अनिल पांडेय-
अख़बार में ख़बरों को देखकर हम खुश होते हैं| प्रचार किसे अच्छा नहीं लगता| कम ही लोग हैं जो इस जीवन के यथार्थ से परिचित हैं और इसके काले कारनामों को लेकर सजग| पत्रकारिता जगत में जितने स्वप्न हैं यथार्थ उससे कहीं अधिक गहरे और धुंधले|
पत्रकारिता की कँटीली डगर’ गणेश प्रसाद झा की संस्मरणात्मक पुस्तक है| आत्मकथा के दहलीज पर खड़ी यह पुस्तक आपको सच कई रूपों से साक्षात्कार कराती है| यहाँ गणेश प्रसाद झा जी संघर्ष करते हैं और अख़बार के बड़े संस्थानों में क्या कुछ होता है या हो रहा है सामने लेकर आते हैं|
विभिन्न शहरों और शहरों में व्याप्त विभिन्न मीडिया समूहों पर बात करते हुए वह किसी संकोच में नहीं पड़ते हैं| सच को कहने का उनका अपना तरीका भी है| आप कई बार यह मानने के लिए विवश होते हैं कि ऐसी सच्चाई कहने की हिम्मत भी एक कुशल और सिद्धस्थ पत्रकार में होती है|
तो आइये पत्रकारिता की कँटीली’ को पढ़ते हैं और इस दुनिया की सच्चाई को जानते हैं| आने को तो यह पुस्तक बहुत पहले आ जाती लेकिन मेरे आलसपन की वजह से न आ सकी| अब जाकर तैयार है| कई लोगों ने यहाँ तक सोचा कि सच का यथार्थ होने की वजह से प्रकाशन ने इसे मना कर दिया है लेकिन ऐसा नहीं है| कई बार अच्छी चीजें आने में समय लग जाती हैं| यह पुस्तक आने को तो पुस्तक मेले में आ रही थी लेकिन हम विफल रहे| अब यह प्रेस में है और दो से तीन दिन के अंदर मार्किट में आ जाएगी|
आज से हम इसका प्री-बुकिंग जारी कर रहे हैं|
पुस्तक का नाम: पत्रिकारिता की कँटीली डगर
लेखक: गणेश प्रसाद झा
प्रकाशन : बिम्ब-प्रतिबिम्ब प्रकाशन, फगवाड़ा, पंजाब
मूल्य : 700 (पेपरबैक)
पृष्ठ: 384
सम्पर्क : 9877545648, 8528833317