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जिस पत्रकार ने देह व्यापार का खुलासा किया, दैनिक जागरण ने उसे ब्लैकमेलर बता दिया… पीड़ित ने भेजा लीगल नोटिस

Ranjeet Yadav : मित्रों दैनिक जागरण के प्रधान संपादक / स्थानीय संपादक को मैंने लीगल नोटिस भेज दिया है. 15 दिनों के अंदर गलत ख़बर पर खेद प्रकाशित नही करेंगे तो मानहानि का मामला कोर्ट में किया जाएगा. गोरखपुर में बीते दिनों मैंने एक देह व्यापार को लेकर पोस्ट डाली थी. उस प्रकरण को मैंने बड़ी गंभीरता से उठाया था जिसे गोरखपुर पुलिस ने संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही की और सभी अखबारों ने इस प्रकरण पर खबर लिखी. किन्तु दैनिक जागरण ने अपने खबर में मुझे ही ब्लैकमेलर बना दिया. उनकी खबर में क्या लिखा गया है, मैं बताता हूँ. साथ ही, मेरे मन मे उठे सवालों को भी आप जानिए.

Ranjeet Yadav : मित्रों दैनिक जागरण के प्रधान संपादक / स्थानीय संपादक को मैंने लीगल नोटिस भेज दिया है. 15 दिनों के अंदर गलत ख़बर पर खेद प्रकाशित नही करेंगे तो मानहानि का मामला कोर्ट में किया जाएगा. गोरखपुर में बीते दिनों मैंने एक देह व्यापार को लेकर पोस्ट डाली थी. उस प्रकरण को मैंने बड़ी गंभीरता से उठाया था जिसे गोरखपुर पुलिस ने संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही की और सभी अखबारों ने इस प्रकरण पर खबर लिखी. किन्तु दैनिक जागरण ने अपने खबर में मुझे ही ब्लैकमेलर बना दिया. उनकी खबर में क्या लिखा गया है, मैं बताता हूँ. साथ ही, मेरे मन मे उठे सवालों को भी आप जानिए.

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(1) अखबार लिखता है कि सोशल नेटवर्क पर ये प्रकरण कई दिनों से चल रहा था।

-लेखक साहब, आखिर चल रहा था तो आपने संज्ञान में लेकर ख़बर क्यों नहीं लिखी… डेली अखबार है आपका.. समाज को जागरूक करने का दायित्व बनता है…

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(2) अखबार ने लिखा है कि वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया गया।

-आखिर वीडियो जब हमने डाली ही नहीं तो आपने कहाँ से वीडियो का जिक्र किया… अगर वीडियो डाली गई तो कब, कहाँ कैसे देखी आपने.. सोशल नेटवर्क की लिंक का जिक्रक्यों नहीं किया… उसी आधार पर ब्लैकमेलर से बात करनी चाहिए थी…

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(3) ख़बर में लिखा गया है कि होटल के कर्मचारी ने बताया कि वे हमें ब्लैकमेल कर रहे थे।

-भाई आपसे एक अपराधी कहता है कि वीडियो बनाने वाले ने हमें ब्लैकमेल करने का प्रयास किया तो आपने जरूर ब्लैकमेल करने वाले के खिलाफ पुख्ता सबूत लिए होंगे.. फिर आपने उन सबूतों का जिक्र अपने ख़बर में क्यों नहीं किया।

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(4) अखबार ने निर्णय कर दिया कि ब्लेकमेलर पोस्ट डालने वाला ही है…

-भाई तब भी आपको मेरा पक्ष लेना बनता है… आपने एक पक्ष की ही ख़बर क्यों लिखी जबकि आप लिख रहे हैं कि मामला कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रहा है.. तब तो आपको मेरे बारे में विधिवत जानकारी थी क्योंकि लगातार आप मेरी पोस्ट को वाच कर रहे थे।

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सबसे बड़ा सवाल —

मित्रों, पुलिस चौकी महज 200 मीटर की दूरी पर है और अखबारों ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठाई… फिर आपके अख़बार के कालम से ये विशेष हिस्सा कैसे छूट गया और जो खबर का हिस्सा ही नहीं बना। मेरे जैसे व्यक्ति ने जान जोखिम में डाल कर इतना बड़ा रिस्क इस शहर के परिवारों के लिए उठाया, फिर आपके अखबार में मेरे लिए स्थान क्यों नहीं? मित्रों ये सब प्लानिंग कर मुझे बदनाम करके होटल मालिकों के हृदय में स्थान बनाने का एक प्रयास था? हो भी सकता है कि इस संस्थान के ज़िम्मेदारों द्वारा मेरे खिलाफ कोई बड़ा षड्यंत्र रच कर फंसाया जाए या फिर हत्या भी कराई जा सकती है… जैसा कि प्रतीत होता है.. अगर कभी कोई अप्रिय घटना मेरे साथ होती है तो इसके प्रथम जिम्मेदार यह अखबार होगा.. उसके बाद कोई अन्य होगा.. इस पूरे प्रकरण के गवाह आप सभी हैं।

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गोरखपुर के युवा पत्रकार रंजीत यादव की एफबी वॉल से.

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