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कोरोना के शिकार हुए प्रबंध सम्पादक के परिवार को सरकार ने मकान से किया बेदखल

भोपाल : कोरोना वायरस के शिकार होकर जान गवाने वाले दैनिक नईदुनिया के प्रबंध संपादक राजेन्द्र तिवारी के परिवार को मुख्यमंत्री की बेरुखी के चलते शासकीय मकान खाली करना पड़ा।

यह घटना मीडिया के प्रति सरकार की असंवेदनीलता को प्रदर्शित करता है। स्वर्गीय राजेन्द्र तिवारी जी के पिता अख़बार के संस्थापक होने के साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। ऐसी समृद्ध विरासत वाले परिवार को सरकार ने आज शासकीय मकान से बेदखल कर दिया है।

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दुखद तो यह है कि कोरोना संक्रमण के खतरनाक दौर में भी सरकार की संवेदनशीलता इस मामले में दूर दूर तक दिखाई नहीं दी। श्री तिवारी के निधन के बाद तेरहवीं भी नहीं हो सकी थी और परिवार सदमे के साथ साथ क्वारेंटाइन भी था लेकिन सरकारी अमला मकान खाली कराने जा पहुंचा। बस यहीं से शुरू हुई प्रताड़ना की कहानी।

बीते दो माह में अनेकों बार मुख्यमंत्री से मुलाकात का प्रयास इस परिवार की तरफ से किया गया किन्तु मजाल है कि समय मिल जाए। ऐसा भी नहीं था कि मुख्यमंत्री तक सूचना नहीं पहुंच रही थी। राजनेताओं से लेकर संघ के प्रतिनिधियों तथा वरिष्ठ पत्रकारों ने भी प्रयास किया ताकि मकान खाली न कराया जाए और इसे श्री तिवारी के सुपुत्र के नाम आवंटित कर दिया जाय, जो कि करीब तीस वर्ष से यहीं निवास करते हुए अख़बार संभाल रहे हैं। लेकिन सारे प्रयास बेमानी साबित हुए।

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मुख्यमंत्री से आग्रह करने वालों में कई बड़े भाजपा नेता और संघ के भी कुछ महत्वूर्ण व्यक्ति शामिल थे।लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया अंततः मकान खाली होने के रूप में सामने आई। असंवेदशीलता की पराकाष्ठा यह भी है कि निधन पर संवेदनाएं व्यक्त करने की औपचारिकता का भी निर्वाह नहीं किया गया।

प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक नईदुनिया के प्रबंध संपादक स्वर्गीय श्री राजेंद्र तिवारी को आवंटित आवास C8, 74 बंगले को खाली कराने की कार्यवाही संपदा विभाग के अधिकारियों ने प्रारंभ कर दी।
यहा

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राजेंद्र तिवारी का गत 27 मई को कोरोना संक्रमित होने के कारण चिरायु अस्पताल में निधन हो गया था। परिवार के अन्य सदस्य भी संक्रमित थे। परिणामतः उनका आवास पूरी तरह 1 माह तक प्रतिबंधित क्षेत्र बना दिया गया था।

इसी बीच शासन ने उनके आवास को एक नवनियुक्त मंत्री को आवंटित कर दिया एवं उनके परिवार को आवास खाली करने का नोटिस दे दिया। स्वर्गीय तिवारी के पुत्र श्री अपूर्व तिवारी ने मुख्यमंत्री से उक्त आवास अपने नाम आवंटित करने का अनुरोध किया था क्योंकि अपने पिता के उपरांत वह समाचार पत्र के संपादक एवं प्रकाशक बने थे।

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उक्त आवास में श्री अपूर्व तिवारी अपनी 82 वर्षीय वृद्ध माता एवं परिवार के साथ निवास कर रहे थे। यहां उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय राजेंद्र तिवारी प्रदेश की हिंदी पत्रकारिता के प्रमुख स्तंभ एवं दैनिक हिंदी समाचार पत्र नई दुनिया के संस्थापकों में एक स्वर्गीय श्री नरेंद्र तिवारी के पुत्र थे जो कि प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण अंग्रेजी शासन में वे कई बार जेल भी गए।

श्री अपूर्व तिवारी के नाम मकान आवंटित करने का प्रदेश के अनेक प्रबुद्ध व्यक्तियों ने मानवीयता और संवेदना के आधार पर शासन से आग्रह किया था। किंतु संपदा विभाग ने 2 सितंबर को नोटिस देकर 5 सितंबर तक उसे खाली करने का निर्देश दिया। 5 सितंबर दोपहर 1:00 बजे संपदा विभाग के अधिकारी पुलिस बल के साथ मकान खाली कराने के लिए उनके निवास पर पहुंच गए। उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कुछ समय की मांग की, किंतु बेदखली करने आए अधिकारियों ने अस्वीकृत कर दिया। अंततोगत्वा श्री अपूर्व तिवारी ने सांयकाल से मकान खाली करने पर सहमति प्रदान कर दी और उसे खाली करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी।

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कोरोना की बीमारी ने उनसे उनके पिता को छीन लिया और मध्यप्रदेश शासन ने उनसे आवास छीन लिया।

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