झारखंड में मिला पत्रकार का शव, हत्या की आशंका, पिता का आरोप- करीबी महिला मित्र ने अपहरण कर कराई हत्या, जहर से मौत होने की हुई पुष्टि
हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग में एनएच 100 पर रेलवे ओवरब्रिज के समीप दैनिक जागरण के पत्रकार 28 वर्षीय हरि प्रकाश का शव सोमवार को संदिग्ध अवस्था में बरामद किया गया। परिजनों के आवेदन पर हरि प्रकाश की महिला मित्र प्रीति अग्रवाल व प्रीति के सहयोगियों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई है। शव के पास से पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें उन्होंने महिला मित्र पर प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
एसपी भीमसेन टुटी ने मामले की जांच डीएसपी स्तर के पदाधिकारी से कराने व उसका बिसरा एफएसएल जांच के लिए भेजने की बात कही है। हरि के पिता जीतन महतो ने पुलिस को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि उनके पुत्र का अपहरण कर करीबी महिला मित्र प्रीति अग्रवाल ने हत्या कराई है। प्रीति सदर अस्पताल में गुप्त रोग विभाग में बतौर सहायक कार्यरत है।
महतो ने कहा कि हरि प्रकाश ने घर में अपनी जान को खतरा बताया था तथा महिला मित्र द्वारा एचआइवी का इंजेक्शन लगाने की आशंका भी व्यक्त की थी। हत्या की आशंका को लेकर मेडिकल बोर्ड का गठन कर पोस्टमार्टम कराया गया। चिकित्सकों ने उसकी मौत जहर से होने की बात कही है। हरि प्रकाश 30 दिसंबर से गायब थे। इस बीच प्रीति अग्रवाल दो दिनों की छुट्टी लेकर ऑफिस से निकल गई हैं। इस पूरे मामले में पुलिस अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कह रही है। सुसाइड नोट के आधार भी वो पूरे मामले की जांच में जुटी है।
Rahul kaushal
January 3, 2017 at 3:58 pm
पत्रकारिता जगत, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की हत्या हुई
पत्रकारिता जगत, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की हत्या हुई
राजनीति के गलियारे पर भ्रष्टाचार और दबंगई के दौर में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इस समय बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। बिहार में पिछले 4 महीने में 3 पत्रकार और झारखण्ड में 2 पत्रकार की हत्या केवल उन 5 पत्रकारों की हत्या नही है, बल्कि पत्रकारिता जगत, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की हत्या है । पत्रकारिता की दुनिया के लिए यह काले दिन हैं, जब बुलेट से कलम का कत्ल किया गया, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरेआम खून किया जा रहा है।
अभी हजारीबाग के पत्रकार की मृत्यु की जाँच निष्पक्ष रूप से कराने की मांग ही हो रही थी की बिहार के समस्तीपुर से एक और कलम के सिपाही की बेरहमी से 7 गोली मारकर हत्या की सूचना मिली। आखिर इन हत्याओं के लिये हम कबतक केवल निंदा और श्रद्धांजलि देते रहेंगे ?
यह हत्याओं का न थमने वाला सिलसिला आखिर कब थमेगा ? कई खुलासों के बैंक तैयार करने वाले पत्रकार आम तौर पर सुबूत जुटाने में कई लोगों के निशाने पर हो जाते हैं। निशाना तबतक ही चूकता है, जबतक इन निशानेबाज़ों के हाथ, क़ानून और व्यवस्था की पकड़ से ढीले नहीं कर दिए जाते । यह वह कोण है, जिसमें राजनीति गंदी दिखायी पड़ती है क्योंकि भारत में पत्रकारों को सबसे ज्यादा खतरा नेताओं से है। पिछले 25 साल में सबसे ज्यादा उन पत्रकारों की हत्या हुई है जो राजनीतिक बीट कवर करते थे। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 25 सालों में जिन पत्रकारों की हत्या हुई है, उनमें 47 फीसदी राजनीति और 21 फीसदी बिजनेस कवर करते थे। ये आंकड़े साबित करते हैं कि देश में पत्रकारों के खिलाफ नेताओं और उद्योगपतियों का एक गठजोड़ काम कर रहा है। पत्रकारों का हर वह शख्स दुश्मन होता है जिसके हाथ काले कारोबार से सने होते हैं, नेता, पदाधिकिरी, माफिया, उग्रवादी, आतंकवादी सभी के लिये पत्रकार आंख की किरकिरी बना रहता है, उस पर से सितम यह, पत्रकार ही पत्रकार का दुश्मन होता है। अफ़सोस है ऐसे दोहरे चरित्र के पत्रकारों पर……कुकुर भी कुकुर का मांस नहीं खाता है……पर इन्हें अपने मृत भाई का सौदा करते हुये भी शर्म नहीं आती