दुर्गसिंह राजपुरोहित-
बिजनेस कम्पीटीशन के कारण कमलेश को राजस्व मंत्री और उसके भाई ने मरवाया- परिजन
- हरीश चौधरी पहले ही कह चुके “जांच में सब साफ़ हो जाएगा, आरोप निराधार”
बाड़मेर। बाड़मेर में 22 अप्रेल 2021 को पुलिस की गोली से मारे गए कमलेश प्रजापत प्रकरण को सीबीआई जांच रही हैं। इस बीच सीबीआई के बाड़मेर कैम्प में ज्ञापन देने आए मृतक कमलेश के परिजनों और प्रजापत समाज के लोगों ने राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और मंत्री के “बिजनेसमैन” भाई पर गम्भीर आरोप लगाते हुए सनसनी फैला दी। आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ हरीश चौधरी के रिश्ते हमेशा से ही सुर्खियों में रहे हैं। बाड़मेर के बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई कर रही है। मृतक कमलेश प्रजापत के भाई भैराराम प्रजापत ने राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, मंत्री के भाई मनीष चौधरी, कमलेश की एक महिला मित्र के साथ बाड़मेर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
मृतक कमलेश के भाई और संघर्ष समिति के सदस्यों ने सीबीआई के दिल्ली कार्यालय को कैंप बाड़मेर के मार्फ़त भेजे मांग पत्र में यह आरोप लगाए हैं। वहीं मंत्री हरीश चौधरी पहले भी कह चुके हैं “कि आरोप लगाए गए हैं वे निराधार हैं। इन आरोपों की जांच किसी भी एजेंसी से करवा सकते हैं।
बीते कई सालों से था सम्पर्क में
मांग पत्र में परिजनों ने लिखा है कि कमलेश 15-16 वर्ष का था तभी से राजस्व मंत्री हरीश चौधरी व उनके भाई मनीष के संपर्क में आ गया था और इनके लिए काम करता था और राजनीतिक कार्यों में सहयोग करता था। कमलेश ने 2014 में केके इंटरप्राइजेज फर्म बना ली थी। पचपदरा रिफायनरी में कार्य प्रारंभ होने से राजस्व मंत्री व मनीष को कमलेश की फर्म को काम मिलने से व्यापारिक प्रतिस्पर्द्वा हो गई थी।
साण्डेराव प्रकरण में ₹10 लाख लिए मनीष ने.
मृतक कमलेश के भाई भैराराम ने आरोप लगाया कि सांडेराव पुलिस द्वारा गलत रूप से फंसाए जाने पर कमलेश ने पाली पुलिस से बात की थी। इस पर वहां से पुलिसकर्मियों ने कहा कि राजस्व मंत्री हरीश चौधरी कह देंगे तो मुकदमे में नाम हटा देंगे। कमलेश मंत्री से मिला तो उनके भाई मनीष से मिलकर बात करने को कहा। इस पर मनीष ने कमलेश से 10 लाख रुपए लिए कि सांडेराव वाले मामले में नाम हट जाएगा। इसके बाद भी सांडेराव पुलिस दबाव बना रही थी। कमलेश वापिस मिला तो हरीश चौधरी ने उसे वहां से निकाल दिया था। इस पर कमलेश ने मनीष से 10 लाख रुपए वापिस मांगे और मनीष को धमकी दी कि रुपए लौटा देना नहीं तो मार दूंगा, तब मनीष ने कहा कि तुम जिंदा रहोगे तो मारोगे। हालांकि बीते दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कमलेश के परिजनों के इन आरोपों को लेकर मंत्री हरीश चौधरी ने बात की तो उनका कहना है, मैंने खुद ने बोला था कि सीबीआई से जांच हो। सीबीआई जांच कर रही है, जो आरोप लगा रहे हैं वे सारे आरोप झूठ है। जो यह आरोप लगा रहे हैं इसके लिए कोई भी एजेंसी जांच कर सकती है। सच तो सच ही रहेगा।
पुलिस पर भी गम्भीर आरोप
मृतक कमलेश के परिवारजनों ने आरोप लगाया है कि एनकाउंटर के दिन सांडेराव प्रकरण में पाली के सुमेरपुर इलाके के डिप्टी से कमलेश की व्हाट्सएप कॉलिंग हुई थी। कमलेश ने 23 अप्रैल को सांडेराव आने का बोला था। डीएसपी ने भी नाम हटाने के लिए पैसे मांगे थे। कमलेश ने मांगी गई राशि भी एकत्रित करके रख ली थी। कमलेश के भाई ने डीएसपी व कमलेश की व्हाट्सएप कॉल डिटेल की जांच करवाने की मांग की है। सांडेराव में दर्ज प्रकरण में कमलेश आरोपी नहीं था। पुलिस कांस्टेबल पुरखाराम कमलेश के घर आता रहता था। कई अन्य पुलिसकर्मी भी कमलेश के घर आकर पार्टी करते थे। गाड़ियों की जरूरत होने पर कमलेश से मांग कर ले जाते थे। कमलेश का पुलिसकर्मियों के साथ उठना-बैठना भी था।
एक महिला मित्र सवालों के घेरे में
मृतक कमलेश के भाई ने यह आरोप भी लगाया कि सदर थाने के पास रहने वाली एक महिला से कमलेश से घनिष्ठ दोस्ती थी। एनकाउंटर के दिन महिला मित्र ने पुलिस से मिलकर कमलेश को व्हाट्सएप पर कॉल में लगाए रखा।
एनकाउंटर से पहले एफआईआर
आरोप यह भी लगाया है कि एफआईआर नम्बर 136/2021 की प्रमाणित प्रति न्यायालय में प्रस्तुत करने की तिथि 22 अप्रैल शाम 7 बजे की है। जबकि एफआईआर में दर्ज तारीख 23 अप्रैल 12:46 बजे दर्शाया गया है। ऐसे में दर्ज होने से पहले एफआईआर कैसे प्रस्तुत हो सकती है। आरोप है कि कमलेश का फर्जी एनकाउंटर बताकर हत्या की गई है। उल्लेखनीय है कि कमलेश प्रजापत का 22 अप्रैल की रात को पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। 23 अप्रैल से परिजनों और समाज के लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की ।
झूठी कहानी रचने के आरोप
ज्ञापन में यह आरोप लगाया गया है कि घटना के बाद बिना नंबर की एक लग्जरी फॉर्च्यूनर गाड़ी घटनास्थल से दो सौ मीटर दूर आई जिसमें से कुछ अज्ञात लोगों ने बैग में सामान भी वहां पर पुलिस को सौंपा जो पुलिसकर्मी कमलेश के घर ले गए। यह भी आरोप लगाया गया कि मृतक कमलेश के निवास पर लगे सीसीटीवी कैमरे और स्टोरेज डीवीआर को भी पुलिस सबूत मिटाने के लिए अपने साथ ले गई जिसकी जांच जरूरी है।
सीबीआई को भेजे पत्र में उन्होंने लिखा है कि मोबाइल लैपटॉप भी पुलिस के कब्जे में है और उनमें कई सबूत हो सकते हैं।
जगविंदर सिंह लुक्खा
July 13, 2021 at 4:49 pm
इसे तो पँजाब में भी टिकट के एवज में पैसा वसूली पर कमरे में बन्द कर बिना कपड़ों के कैद कर ठुकाई की थी।