योर स्टोरी डॉट कॉम के हिंदी सेक्शन की एडिटर रंजना त्रिपाठी लाक डाउन से दो रोज पहले दिल्ली आईं थीं, दो दिनों के लिए. अब तक वे दिल्ली में ही हैं.
उनकी कंपनी में वर्क फ्राम होम का कल्चर पहले से है. सो उन्हें यहां रहकर भी कामकाज करने की सहूलियत कंपनी ने दे रखी है. प्रभात खबर अखबार से अपना पत्रकारीय करियर शुरू करने वाली रंजना त्रिपाठी के कहानी और कविता के एक-एक संग्रह आ चुके हैं.
रंजना ने भड़ास एडिटर यशवंत से आनलाइन वीडियो इंटरव्यू में खुलकर बहुत सारी बातें कहीं-बताईं. उन्होंने महिलाओं के नजरिए से बताया कि मीडिया में लड़कियों के लिहाज से बहुत गंदगी है. रंजना अपने अतीत, अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं, अपनी पसंद-नापसंद आदि के बारे में बेबाक तरीके से बोलीं.
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Yashwant Singh : लॉकडाउन में नोएडा आ जाने का एक फायदा हुआ मुझे. धड़ाधड़ इंटरव्यू कर रहा. घर में ब्राडबैंड है. अब जूम भी है. बस, तैयार हो गया स्टूडियो. कल खेल-खेल में शुरू ये कवायद अब थोड़ा गंभीर मोड़ लेने लग गया.
आज बीबीसी फेम वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी से गुफ्तगू का मौका मिला तो बेंगलुरु की एक महिला पत्रकार रंजना त्रिपाठी ने भी अपनी स्टोरी बयां कर दी.
दरअसल रंजना त्रिपाठी योरस्टोरी डॉट कॉम के हिंदी सेक्शन की एडिटर हैं. उनकी कंपनी संघर्ष कर सफल हुए लोगों की कहानियां सुनाती-छापती है. रंजना ने बहुत सारे सफल लोगों के इंटरव्यू अपने यहां किए. पर खुद रंजना का इंटरव्यू पहली दफे हुआ. इस बात का जिक्र उन्होंने इस बातचीत में भी किया है. मैंने कहा- भड़ास तो इसीलिए है, पत्रकारों की कहानी कहने के लिए.
रंजना से बात करने से दो फायदे हुए. एक तो ये आरोप न लगेगा कि मैं केवल मर्दों से बतिया रहा हूं, महिलाएं इग्नोर की जा रहीं. सेकेंड, रंजना लॉकडाउन से दो रोज पहले दिल्ली आईं थीं और मजबूरन अब तक यहीं अंटकी हुई हैं. उनसे आनलाइन बात कर उनके ग़म को शेयर किया. उन्हें थोड़ा डराया भी. मान लीजिए आपको कोरोना हो गया और मरने वाली हैं, ऐसे में आप क्या काम करेंगी, क्या कहना चाहेंगी…? है न भयंकर सवाल 😀
जवाब सुनने के लिए रंजना का इंटरव्यू देखें.
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से