रवीश कुमार-
ED जी, नमामि गंगे प्रोजेक्ट में करप्शन का आरोप लगा कर मंत्री दिनेश खटीक लखनऊ चले गए, कोई रेड होने वाला है?
हरियाणा में भी शिक्षक भर्ती को लेकर हाईकोर्ट का फ़ैसला आया है,अगर नीति ग़लत थी, भ्रष्टाचार हुआ तो ऐसा करने वालों के यहाँ ED जी आप छापा कब डालेंगे?
इस ख़बर को देखिए। 2017 में नियुक्ति होती है। पाँच साल पढ़ाने के बाद इन्हें हटाने का आदेश आया है। सैंकड़ों शिक्षक हैं। ये लोग किस तनाव से गुज़र रहे हैं? मुझे तो यह कहानी समझ नहीं आ रही लेकिन कोई भी चैन से नहीं है। यह सोच रहा हूँ कि अगर इनमें से ज़्यादातर फ़ेसबुक और व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी में धार्मिक उन्माद वाले पोस्ट करते रहे होंगे तो उन्हें कितना झटका लगा होगा। 2012 में फार्म निकला था। किसी की भी गलती से ऐसा हो रहा है, कितना भयावह है।मगर अब यह सब राजनीति का मुद्दा नहीं रहा।
इसे पढ़ कर आशान्वित न हों। हम भी परेशानी झेल रहे हैं। हर जगह की स्टोरी करने के संसाधन नहीं हैं और न हम कर सकते हैं। मैंने कई बार कहा है कि पत्रकारिता ख़त्म हो जाएगी, राजनीति से मुद्दे ख़त्म हो जाएँगे तो नुक़सान केवल हम जैसे पत्रकारों का नहीं होगा बल्कि जनता का भी होगा।
आज ही बिलासपुर से एक परेशान नौजवान का फ़ोन आया था।रेलवे भर्ती बोर्ड को लेकर। क्या कर सकते हैं। अफ़सोस ही होता है। अपने मुद्दे अपने पास ही रखिए।
जो चार पाँच लोग पत्रकारिता कर रहे हैं, उनसे तो सारी ख़बरें नहीं होंगी न। ये बचे हुए पत्रकार भी अब बात केवल जेल की करते हैं। जेल से बचने और भेज दिए जाने की करते हैं।
आप नौजवानों की इस बहुत भूमिका है। आपने होश में इस माहौल को बनाया है। तो थोड़ा आप भी झेल लीजिए।
धीरे धीरे ऐसी ख़बरों को फ़ेसबुक पर लिखना भी मुश्किल हो जाएगा। पता नहीं कौन केस कर दे कि जो पोस्ट किए हैं वो फेक है। अब इसे लेकर किससे पूछने जाएँ और कौन है बताने के लिए। हर रिपोर्ट में देखिए, प्रशासन और सरकार का जवाब नहीं होता है। केवल राजनीतिक बयान होते हैं और जनता उन बयानों के पीछे झूम रही है।
एक गाना चाहें तो सुन सकते हैं क्रांति फ़िल्म का। वो जवानी जवानी नहीं, जिसकी कोई कहानी न हो।
भारत के युवाओं, तुम्हारी कोई कहानी नहीं है।