हालही में साध्वी सिंह प्रज्ञा ठाकुर को रक्षा मामलों की संसदीय समिति के लिए नामित कर लिया गया। रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में कुल 21 सदस्य हैं जिनमें अब साध्वी प्रज्ञा का नाम भी जुड़ गया है। इस समिति के प्रमुख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं। इस समिति में सरकार ने विपक्ष के कई नेताओं को शामिल किया है। जिसमें शरद पवार और फारूख अब्दुल्ला प्रमुख हैं।
साध्वी प्रज्ञा का गोडसे प्रेम एक बार फ़िर जागा और लोकसभा में जब एसपीजी अमेंडमेंट बिल पर चर्चा के दौरान डीएमके के सांसद ए. राजा गोडसे के एक बयान का हवाला दे रहे थे कि उसने महात्मा गांधी को क्यों मारा तो साध्वी प्रज्ञा ने उन्हें टोक दिया। साध्वी ने कहा, ‘आप एक देशभक्त का उदाहरण नहीं दे सकते।’ हालांकि, प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भिकू चौक में हुएबम धमाके के बाद साध्वी सिंह प्रज्ञा ठाकुर की जांच का वो पहलू जो आज भी अनसुलझा है…
29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भिकू चौक में बड़ा बम धमाका हुआ, जिसमें 6 लोगों की घटनास्थल पर मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए । हमेशा की तरह आई. बी इस ख़ुफिया एजेंसी ने ‘सिमी’, इंडियन मुजाहिदीन, हुजी जैसी मुस्लिम संगठनों पर शक किया और इसे मीडिया ने ख़बर बनाकर लोगों के सामने पेश किया । लेकिन तीन माह पूर्व ही महाराष्ट्र एस टी एस का पदभार ग्रहण किए मेमंत करकरे ने सिर्फ़ शक की बुनियाद पर किसी को गिरफ़्तार करना उचित नहीं समझा । उन्होनें किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह में न रहते हुए आपराधिक क़ानून व पुलिस के तहत जांच करना शुरू किया।
हेमंत करकरे ने सबसे पहले घटनास्थल पर ध्यान केंद्रित किया । वहां पर उन्हें एक मोटर बाइक मिली । उस पर लदी ही आरडीएक्स जैसी ख़तरनाक विस्फोटक सामग्री की सहायता से घटना करवाने की बात सामने आई। जब इस बिक के मालिक का पता लगाना शुरू हुआ तो पता चला कि ह बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की है। वह अखिल भारतीय विध्यार्थी परिषद एबीवीपी, अभिनव भारत, विहिप की दुर्गा वाहिनी आदि संगठनों से जुड़ी हुईं हैं। उन्हें तत्काल गिरफ़्तार किया गया और उनसे कड़ी पूछताछ की गई , जिसमें दो नाम सामने आए, एक श्यामलाल साहू और दूसरा शिवनारायण कालसंगरा। इन दोनों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया । ये दोनों आरएसएस और भाजपा से जुड़े हुए थे।
इन तीनों से पुलिस ने कड़ी पूछताछ करने पर घटना शामिल ले. कर्नल पुरोहित , मेजर रमेश उपाध्याय , जम्मु स्थित शारदा पीठ से महंत दयानंद पांडे , समीर कुलकर्णी आदि के नाम सामने आए। घटना में शामिल कुल 11 लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया और इन सभी से क़ड़ी पूछताछ की गई।
इस दौरान हेमंत करकरे ने घटना में शामिल ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित के पास से एक और दयानंद पांडे के पास से दो लैपटॉप ज़ब्त किए। इस लैपटॉप में जो जानकारी थी वह एक तरह से हिंदू राष्ट्र की ब्लू प्रिंट था। लैपटॉप में अभिनव भारत संगठन की जानकारी व उनकी सभी मीटिंग के आडियो और वीडियो भी शामिल थे। जिसमें ये बातें स्पष्ट थीं।
- 2002-2003 के दौरान कट्टरवादी हिंदुओं ने अभिनव भारत नाम के एक संगठन की स्थापना की थी।
• उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र को तोड़ डालना, लोकतंत्र के अनुसार स्थापित वर्तमान सरकार को निरस्त करना और वहां पर मनुस्मृति और वेदों पर आधारित आर्यावर्त हिंदू राष्ट्र का निर्माण करना था
• वे इस कार्य में नेपाल व इज़राईल जैसे देशों की व नागा उग्रवादियों की मदद ले रहे थे।
• देश में अराजकता फैलाने के दृष्टिकोण से वे देश में बम धमाकें करवाते थे औऱ उसका आरोप मुसलमानों पर लगाते थे।
• आर एस एस व भाजपा इन दोनों के बीच गहरे संबंध थे। असल में अभिनव भारत यह आऱ एस एस के बीच के कट्टर ब्राहम्णवादियों का ही एक संगठन था।
इस घटना की जांच हेमंत करकरे ने लगभग 26 नवंबर 2008 के पहले ही पूर्ण कर दी थी जब वह ज़िंदा थे, लेकिम अभी तक कोर्ट ने उसकी चार्जशाट कोर्ट में नहीं भेजी थी। उनकी मृत्यु के बाद जनवरी 2009 में चार्जशीट भेजी गई। गिरफ़्तार किए गए 11 आतंकी एंव फ़रार तीन आतंकी कुल 14 आरोपी घटना में शामिल थे।
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर
- शामलाल साहू
- शिवनारायण कालसंगरा
- लें. कर्नल प्रसाद पुरोहित
- मेजर रमेश उपाध्याय
- महंत दयानंद पांडे
- समीर कुलकर्णी
- अजय राहीरकर
- राकेश धावड़
- जगदीश म्हात्रे
- सुधाकर चतुर्वेदी
- रामजी कालसंगरा
- संदीप डांगे
- प्रवीण मुतालिक
ये सभी आतंकी अभिनव भारत के सदस्य थे और आर एस एस से संबंधित थे।
मालेगांव 2008 की जांच में ले.कर्नल पुरोहित व साध्वी की नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग टेस्ट हुआ था। उससे स्पष्ट हुआ था कि मालेगांव घटना के पहले जो धमाके हुए थे, जैसे- समझौता एक्सप्रेस, मालेगांव 2006 , अजमेर शरीफ़, मक्का मस्जिद हैदराबाद ये सभी धमाके अभिनव भारत के आतंकियों ने अन्य कुछ संगठनों की मदद से किए थे। लेकिन इन घटनाओं की पुन: जांच कई साल तक नहीं की गई।
हेमंत करकरे ने जिन तीन लैपटॉप को ज़ब्त किया था, उनमें से एक लैपटॉप में अभिनव भारत संगठन की पूरी जानकारी थी। दूसरे दो लापटॉप में अभिनव भारत की देशभऱ में हुई माटिंग के 48 आडियो व वीडियो क्लिप्स थे। हेमंत करकरे जब तक ज़िंदा थे तब तक उन्होंने 3 वीडियों औऱ 2 ऑडियो क्लिप्स को शब्दों में अनूदित करके उनकी जांच की थी। बाक़ी 43 क्लिप्स को शब्दों में अनूदित करके और उनसे संबंधित घटनाओं की जांच करने का काम अधूरा था।
हेमंत करकरे की हत्या के दो माह बाद जनवरी 2009 में भेजी गई चार्जशीट की पृष्ठ संख्या 69 में लिखा है कि, ज़ब्त किए गए लैपटाप के बाक़ी क्लिप्स, कुछ मोबाइल फ़ोन की रेकॉर्ड की गई बातचीत, पेन ड्राइव में रिकार्ड की गई जानकारी एंव अन्य दस्तावेज़ आदि फोरेंसिक साइंस लेबॉरेटरी से प्राप्त हुई हैं और उनकी जांच करना ज़रूरी है।
अन्य कुछ ऑडियो व वीडियो को शब्दों में अनुवादित करने का कार्य जारी है। चार्जशीट की पृष्ठ संख्या 69 की एक प्रतिलिपि परिशिष्ट ब में लगाई गई है। चार्जशीट भेजकर 7 साल बीत गए थे मगर कोई जांच न की गई। इससे साफ होता है कि सरकरा और जांच एजेंसियां उनसब को बचा रहीं थी।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2017 में मालेगांव बम विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दे दी थी लेकिन सह आरोपी और पूर्व कर्नल श्रीकांत पुरोहित को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने कहा कि 44 वर्षीय साध्वी प्रज्ञा के ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। अदालत ने साध्वी से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को अपना पासपोर्ट सौंपने और पांच लाख रुपये का नकद मुचलका पेश करने का आदेश दिया । साध्वी प्रज्ञा को नौ साल पहले गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में जांच की जिम्मेदारी एटीएस से एनआईए को दी गई थी। एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीनचिट देते हुए उच्च न्यायालय में कहा था कि साध्वी को ज़मानत पर रिहा करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि एजेंसी ने पुरोहित की जमानत याचिका का विरोध किया था।
अदालत ने कहा कि हमारी राय में, अगर एटीएस और एनआईए दोनों की रिपोर्टों पर एक साथ गौर किया जाए तो जहां तक साध्वी का सवाल है, यह नहीं कहा जा सकता कि यह भरोसा करने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप प्रथमदृष्टया सही हैं।
न्यायाधीशों ने कहा कि अगर एक बार ऐसा हो तो अपीलकर्ता को ज़मानत का लाभ नहीं रोका जा सकता, भले ही एटीएस द्वारा उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप गंभीर हैं। अदालत ने साध्वी की याचिका पर अपने 78 पृष्ठों के आदेश में कहा कि आरोपी एक महिला हैं जो 2008 से ही जेल में हैं और कैंसर से पीड़ित हैं।
पीठ ने पुरोहित की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। पीठ ने कहा कि यह राज्य की एकता और अखंडता के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की तरह है और वह भी बम विस्फोट जैसे हिंसक तरीके से, ताकि लोगों के मन में आतंक पैदा किया जा सके।
एनआईए द्वारा दाखिल रिपोर्ट (आरोपपत्र) का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि पुरोहित ने हिंदू राष्ट्र के लिए अलग भगवा रंग के झंडे के साथ अलग संविधान तैयार किया। पीठ ने कहा कि उन्होंने हिंदुओं पर मुस्लिमों द्वारा अत्याचार के लिए बदला लेने के बारे में भी चर्चा की।
अब आप इस सरकार की नीयत को बेहतर ही समझ सकते हैं। गोडसे को देश भक्त बताने वालों की भारतीय जनता पार्टी में कमी नहीं है। ये अलग बात है कि कुछ लोग दिल की बात ज़बान पर नहीं लाते।
युवा पत्रकार नेहाल रिज़वी का यह आर्टकिल महाराष्ट्र के पूर्व IG एस. एम. मुशरिफ की किताब RSS पर आधारित है।