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सियासत

प्रेम स्त्री की ताकत का स्रोत है

Adv Shivani Kulshrestha : आज साहित्य सम्राज्ञी मैत्रेयी पुष्पा जी से फोन पर बात हुई। यह मेरा सौभाग्य हैं। साहित्य में बहुत रुचि हैं पर भाषा विन्यास नही जानती। न मैं खुद साहित्यकार हूँ। मैं बस पाठक हूँ। मैत्रेयी पुष्पा जी से मैं काफी प्रभावित हूँ। मुझे व्यक्तिगत रूप से परिचित लोग यह जानते हैं कि मैं बहुत कम लोगों से ही प्रभावित होती हूँ। मैत्रेयी जी के लेखन दार्शनिक हैं। उसे समझने के लिए उच्च कोटि का बौद्धिक स्तर चाहिए। यदि मैं एक वाक्य में मैत्रेयी जी के बारे में कहू तो वह वैदिक काल की मैत्रेयी लगी। अर्थात उनकी विद्वता वैदिककाल की मैत्रेयी की तरह हैं। आने वाली पीढ़ियाँ स्त्री की विद्वता का बखान करेगीं तो उसमें एक नाम मैत्रेयी पुष्पा का होगा।

<p>Adv Shivani Kulshrestha : आज साहित्य सम्राज्ञी मैत्रेयी पुष्पा जी से फोन पर बात हुई। यह मेरा सौभाग्य हैं। साहित्य में बहुत रुचि हैं पर भाषा विन्यास नही जानती। न मैं खुद साहित्यकार हूँ। मैं बस पाठक हूँ। मैत्रेयी पुष्पा जी से मैं काफी प्रभावित हूँ। मुझे व्यक्तिगत रूप से परिचित लोग यह जानते हैं कि मैं बहुत कम लोगों से ही प्रभावित होती हूँ। मैत्रेयी जी के लेखन दार्शनिक हैं। उसे समझने के लिए उच्च कोटि का बौद्धिक स्तर चाहिए। यदि मैं एक वाक्य में मैत्रेयी जी के बारे में कहू तो वह वैदिक काल की मैत्रेयी लगी। अर्थात उनकी विद्वता वैदिककाल की मैत्रेयी की तरह हैं। आने वाली पीढ़ियाँ स्त्री की विद्वता का बखान करेगीं तो उसमें एक नाम मैत्रेयी पुष्पा का होगा।</p>

Adv Shivani Kulshrestha : आज साहित्य सम्राज्ञी मैत्रेयी पुष्पा जी से फोन पर बात हुई। यह मेरा सौभाग्य हैं। साहित्य में बहुत रुचि हैं पर भाषा विन्यास नही जानती। न मैं खुद साहित्यकार हूँ। मैं बस पाठक हूँ। मैत्रेयी पुष्पा जी से मैं काफी प्रभावित हूँ। मुझे व्यक्तिगत रूप से परिचित लोग यह जानते हैं कि मैं बहुत कम लोगों से ही प्रभावित होती हूँ। मैत्रेयी जी के लेखन दार्शनिक हैं। उसे समझने के लिए उच्च कोटि का बौद्धिक स्तर चाहिए। यदि मैं एक वाक्य में मैत्रेयी जी के बारे में कहू तो वह वैदिक काल की मैत्रेयी लगी। अर्थात उनकी विद्वता वैदिककाल की मैत्रेयी की तरह हैं। आने वाली पीढ़ियाँ स्त्री की विद्वता का बखान करेगीं तो उसमें एक नाम मैत्रेयी पुष्पा का होगा।

मैं मैत्रेयी जी का एक साक्षात्कार पढ़ रही थी – सैक्स प्रेम की मृत्यु हैं। जैसा इसका शीर्षक हैं बात असल में वह नही हैं। मैत्रेयी जी के हिसाब से प्रेम स्त्री की ताकत का स्रोत है। शादी और प्रेम दो अलग चीजें हैं। जो पति होता हैं उससे सिर्फ सैक्स होता हैं पर प्रेमी से सेक्स नहीं बल्कि प्रेम होता हैं। यदि प्रेम में सेक्स हो जाए तो वह चार दिन बाद ही समाप्त हो जाता हैं। वर्तमान समय में बाजार और राजनीति के कारण प्रेम ने अपना मूल्य खोया हैं। वह सैक्स को समय का मोहताज बताती हैं।

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मेरा इस विषय में क्या मत हैं? बताती हूँ पर उससे पहले मैं यह बताना चाहती हूँ कि मैत्रेयी जी का यह अपना विचार हैं जो समाज की परिपाटी में फिट भी बैठता है। पर मैं एक कानूनविद् हूँ और इक्कीसवीं शताब्दी की जागरूक लड़की हूँ। यदि मैं अधिवक्ता होकर भी अपने प्रेमी से शादी न कर पाई तो लानत हैं मेरे इतने पढ़ने लिखने पर। प्रेम का अन्तिम लक्ष्य जिस्म पाना या शादी करना नही होता। किसी किसी प्रेम कहानी में शादी नही कर सकते। कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हो सकती हैं पर फिर भी उस इन्सान के साथ जिन्दगी बितानी चाहिए जो आपका सम्मान करें। प्रेम एक जिम्मेदारी हैं। दूसरे का सम्मान करना हैं। रही सैक्स की बात तो वह पार्ट आॅफ द लाइफ हैं। एक भारतीय नारी अपने योवन को अपनी सम्पत्ति समझती हैं।

वह अपने यौवन को अपनी आत्मा से जोड़कर देखती हैं। भारतीय संस्कृति ने शुरु से ही स्त्री को अपना जीवन साथी चुनने की आजादी दी पर आक्रमण कारियों के आने के बाद स्त्रियों ने अपने यौवन के समस्त अधिकार खो दिये। न! न! मैं देह की बात नही कर रही। जिस शरीर में जान नही होती वह भी तो देह ही हैं। योवन स्त्री के देह में आत्मिक सुख का वास हैं। वह इसे उस पुरुष के चरणों में समर्पित करना चाहती हैं जिसे वह अपनी जान से ज्यादा प्यार करती हैं। वह हर एक क्षण को जीना चाहती हैं। स्त्री अपने प्रेम के साथ आध्यात्मिक संभोग करना चाहती हैं। जो आत्माओं को आत्मा से जोड़ दें। रोम रोम प्रफुल्लित होकर झूमने लगें जैसे मोर बारिश में झूमता हैं। जिस स्त्री के ह्रदय में किसी पुरुष का वास हैं उस स्त्री को रूढ़ि प्रथा के नाम पर आप शादी करके सिर्फ बाँध सकते हैं पर उसकी आत्मा को नही बाँध सकते। बिना प्रेम पति के साथ सैक्स बलात्कार ही हैं क्योंकि जब यह क्रिया चल रही हैं तब उसका मन तो प्रेमी के पास हैं। यानि उसकी अनिच्छा हैं।

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मैं यह मानती हूं कि कानून ने आपको प्रेम विवाह करने का अधिकार दिया हैं। आप अवश्य करें। किसी कारण वश नहीं हो सकता तो बात अलग हैं। प्रेम की सत्ता सैक्स से कई ऊपर है पर सैक्स प्रेम का खात्मा कभी नही करता। जिन लोगों को प्रेमिका के साथ सैक्स के बाद अनिच्छा होती हैं तो वह सिर्फ आकर्षण था। प्रेम नही।

बदलते परिवेश के साथ स्त्रियों के नैतिक चरित्र में कमी आई है। जहाँ पहले स्त्रियाँ देवता मानती थी। वही अब उससे शादी करना चाहती जो पैसे वाला हो। आपकी भाषा में कहें तो प्रक्टीकल हो गई हैं। जो लोग चार दिन के रिश्ते में बोर हो जाते हैं सैक्स के बाद तो यह उनके चरित्र व आचरण की कमी हैं। सभी स्त्रियाँ ऐसी नही हैं पर फिर भी अब स्त्रियों में गिरावट आई हैं यह बात पुरुष नही समझता। सैक्स प्रेम की प्राण प्रतिष्ठा हैं पर मेरी फिलॅासफी में जोखिम हैं।

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इसे केवल मेरे ऊपर लागू किया जा सकता हैं क्योंकि मैने हमेशा प्रेम और विवाह को एक समझा है। यह आपका निजी जीवन है कि आप क्या चाहते हैं? प्रेम के रास्ते काँटों भरे होते हैं पर उन काँटों में भी जीवन की अनुभूति होती है। पर कुछ लोगों की कठिन पथ पर चलने से हिम्मत टूट जाती है। आज के लड़के लड़कियों ने इस कथन को व्यभिचार का माध्यम बना लिया है – जहाँ प्रेम है, वहाँ शादी मत करो। लड़कियाँ शादी पैसे वाले लड़के से करती हैं। और लड़के मोटा दहेज देने वाली लड़की से। अब आपका अपना चुनाव है कि आप कॅास्मेटिक रिश्ते चाहते हैं या फिर नैसर्गिक रिश्ता।

लखनऊ की युवा वकील शिवानी कुलश्रेष्ठ की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. mk

    April 1, 2017 at 8:01 pm

    Jaisa ki Shivani ji ne kaha, ki wo ek wakeel hain, lekin mujhe to wakeel se jyada unki Lekhni me dam lagaa…! Kya wakya-vinyas hai?!!! Bahut Oomda likha hain inhoney… Sadhuwad Shivani ji.

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