Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

रवीश कुमार ने ग़लती मानी और माफी मांगी

Ravish Kumar-

मुझसे हुई ग़लती के बारे में सार्वजनिक सूचना… मुझसे एक ग़लती हुई है। प्राइम टाइम के पिछले कई एपिसोड में मैं कृषि को लेकर सरकार द्वारा किए गए आंकड़ों की भ्रामकता को उजागर कर रहा था कि किस तरह सही लगने वाली ये सूचनाएं पूरी नहीं हैं। आधी अधूरी हैं और इसलिए सही नहीं हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस क्रम में 14 जनवरी के एपिसोड में एक ग़लती ख़ुद भी कर बैठा। उस ग़लती से सरकार के एक पोस्टर का विश्लेषण ग़लत हो गया।

ग़लती ये थी कि पोस्टर में बारीक अक्षरों में लिखे ‘10 जनवरी तक के आंकड़े’ से नज़र हट गई। इसकी जवाबदेही मेरी है। रेल मंत्री 5 दिसंबर से धान की ख़रीद को लेकर ट्विट कर रहे हैं जिसमें तब देश में हुई धान की कुल ख़रीद में पंजाब का हिस्सा 60 प्रतिशत था जो 10 जनवरी तक घटकर 38 प्रतिशत हो गया। हम लगातार घटते हुए आँकड़े को उजागर कर रहे थे। उसी क्रम में ये पोस्टर भी मिला।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने अपने कार्यक्रम में ये वाला हिस्सा पढ़ा था-

-“इस पोस्टर में आप पढ़ सकते हैं। सरकार कह रही है कि 19-20 में 423 लाख मिट्रिक टन धान की ख़रीद हुई। और इस साल अब तक 543 लाख मिट्रिक टन। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 26 प्रतिशत अधिक हो चुकी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-अब इन्होंने पहली गलती यह की है कि धान लिखा है मगर डेटा दिया है चावल का।

-जब आप department of food and public distribution की साइट पर जाएंगे तो पता चलेगा कि 19-20 में कुल 519 लाख मिट्रिक टन चावल की खरीद हुई थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

-इस डेटा के हिसाब से अब तक जो खरीद हुई है वो 26 प्रतिशत अधिक कैसे हो गई?”

अब आगे मेरी बात-

Advertisement. Scroll to continue reading.

department of food and public distribution की साइट पर हमने आंकड़ों को चेक किया कि सरकार कहां से हर दिन के हिसाब से धान की ख़रीद का आंकड़ा लाती है। वहां हमें महीने के हिसाब से डेटा मिला, दिन के हिसाब से नहीं। 2019-20 में धान की ख़रीद 773 लाख मिट्रिक टन से अधिक हुई थी।

अब FCI के मानक के हिसाब से एक क्विंटल धान से 67 किलो चावल निकलता है। तो इस हिसाब से 2019-20 में 519 लाख मिट्रिक टन चावल की ख़रीद हुई होगी। हमें लगा कि ये धान का डेटा नहीं होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने यह समझ लिया और बोल दिया कि कुल चावल की ख़रीद तो 519 लाख मिट्रिक टन ही हुई थी और सरकार चावल की जगह धान लिख रही है। 423 लाख मिट्रिक टन धान लिखा है। अगर 10 जनवरी वाली बात पर ध्यान गया होता तो गलती नहीं होती। बाद में जब लोगों ने रेल मंत्री के एक ट्विट में 10 जनवरी के संदर्भ का ज़िक्र का ध्यान दिलाया तो अपनी गलती का अहसास हुआ।

मुझसे ऐसी चूक कम होती है। मगर हुई है। इसका मुझे खेद है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ऐसी गलती से गोदी मीडिया के लोग उत्साहित न हो। अगर उन्हें चिन्ता है तो मेरे कार्यक्रम में सरकार के आंकड़ों को लेकर जो चुनौतियां पेश की गई हैं उनकी करें। जिस तरह की भ्रामकता फैलाई जा रही है उसे लेकर सोचें।

आज ही बताया है कि कैसे फसल बीमा को लेकर तरह तरह के ट्वीट किए गए हैं जिनसे और भ्रम ही फैलता है। उन ट्वीट की भी जांच की गई है जो ज़मीन की वास्तविक कहानियों से मेल नहीं खाते हैं।

एक गलती तो यही पकड़ी कि एक ट्विट में कहती है कि फसल बीमा योजना 18 फरवरी 2016 को लांच हुई थी तो एक ट्वीट में कहती है कि 13 जनवरी 2016 को लांच हुई थी। एक बयान में कृषि मंत्री कहते हैं कि अप्रैल 2016 में लांच हुई थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पर नोटिस जारी हुआ है। मैं जवाब दे दूँगा लेकिन हैरानी की बात ये है कि मैं अपने कार्यक्रम में इतनी ग़लतियाँ और झूठ पकड़ता हूँ उसका कोई जवाब नहीं आता है।

पोस्टर ये है –

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement