सुब्रत राय और अशोक चौधरी छूट गए तो रवि शंकर दूबे को क्यों तिहाड़ में छोड़ दिया?
सुप्रीम कोर्ट की नीयत पर आम जनता का सवाल… सहारा सेबी प्रकरण मे बीते दो साल से जेल मे बंद सुब्रत रॉय को उनकी माता जी के निधन के चलते पेरोल मिल गई। इसी बहाने उनके बहनोई अशोक चौधरी भी बाहर आ गए। अब जेल मे रह गए बेचारे रवि शंकर दूबे। इतना ही नहीं अब सेबी मे जमा करने वाली रकम एकत्र करने की दलील देकर पेरोल भी जुलाई तक बढ़वा ली। दस हजार करोड़ की जमानत राशि मे से दो परसेंट यानी दो सौ करोड़ दो महीने मे देने हैं। दो साल से रकम जुटाने में असफल रहे सहारा समूह के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं।
लेकिन इन सबके बीच रवि शंकर दूबे को कोर्ट ने उपेक्षित कर दिया। इस पर काम के बोझ तले दबे होने की दुहाई कोर्ट दे सकता है। यहाँ नीयत पर सवाल उठना लाजमी है। कोर्ट की भी और सहारा समूह.की भी। आखिर एक ही मामले मे जेल गए तीन लोगों मे से दो को पेरोल और एक को नहीं.. क्यों। सहारा समूह के करता धरता परिवार परिवार का ड्रामा करके अब तक जमा करताओं और कार्य करताओं का शोषण करते आए हैं। अब तक वेतन आदि रोक कर छोटे नौकरों का शोषण हो रहा था अब बड़े नौकर की बारी है। नौकर तो नौकर है चाहे चपरासी हो या डायरेक्टर। सुप्रीम कोर्ट रवि शंकर दुबे को भी पेरोल दे या तेरही के बाद सुब्रत रॉय और उनके बहनोई को भी जेल के अंदर करे। अनयथा सुप्रीम कोर्ट की नीयत पर सवाल तो उठेंगे ही। वैसे जमा कर्ताओं और कार्यकर्ताओं को लेकर सहारा समूह की बदनीयती पर अब कोई शक नहीं रहा।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.