संजय कुमार सिंह-
प्रधानमंत्री के भाषण पर आज के द टेलीग्राफ का शीर्षक है, “देखने में पीएम, बोलेने में सड़क छाप लड़के जैसा”।
बंगाल का अख़बार बताता है कि ‘कमेंटबाज़ी’ भर है मोदी का भाषण!
द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर जो लीड है वह चर्चा के लायक है। द टेलीग्राफ के आज के लीड में कहा गया है कि प्रधानमंत्री के बोलने के बाद लगता है जैसे साथियों से कहते हों, कैसा कमेंट मारा। स्कूली लड़के, लड़कियों के बारे में कुछ बोल कर ऐसे ही खुश होते हैं। मेरा ख्याल है अखबार ने कल के प्रधानमंत्री के भाषण की रिपोर्टिंग से यही कहना चाहा है. कहने की जरूरत नहीं है कि भाषण में कुछ और इससे ज्यादा खास होता तो शीर्षक उसी को बनाया जाता। क्योंकि पांच कॉलम की खबर में सिर्फ इतनी सी बात तो होगी नहीं।
खबर में प्रधानमंत्री के बोलने के अंदाज को चित्रित करने की कोशिश की गई है। मुख्य बात यह है कि अपने भाषण में उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए कई बार दीदी ओ दीदी कहा और व्यंगात्मक लहजे में कहा। अखबार ने लिखा है कि बंगाल में इस तरह का व्यंग “कमेंट मारा” कहा जाता है। अखबार ने प्रधानमंत्री की शैली की तुलना महिलाओं को सताने वाले पुरुषों की भाषा शैली और शब्दों से की है और बहुत बढ़ा–चढ़ाकर भी लिखा हो तो गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री के भाषण में ऐसा कुछ था। चर्चा करने लायक भी।
अखबार ने लिखा है कि ‘दीदी ओ दीदी‘ सुनकर अमर प्रेम फिल्म में राजेश खन्ना के पुष्पा ओ पुष्पा की याद आई। प्रधानमंत्री के भाषण में अभिनय का पुट होता है यह महत्वपूर्ण नहीं है पर उनका अभिनय बंगाल की जनभावना के अनुकूल नहीं है यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के भी प्रधानमंत्री हैं। अखबार ने यह भी लिखा है कि ममता बनर्जी अपने अंदाज में उनका जवाब देती हैं और इसमें वे कोई डरी हुई किशोरी नहीं हैं। वे उन्हें बड़ा झूठा, रावण, दाणव और दैत्य कह चुकी हैं पर वे फूहड़ नहीं लगीं। अखबार ने यह भी लिखा है कि मोदी और ममता एक–दूसरे का अपमान करने में ठीक हैं पर महिला पुरुष के साथ वैसे नहीं कर सकती जैसा पुरुष महिला के साथ कर सकता है। तो यह स्तर है और इसलिए खबरें पहले पन्ने पर नहीं हैं।