ख़बरविहीन पत्रकारिता के दौर में नया अखबार आने की खबर
खबरविहीन पत्रकारिता के दौर में एक अच्छी खबर यह है कि छत्तीसगढ़ से एक नया अखबार निकलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। यह सिर्फ ‘एक और अख़बार’ नहीं होगा, बल्कि सचमुच का एक अखबार होगा, जिसमें लोगों को खबरें मिल सकेंगी। सिर्फ वे खबरें नहीं जो वे पढ़ना चाहते हैं, बल्कि वे खबरें भी जो वे अमूमन नहीं पढ़ते हैं, पर उन्हें पढ़ना चाहिए। नए अखबार के लिए राजकुमार सोनी एक ऐसी टीम बनाने में लगे हुए हैं, जो टेबल-पत्रकारिता से इतर फील्ड रिपोर्ट पर आस्था रखती हो।
राजकुमार सोनी छत्तीसगढ़ के प्रतिबद्ध पत्रकार हैं। कला व संस्कृति जगत से जुड़े रहे। थिएटर भी किया। यह रिश्ता पत्रकारिता से पुराना है तो स्वाभावतः अखबार में इन विषयों की धमक भी सुनाई पड़ेगी। साहित्य, संस्कृति, कला विषयक सरस स्तम्भों के लिए विशेष तैयारी की जा रही है, जो खास तौर पर हिंदी पट्टी के इस इलाके में इनसे पाठकों के बीच बन गई दूरी को पाट सके। बेशक तमाम विषयों के केंद्र में छत्तीसगढ़ और छतीसगढ़ी तो होंगे ही।
राजकुमार सोनी के पास ‘जनसत्ता’ और ‘तहलका’ का अनुभव तो है ही। वे कहते हैं कि ऐसे समय में जब हिंदी पत्रकारिता संकट में है और वास्तविक पत्रकारों से रोजगार छिन रहे हैं, ‘मीडिया रिसर्च एन्ड एनालिसिस पब्लिकेशन’ एक ऐसा अखबार लेकर सामने आ रहा है, जो बीते दिनों की पत्रकारिता के गौरव के अनुकूल होगा। यहाँ अवसर भी उन्हें ही मिल पायेगा जो सचमुच ही आज के कठिन समय में भी पत्रकार ही हैं। उक्त प्रतिष्ठान के मालिक विपुल शिंदे अखबार के प्रधान संपादक होंगे।
अखबार नए साल की शुरुआत तक लोगों के घरों में कुंडियां खटकायेगा। अलबत्ता इसके टाइटिल को लेकर फिलहाल ‘सस्पेंस’ बरतने की हिदायत है।
-दिनेश चौधरी