Yashwant Singh-
और लखनऊ में Rajiv Tiwari Baba ने मुझे परम पिता से साक्षात्कार करवा दिया!
दरअसल जब मन निर्मल और चित्त शांत हो, आकांक्षा-वासना का दबाव न हो तो आप प्रकृति नेचर को फ़ील करने लग जाते हैं।
ऐसे में कोई गुरू कोई साधक कोई प्रज्ञावान व्यक्ति आपको बहुत हौले से स्पर्श कर एक नए वायब्रेशन का फ़ील करा जाता है।
मुझे आनंद आया!
दस बीस मिनट खुद को देना चाहिए ताकि आंतरिक यात्राओं के माध्यम से मनुष्य होने के मक़सद को महसूसा जा सके।
हम ध्यान योग कर खुद को जाग्रत कर सकते हैं, यही चीज़ हमें हर जीव से सबसे अलग और सबसे बड़ा बनाती है।
देखें, करें, महसूसें!