथ में खांसी भी हो गई। खांसी बलगम वाली। इसलिए जो लोग कहते हैं कि बलगम वाली खांसी कोरोना का लक्षण नहीं है, ये एक मिथ है।

25 मई को ठीक होकर मैं फिर से अपने ऑफिस ‘टीवी9 भारतवर्ष’ पहुंच गया। 2 दिन बुरी तरह थकान रही। लगा बुखार में कई बार प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं इसलिए 2 लीटर फ्रूटी पी गया। 28 मई को एक दो बार जबरदस्त खांसी हुई। 25 मई को भी एकबार जबरदस्त खांसी उठी। जैसे ‘खांसी’ का अटैक हो गया हो। क्योंकि 28 तारीख को बार बार खांसी आ रही थी तो मेरे दोस्तों, वरिष्ठों ने सुझाव दिया कि मुझे अपना कोविड टेस्ट कराना चाहिए। अगले दिन सभी की बात मानकर मैं दिल्ली में अपोलो अस्पताल पहुंच गया। वहां उन्होंने कोविड के लिए अलग से दो तीन रूम बनाए हुए हैं। वहीं डॉ को सिम्पटम्स बताए, बुखार, खांसी और बाकी हिस्ट्री बताई। 4850 रुपये जमा किये। बिल बना। उन्होंने नाक और गले से सेम्पल लिया और मेरा टेस्ट हो गया। अगले दिन 30 मई को रिपोर्ट ईमेल पर आ गई। डिटेक्टेड। मतलब पॉजिटिव।

रिपोर्ट देखते ही लगा भयंकर वाला डर। भूकंप तो रोज आ ही रहे हैं, वो मेरा स्पेशल भूकंप था। जिसमें सिर्फ मैं हिला था। ऑफिस में बताया। बॉस का फोन आया, एचआर से फोन आया। स्थिति पूछी गयी। और पूछा गया कि हॉस्पिटल में रहना चाहोगे या घर। हमारे रिपोर्टर कुमार कुंदन का फोन आया, उन्होंने बहुत समझाया। बाकी लोग जो पहले से हॉस्पिटल में थे उनका हाल चाल और हॉस्पिटल में इलाज की स्थिति का पता किया। तो आखिर में मेरे द्वारा ही ये तय किया गया कि घर में ही एक कमरे में बंद रहना है। और इलाज करना है।

कहानी लम्बी हो रही है इसलिए अब सीधे 14 दिन के ट्रीटमेंट पर आता हूं। 30 मई से ही मैंने काढ़ा पीना शुरू किया। नमक, हल्दी गर्म पानी में डालकर गरारे करने शुरू किए। दिन में 4-5 लीटर गर्म पानी पीना शुरू किया। और विटामिन की दवाई लेनी शुरू की। सबसे पहले सुबह उठकर कच्चे आंवला और गिलोय का जूस खाली पेट पीता था। क्योंकि आंवले में विटामिन सी होता है। 3-4 दिन बाद आंवला पीना बन्द कर दिया क्योंकि वो खट्टा होता है और आयुर्वेद में ये कहा जाता है कि खट्टी चीजें खाने पीने से खांसी ठीक नहीं होती है। इसलिए आवंला बन्द कर गिलोय पीता रहा। इसके बाद काढ़ा पीता था। 3-4 दिन बाद ही दूध भी पीना बन्द कर दिया। क्योंकि बलगम वाली खांसी में दूध परेशान ही करता है। ऐसा सब लोग कहते हैं। क्योंकि मेरी पत्नी को भी वही सिम्पटम्स हो गए थे जो मुझे थे इसलिए उसका ट्रीटमेंट भी बिना टेस्ट कराए ही शुरू कर दिया। इसलिए दो लोगों का काढ़ा बनता था।

काढ़ा बनाने की विधि

लोंग 7
इलायची हरी 4
काली मिर्च गोल 7-8
दालचीनी 3-4 टुकड़े
सौंठ 1 चम्मच
मुनक्का 4

Part 2

इनको 2 गिलास पानी में उबालें, जब एक गिलास पानी बच जाए तो दो व्यक्तियों को आधा-आधा पीना है तीन टाइम, सुबह दोपहर शाम, खाना खाने के बाद, सुबह नाश्ते के बाद। और अगर एक ही व्यक्ति के लिए काढ़ा बनाना है तो एक गिलास पानी में बाकी सामान आधा डाल लें। जब वो पानी पक कर आधा गिलास रह जाए तो उसे छानकर पी लें। ऐसा दिन में कम से कम तीन बार करें। दिन में कम से कम तीन बार ही गरारे करता था। सुबह, दोपहर और शाम। खाना खाने के थोड़ी देर बाद कर सकते हैं। एक गिलास पानी को गर्म करके उसमें थोड़ा सफेद नमक और आधा चम्मच हल्दी डालकर गरारे करता था। ये बेहद जरूरी है। रोज सुबह गर्म पानी से ही नहाता था और नहाने के बाद 15-20 मिनट छत पर जाकर धूप में बैठता था क्योंकि कोरोना से लड़ने के लिए इम्युनिटी का मजबूत होना जरूरी है। मैंने तुलसी अर्क मंगाया था। एक गिलास गर्म पानी में दिन में 8-10 बूंदे डालकर पीता था, दिन में सिर्फ एक बार। गर्म पानी में हल्दी डालकर भी पी है। हर बार गर्म ही पानी पिया है।

Zincovit की टेबलेट ली थी। एक दिन में सिर्फ एक गोली, दोपहर में खाने के बाद।

Limcee Vitamin C Chewable ली थी। सुबह शाम एक-एक टेबलेट।

कोरोना का संक्रमण नाक में भी होता है इसलिए सुबह शाम पानी में अजवाइन डालकर भाप लेता था। कुछ ड्राई फ्रूट्स भी खाए हैं। जैसे बादाम और किशमिश। फलों में रोज एक सेब खाया है, गर्म पानी में धोकर और थोड़ा बहुत पपीता। अपने बर्तन खुद साफ किये हैं। कपड़े खुद धोए हैं। हर रोज सेनेटाइजर से कमरे की सफाई करता था। जो कुछ भी लिखा है ये सभी कुछ जरूरी और बेहद जरूरी है। घर में भी मास्क लगाकर रहना जरूरी है। बार बार साबुन से हाथ धोना जरूरी है। इन सब चीजों की वजह से कोरोना से लड़ाई में जीत मिली है। मुझे ही नहीं मेरे कई साथियों को जीत मिली है।

कुछ लोग इस बात को लेकर आशंकित रहते हैं कि अगर उन्हें कोरोना हो जाए तो तुरंत अस्पताल की तरफ भागना चाहिए या नहीं। देखिए मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं, कोई स्पष्ट राय आपको नहीं दे सकता। लेकिन अनुभव के आधार पर कह रहा हूं अगर आपको गम्भीर बीमारियां हैं। किडनी की। फेफड़ों की। सांस की। तो आपको अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए, क्योंकि अगर इस वायरस से आपको सांस की ज्यादा दिक्कत हुई तो अस्पताल के चक्कर और बेड तलाशते हुए ही शायद आपका बहुत कुछ पीछे छूट जाएगा, इसलिए एहतियातन आपका शुरू से अस्पताल में रहना जरूरी है। मुझे ऐसा लगता है। बाकी अगर आप स्वस्थ हैं। कोई परेशानी नहीं है। पुरानी गम्भीर बीमारी नहीं है तो घर में रहकर इस बीमारी का इलाज संभव है।

इस बीमारी ने मुझे काफी परेशान भी किया। 2-3 दिन जबड़े में दर्द रहा। खाना चबाने में परेशानी होती थी। और सबसे बड़ा दुख ये भी था कि मुझे अपने बेटे KT से 14 दिन तक अलग रहना पड़ा। ये बीमारी किसी को बताने वाली भी नहीं है। लोग दहशत मानते हैं। मेरे अडोस पड़ोस में भी लोगों में दहशत थी। मुझको लेकर कई तरह की अफवाहों को बल दिया गया। खैर, लोगों के अपने डर हैं। जिसने डरना है डरे, हमें तो अपना काम करना है। अपने स्वास्थ्य और परिवार के बारे में सोचना है। कुछ खास दोस्तों को छोड़ दें तो कोई अड़ोसी पड़ोसी रिश्तेदार आपके बारे में सोचने नहीं आएगा। हां अड़ोसी पड़ोसी डर के मारे पुलिस बुला सकते हैं कि भई हमारे यहां ये कोरोना का मरीज है इसे ले जाओ। ये समाज ही ऐसा है। आप किसी को कितना भी समझाने जाएं, बताएं, लोग नहीं समझते। करते सब अपने मन की ही हैं।

अब इस पोस्ट की सबसे जरूरी और आखिरी बात, ये एक तरह का डिस्क्लेमर ही है।

मैं कोई आयुर्वेदाचार्य या कोई डॉक्टर नहीं हूं। मुझे भी इस तरह के ट्रीटमेंट की जानकारी अपने दोस्तों और वरिष्ठों से मिली थी। मैंने इसे अपने ऊपर आजमाया था। ये मेरा फैसला था। अगर आप को इस तरह की कोई परेशानी होती है तो एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अपनी हेल्थ स्थिति को मद्देनजर रखकर ही किसी भी चीज का सेवन करें। मैं इस पोस्ट को लिखने से डर रहा था। कहीं किसी का कुछ नुकसान ना हो जाए। इसलिए बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कुछ ना करें। अपनी सेहत के हिसाब से चीजों का इस्तेमाल करें। बाकी महाकाल बाबा सबका भला करेंगे। देश इस वायरस पर जल्द पूरी तरह फतह हासिल करेगा। मास्क लगाकर रखें। दूरी बनाकर रखें। हाथ धोते रहें।

श्याम त्यागी
टीवी9 भारतवर्ष



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One comment on “संक्रमण के शिकार इस जीवट पत्रकार ने घर में रहकर कैसे कोरोना को हराया, पढ़िए”

  • Ganesh Prasad Jha says:

    Shabash Shyamji. Aapke himmat ki dad deta hu. Kya aapne koi antibiotic nahi li, khaskar Azithromycin cough aur fever ke liye. Sirf paracetamol aur shayad tramadol liye aapne. Kadha kam kar gaya, par log yakin nahi karenge. Doctor to Antivirsls aur ab Cortisone jaise Dexamethasone (Dexona) bhi de rahe hain. Oxygen ki bhi jaruri apke nahi padi ye ishwar ki anukampa hi samajhiye. Mai apke dirghayu jian ji kamna karta hu. Kuch samay tak puri savdhani baratiyega. – Ganesh Jha, Former AEP, Voice Of India., Former Sr Sub Editor, Jansatta & Hindustan.

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