ब्राह्मण समाज को कर दिया नाराज…
पत्रिका रतलाम के संपादक ने मंदिर में दक्षिणा लेते हुए पुजारी की वीडियो खबर अभद्र भाषा के साथ पोर्टल पर चला दी। इसके बाद ब्राह्मण समाज सहित समग्र हिंदू समाज के लोगों का गुस्सा पत्रिका के खिलाफ फूट पड़ा है।
वे पत्रिका का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं और संपादक को गालियां दे रहे हैं।
दरअसल मंदिर में आई दक्षिणा को पुजारी अपने पास रख रहा है, जिस पर उसका ही अधिकार होता है। ऐसे में पत्रिका के संपादक ने कमेंट के साथ उक्त बुजुर्ग पुजारी को अपमानित कर दिया कि दान पेटी में डालने की बजाय खुद की पाकेट में दक्षिणा डाल रहा है पुजारी।
इस खबर को लोग फेसबुक पर पोस्ट करने के बाद संपादक और पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। लोग यहां तक कह रहे हैं ऐसे आदमी को संपादक किसने बना दिया, जिसे धर्म के बारे ज्ञान ही नहीं है।
जानें पूरा प्रकरण-
Amit Chaturvedi- रतलाम में पत्रिका अख़बार ने ये तस्वीर इस खबर के साथ छापी है कि भक्तों ने जो दक्षिणा दी वो पुजारी ने अपनी जेब में रख ली, प्रशासन ने पुजारी को नोटिस भी जारी कर दिया है…
ये कितनी शर्मनाक बात है…लोगों को दान और दक्षिणा का अंतर ही नहीं पता…
दान के लिए मंदिरों में दान पात्र रखा होता है और दक्षिणा पर पुजारी का ही अधिकार होता है…दान हमारा सामाजिक या धार्मिक मूल्य है, जब हम किसी वस्तु या रुपए का दान करते हैं तो उसकी ओनरशिप ट्रान्स्फ़र की जाती है यानिअभी तक जो चीज़ हमारी थी दान देने के बाद वो वस्तु या रुपए उसके हो गए जिसे दान दिया गया…
लेकिन दक्षिणा वह मूल्य या शुल्क है जो किसी की सेवा के बदले दी जाती है, दक्षिणा एक तरह का पारिश्रमिक है जो जिसके हाथ में दिया जा रहा है वो उसी व्यक्ति को मिलता है…
जैसे अगर आपने कोई ज़मीन या पैसा मान लीजिए किसी सामाजिक या धार्मिक कार्य हेतु कलेक्टर, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को दिया तो वो उनके कोश में जमा होगा और वो उस दान का उपयोग उस कार्य हेतु करेंगे जिसके लिए दान दिया गया है लेकिन दक्षिणा तो पारिश्रमिक है वो जिसके हाथ में दी गयी वो उसका अधिकार है…
उम्मीद है लोग दान और दक्षिणा का अंतर समझेंगे और ऐसे किसी भी पुजारी को बेवजह परेशान या बदनाम नहीं करेंगे…
Amit Chaturvedi- कल रतलाम के जिस पुजारी की फ़ोटो एक अख़बार ने छापी थी आज समाज के समझदार लोगों ने अख़बार के मुँह पर एक Befitted तमाचा मारकर जवाब दिया है…
दान बेशक मंदिर का लेकिन दक्षिणा केवल पुजारी की…
Message is loud and clear…
देखें वीडियो- https://www.facebook.com/amitkchaturvedi/videos/643592059994178
Vikas Mishra- ये पहल अच्छी है। हालांकि इसमें मस्जिद और मदरसे का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी। इस घटना से एक फायदा ये हो गया कि लोगों को दान और दक्षिणा का फर्क पता चल गया।
वैसे विनम्रता पूर्वक मैं ये बताना चाहता हूं कि ‘यज्ञ’ को नारायण माना गया है और ‘दक्षिणा’ यज्ञ की पत्नी हैं। बिना दक्षिणा के यज्ञ की संपूर्णता नहीं है। लौकिक व्यवहार में कहें तो आप दान चाहे जितना कर दें, यज्ञ-हवन चाहे जितना कर लें, अगर यज्ञ कराने वाले और पूजा कराने वाले पंडित को दक्षिणा नहीं दी गई तो वो यज्ञ अधूरा है, वो पूजा अधूरी है।