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अखबार खोल ठगी करने वाला संपथ जेल से छूटा, केस दिल्ली क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर

Mukund Mitr : संपथ कुमार सलाखों से बाहर, हैदराबाद पुलिस ने केस दिल्ली क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया… दोस्तो, अपने कर्मचारियों, प्रिंटर्स और अन्य का करोड़ों रुपये रुपये हड़प चुका 29 साल का संपथ कुमार सलाखों से बाहर आ चुका है। उसका मोबाइल फोन स्विच आफ जा रहा है। मगर फेसबुक मैसेंजर में वह आनलाइन दिख रहा है। हैदराबाद सीसीएस इंस्पेक्टर रामप्रसाद ने इसकी पुष्टि की है कि संपथ कुमार जमानत पर रिहा हो चुका है।

उन्होंने बताया कि संपथ कुमार का केस हैदराबाद से दिल्ली क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया है। फिलहाल इस मामले को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दिनेश कुमार देख रहे हैं। इंस्पेक्टर राम प्रसाद को इस बात को जानकारी है कि इस व्यक्ति ने दिल्ली से प्रयुक्ति (हिंदी दैनिक) निकाला था। बकलम ने उन्हें चेक बाउंस होने के केस की जानकारी दी है। इससे पहले मार्च के दूसरे हफ्ते में हैदराबाद में संपथ कुमार की गिरफ्तारी सुर्खियों में रही। पढ़िए वो खबर जो उसकी गिरफ्तारी के बाद हर ओर छपी….

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तेलंगाना पुलिस ने नकली आईएएस अधिकारी बनकर ठगी करने वाले एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो लोगों को तरह तरह से ठगा करता था। हैदराबाद की चादरघाट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बताया जा रहा है कि स्थानीय मंदिर समिति के प्रतिनिधियों ने वारंगल जिले व मेडिपल्ली के रहने वाले संतोष कुमार की शिकायत की थी कि वह उसको झांसा देकर पैसे ऐंठ लिए हैं। इसी के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार, संपत कुमार खुद को आईएएस अधिकारी व संसद सहायक प्रशासनिक अधिकारी बताते हुए 30 लोगों से लगभग ₹6 करोड़ का चूना लगा चुका है। वह तरह -तरह तमाम हथकंडे इस्तेमाल करके लोगों को ठगा करता था। खुद को आईएएस अधिकारी बताकर वह मंदिर के विकास के लिए 3 करोड़ रुपए दिलाने की बात कर रहा था और इसके बदले उनसे पैसे की मांग किया था। इसकेे लिए मंदिर प्रबंधन से एक करोड़ से अधिक रुपए वसूल लिए थे। काफी दिनों तक आनाकानी करने के बाद शिकायतकर्ता ने चादरघाट पुलिस से संपर्क किया और इसके बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए दिलसुख नगर से संपत कुमार को गिरफ्तार किया। इसके बाद उसके पास से एक लैपटॉप, दो सेलफोन, सोने के आभूषण, 5 डेबिट कार्ड और फर्जी आईएएस अधिकारी का पहचान पत्र भी बरामद किया है। बाद में उसे अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

संपथ की फाइल फोटो

अब सुनिये दिल्ली में इसका दूसरा सहयोगी विनय कुमार गुली है। यह भी वहीं का रहने वाला है। एक और सहयोगी राव है। यह दिल्ली का रहने वाला है। इसके गुनाहों की परत-दर-परत खुलने लगी है। संपथ कानून से बड़ा नहीं है। आखिर हथकड़ी लगी। यह अलग बात है कि जमानत मिल गई। यह भी अलग बात है कि संपथ नोएडा के सेक्टर20 थाने से जरूर बच निकला पर दिल्ली पुलिस क्राइम बांच की आंखों से वह बच नहीं सकता। हैदराबाद पुलिस ने संपथ कुमार सूरप्पगारि का पूरा कच्चा चिट्ठा दिल्ली पुलिस के पास भेज दिया है। कितने दिन और छिपेगा। पिछले दिनों संपथ की मां दिल्ली उसका सामान लेने आई थी। प्रयुक्ति के कर्मचारियों ने उसे सामान नहीं ले जाने दिया।

सम्पथ कुमार सूरप्पगारि याद कर अपना झूठ दर झूठ… सम्पथ कुमार सूरप्पगारि याद आया कुछ… अपना कथन याद करो। नीयत में कचरा में है तो झोले में पत्थर। कर्मचारियों और प्रिंटर्स का मोटा पैसा करीब 60 लाख रुपये हजम कर गए हो। अनगिनत चेक बाउंस हो गए हैं। गरीब चपरासियों को खून के आंसू रुलाये हैं। बाप की उम्र के लोगों को कई कई घंटे पैसे के लिए घंटों इंतजार कराया है और खुद केबिन में बैठकर फोन से चिपका रहा।

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प्रयुक्ति अखबार में संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार मुकुंद मित्र की एफबी वॉल से

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