संजय कुमार-
बिहारशरीफ। हर तीन साल पर लगने वाला राजकीय राजगीर मलमास मेला खत्म हो गया है। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए मेला शुरू होने से कई माह पूर्व से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। जिला प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं से संबंधित जानकारियां लोगों तक पहुंचने में नालंदा जिले के अधिकांश मीडियाकर्मी लगे हुए थे। इसका असर हुआ कि इस बार मेला में सरकारी अनुमान से कई गुना अधिक श्रद्धालु राजगीर आए।
बताया जाता है कि जिला प्रशासन द्वारा मीडिया कर्मियों को समाचार कवरेज के लिए परिचय पत्र उपलब्ध करवाया गया था, ताकि मीडिया कर्मी बेरोकटोक समाचार संकलन कर अपने-अपने संस्थानों को भेज सकें। एक माह की मेला समाप्ति पर 16 अगस्त को जिला प्रशासन द्वारा मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों की सूची देखकर मीडिया कर्मी अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं।
मेला का बढ़िया कवरेज करने वाले मीडिया कर्मियों को सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा कुछ नामी गिरामी मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकारों तथा अपने चहेते लोगों को सम्मानित किया गया। बाकी पत्रकार जिन्होंने मलमास मेला के दौरान बेहतरीन ढंग से मेला का कवरेज किया है, उन लोगों को दरकिनार कर दिया गया। इससे कई पत्रकार अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं।
बताया जाता है कि मीडिया कर्मियों के लिए राजगीर मलमास मेला में दो स्थानों पर मीडिया सेंटर बनाया गया था, परंतु यहां वाई-फाई की सुविधा के अलावा कोई सुविधा नहीं उपलब्ध करवाई गए थी।
इस संबंध में बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन नालंदा के पूर्व जिला महासचिव संजय कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत कई जानकारियां मांगी हैं-
-राजगीर मलमास मेला के दौरान दो मीडिया सेंटर बनाया गया था, उस पर कितनी राशि खर्च की गई एवं मीडिया कर्मियों के लिए क्या-क्या सहूलियत दी गई थी।
-कितने मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया गया। सभी का नाम तथा मीडिया कर्मी किस संस्थान में कार्यरत हैं, इसका भी विवरण दें।
-राजगीर मलमास मेला में समाचार संकलन के लिए कितने लोगों को पास निर्गत किया गया है, किस संस्थान में कार्यरत हैं।