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फोटोजर्नलिस्ट की पिटाई पर बवाल, पत्रकारों ने किया सीएम आवास घेराव

लखनऊ : दैनिक भास्कर के फोटोजर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के साथ एसओ चिनहट की बदसलूकी से नाराज राजधानी के पत्रकारों ने पहले एसएसपी का घेराव किया. वहां बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो सभी फोटो जर्नलिस्ट और पत्रकारों ने सीएम आवास का घेराव कर लिया. देर रात तक चले इस घटनाक्रम में आखिरकार एसएसपी यशस्वी यादव ने एसओ चिनहट धीरेंद्र सिंह यादव को जब हटाने का फैसला किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.

<p>लखनऊ : दैनिक भास्कर के फोटोजर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के साथ एसओ चिनहट की बदसलूकी से नाराज राजधानी के पत्रकारों ने पहले एसएसपी का घेराव किया. वहां बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो सभी फोटो जर्नलिस्ट और पत्रकारों ने सीएम आवास का घेराव कर लिया. देर रात तक चले इस घटनाक्रम में आखिरकार एसएसपी यशस्वी यादव ने एसओ चिनहट धीरेंद्र सिंह यादव को जब हटाने का फैसला किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.</p>

लखनऊ : दैनिक भास्कर के फोटोजर्नलिस्ट आशुतोष त्रिपाठी के साथ एसओ चिनहट की बदसलूकी से नाराज राजधानी के पत्रकारों ने पहले एसएसपी का घेराव किया. वहां बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो सभी फोटो जर्नलिस्ट और पत्रकारों ने सीएम आवास का घेराव कर लिया. देर रात तक चले इस घटनाक्रम में आखिरकार एसएसपी यशस्वी यादव ने एसओ चिनहट धीरेंद्र सिंह यादव को जब हटाने का फैसला किया, तब जाकर मामला शांत हुआ.

जानकारी के अनुसार चिनहट में आशुतोष त्रिपाठी प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी आग को कवर करने गये थे. इसी दौरान एसओ चिनहट ने आशुतोष को पहले धक्का दिया और फिर बदतमीजी करने लगा. वहां मौजूद पत्रकारों ने इसका विरोध किया तो एसओ उनसे भी भिड़ गया. पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट्स ने इसकी शिकायत एसएसपी से की. एसएसपी ने माफी मांगने की बात कह कर पूरे मामले का रफा दफा करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी.

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इसके बाद पत्रकारों ने सीएम आवास का घेराव का फैसला किया. पत्रकार पहुंचे ही थे कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी ट्रांसगोमती दिनेश यादव भी मौके पर पहुंच गये. पत्रकारों के विरोध को देखते हुए एसएसपी ने घटना की जांच तुरंत कराने का फैसला किया और एसओ को तब तक के लिए हटा दिया गया.

एसओ के खिलाफ कार्रवाई की हकीकत ये है कि वो महोदय बाकायदा न सिर्फ अपना सीयूजी नंबर इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि थाने में रहते हुए सारे अन्य काम भी कर रहे हैं। पत्रकारों का कहना है कि अगर वरिष्ठ कहे जाने वाले बीच में न आते तो एसओ पर सख्त कार्रवाई हो सकती थी। वरिष्ठ कहे जाने वालो ने मध्यस्ता के बहाने पत्रकारों की जगह पुलिस व प्रशासन की मदद की। 

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