जयपुर : वेबसाइट पर सरकारी विज्ञापन जारी करने के लिए पॉलिसी… मंत्रिमंडल ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा न्यूज वेबसाइट पर विज्ञापन जारी करने के लिए नवीन पॉलिसी गाइडलाइन जारी करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया हैं।
वर्तमान में प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में राजकीय विज्ञापन जारी किये जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर विभिन्न न्यूज वेबसाइट आमजन में काफी लोकप्रिय है, अतः समय की मांग के अनुसार पॉलिसी गाइडलाइन जारी होने से न्यूज वेबसाइट्स पर राज्य सरकार की रीति-नीति एवं जनकल्याणकारी योजनाओं/कार्यक्रमों का लाभ आमजन तक त्वरित गति से पहुंच सकेगा।
नवीन गाइडलाइन के अनुसार वेबसाइट डी.ए.वी.पी. में पंजीकृत होनी चाहिए। साथ ही उसके कुल कंटेंट का 50 प्रतिशत समाचार होना चाहिए। इस 50 प्रतिशत में से 25 प्रतिशत राजस्थान से संबंधित होना चाहिए। डी.ए.वी.पी. द्वारा बनाई गई ए, बी, और सी श्रेणी के अनुरूप प्रचलित विज्ञापन, आकार और दर राज्य सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले विज्ञापनों पर मान्य होगी।
डिजिटल पॉलिसी में सरलीकरण को लेकर जार ने मुख्यमंत्री को दिए सुझाव
- डीआईपीआर की ओर से रीजनल चैनल/समाचार पत्रों की तर्ज पर बनाई जाए विज्ञापन पॉलिसी और डीआईपीआर से सूचीबद्ध हो वेबसाइट।
- मुख्यमंत्री के नाम विशेषाधिकारी अनुराग वाजपेयी को दिया ज्ञापन
- न्यूज वेबसाइट में राजस्थान के कंटेट को बढ़ाकर पचास फीसदी किया जाए।
- न्यूज़ वेब साइट के पत्रकारों को अधिस्वीकरण कार्ड समेत अन्य लाभ दिए जाए।
- जयपुर। राजस्थान में न्यूज वेबसाइट की विज्ञापन पॉलिसी के नियमों में सरलीकरण को लेकर जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ राजस्थान (जार) की ओर से मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम विशेषाधिकारी अनुराग वाजपेयी को ज्ञापन दिया गया।
- ज्ञापन में डिजिटल पॉलिसी लागू किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया। जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव संजय सैनी की अगुवाई में पत्रकारों ने बताया कि इस पॉलिसी से न्यूज़ वेबसाइट संचालकों को फायदा मिलेगा। साथ ही पॉलिसी में कुछ प्रावधान से न्यूज़ वेबसाइट को होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया। इन प्रावधानों को हटाकर डीआईपीआर की ओर से रीजनल चैनल व समाचार पत्रों की तर्ज पर न्यूज़ वेबसाइट की विज्ञापन नीति के नियम बनाने की मांग की। जन-घोषणा पत्र में शामिल डिजिटल पॉलिसी का संकल्प राजस्थान में लागू करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताते हुए बताया गया कि पॉलिसी में कुछ प्रावधान ऐसे भी हैं, जिनसे अधिकाधिक न्यूज वेबसाइट को इसका फायदा मिलने में बाधा रहेगी, जैसे वेबसाइट पर विज्ञापन जारी करने के लिए डीएवीपी के नियमों को आधार बनाना, डीएवीपी की तर्ज पर भौतिक सत्यापन और यूनिक यूजर्स संख्या की गणना थर्ड पार्टी से करवाने, वेबसाइट पर डीएवीपी की दर, श्रेणी और आकार को आधार मानकर विज्ञापन दिया जाना, डीएवीपी से वेबसाइट सूचीबद्ध होना आदि प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें बड़े-बड़े मीडिया प्रतिष्ठान की न्यूज वेबसाइट भी फॉलो नहीं कर पाती है। ये प्रावधान प्रदेश की छोटी व मध्यम न्यूज वेबसाइट के हिसाब से नीतिगत नहीं है।
- वेबसाइट में यूनिक यूजर्स की गणना, भौतिक सत्यापन के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले साफ्टवेयर की कीमत लाखों रुपयों में होती है,जो हर न्यूज वेबसाइट संचालक खरीद नहीं सकता है। वहीं डीएवीपी में वेबसाइट को सूचीबद्ध करवाने के नियम और प्रक्रिया बहुत लम्बी-बोझिल है। कठोर नियमों व प्रावधानों के चलते राजस्थान से सिर्फ राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर की वेबसाइट ही डीएवीपी से सूचीबद्ध हो सकी है। दूसरे समाचार पत्र आज तक सूचीबद्ध नहीं हो पाए हैं। डीएवीपी की विज्ञापन दरें भी अव्यवाहरिक है।
- न्यूज वेबसाइट पॉलिसी में डीएवीपी से जुड़े नियमों व प्रावधान जैसे वेबसाइट पर विज्ञापन जारी करने के लिए डीएवीपी के नियमों को आधार बनाना, डीएवीपी की तर्ज पर भौतिक सत्यापन और यूनिक यूजर्स संख्या की गणना थर्ड पार्टी से करवाने, वेबसाइट पर डीएवीपी की दर, श्रेणी और आकार को आधार मानकर विज्ञापन दिया जाना, डीएवीपी से वेबसाइट सूचीबद्ध होना आदि प्रावधान हटाए जाए। राजस्थान की न्यूज वेबसाइट संचालकों को डिजिटल पॉलिसी से अधिकाधिक लाभ मिल सके, इसके लिए डी आई पी आर की ओर से विज्ञापन पॉलिसी बनाई जाए।
- ये दिए सुझाव
-डीएवीपी के बजाय सूचना व जनसंपर्क विभाग राजस्थान की ओर से न्यूज वेबसाइट को विज्ञापन जारी करने के नियम, प्रक्रिया और विज्ञापन दरें तय की जाए। जिस तरह से क्षेत्रीय समाचार पत्रों और रीजनल चैनल के लिए सूचना व जनसंपर्क विभाग राजस्थान ने विज्ञापन नीति लागू कर रखी है वैसे ही प्रावधान न्यूज वेबसाइट की विज्ञापन पॉलिसी के लिए तय की जाए।
-डीएवीपी के बजाय न्यूज वेबसाइट को सूचना व जनसंपर्क विभाग राजस्थान के जरिये सूचीबद्ध करने के प्रावधान किए जाए।
-वेबसाइट पर विज्ञापन प्रसारण के भौतिक सत्यापन और यूनिक यूजर्स की संख्या के संबंध में जिस तरह से रीजनल चैनल व क्षेत्रीय समाचार पत्रों की तर्ज पर सूचना व जनसंपर्क विभाग राजस्थान द्वारा जांच करवाई जाए।
-न्यूज वेबसाइट के संचालन में हर साल सर्वर, नेट, डॉमिन समेत अन्य मदों में काफी पैसा खर्चा होता है। ऐसे में न्यूज वेबसाइट संचालकों को एक साल में अधिकतम पचास हजार रुपये से एक लाख रुपये की एकमुश्त विज्ञापन सहायता के प्रावधान किए जाए। मध्यप्रदेश, हरियाणा सरकार इसी तरह की सहायता न्यूज वेबसाइट को प्रदान करती है।
-डीएवीपी की विभिन्न श्रेणियों के बजाय सूचना व जनसंपर्क विभाग राजस्थान की ओर से विज्ञापन श्रेणियां तय की जाए, जिसमें सभी न्यूज वेबसाइट संचालकों को अधिकाधिक लाभ मिल सके इसके लिए चार श्रेणियां (ए,बी,सी,डी) तय करके विज्ञापन तय किए जाए।