दिल्ली : कैंसर ने वरिष्ठ पत्रकार संजय द्विवेदी को लील लिया. संजय कई मीडिया हाउसों से जुड़कर काम किए. वे बीबीसी हिंदी टीवी में भी कार्यरत रहे.
संजय को कैंसर है, इसका पता दस दिन पहले ही चला. कैंसर का ट्रीटमेंट शुरू हुआ लेकिन अचानक वे इस दुनिया को छोड़कर चले गए.
संजय द्विवेदी का अंतिम संस्कार आज शाम साढ़े पांच बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में किया जाएगा.
ज्ञात हो कि संजय द्विवेदी के पिता शरद द्विवेदी भी वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनकी पहचान हिंदी समाचार एजेंसियों के श्रेष्ठ पत्रकार के रूप में रही है. उन्होंने हिंदी की चारों प्रमुख समाचार एजेंसियों-हिंदुस्तान समाचार, समाचार भारती, यूनीवार्ता और भाषा में काम किया था.
संजय जी के पिताजी शरद द्विवेदी रिटायरमेंट के बाद दैनिक भास्कर से जुड़े थे.
संजय द्विवेदी अपने पीछे एक पुत्र को छोड़ गए है.
संजय की बहन दिव्या ने फेसबुक पर इस दुखद घटनाक्रम के बारे में एक पोस्ट डालकर सबको सूचित किया है-
Our family is deeply saddened to inform you that Sanjay Dwivedi, my beloved brother, passed away this afternoon. He has been suffering from cancer which was diagnosed 10 days back. His funeral will be held today at Lodhi Cremation Ground at 5:30 pm.
धर्मपाल धनकर-
‘हरियाणा न्यूज़’ चैनल के संस्थापक संपादक और हमारे अजीज मित्र संजय द्विवेदी नहीं रहे। आज दोपहर एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। दस दिन पहले ही कैंसर ग्रस्त होने का पता चला था। वे तीन-चार साल से सुगर से पीड़ित थे। विनम्र श्रद्धांजलि।
गिरिजेश वशिष्ठ-
Sanjay Dwivedi चले गए. बहुत पुराने मित्रों में से एक और वरिष्ठ पत्रकार. शुरुआत में टीवी पत्रकारिता को चुनने वाले, संजय द्विवेदी सनडे मेल के समय संपर्क में आए थे. डालमिया का टीवी आया तो संजय ने चुनौती संभाली, वो बीआईटीवी में रहे और कई चैनलों में भूमिका निभाई. भारत में टीवी पत्रकारिता के संस्थापक हस्ताक्षरों में संजय द्विवेदी शामिल थे लेकिन इससे भी बढ़कर बेहतरीन दोस्त और इनसान.
आखिरी मुलाकात प्रेसक्लब में हुई जब बच्चों के साथ गया हुआ था तो संजय की नज़र पड़ी. उन्होंने खीर ऑर्डर कर दी थी. गर्मजोशी से मिले और पुरानी यादें साझा की.
जब बीआई टीवी आ रहा था तो पंचशील एन्क्लेव वाले दफ्तर से लेकर मस्जिद मोठ तक वो लगातार मुझे टीवी में आने के लिए प्रेरित करने रहे. एक बार अजित शाही से बात भी करवाई. वहां नहीं जाने के पीछे कुछ निजी अहंकार थे.
बहरहाल हमेशा मुस्कुराते रहने और आत्मीयता से मिलने वाले संजय को पिछले कुछ दिन पहले ही कैंसर डिटेक्ट हुआ था. अचानक सबकुछ खत्म हो गया. जीवन भंगुर है. कब डोर टूट जाए पता नहीं. दिल्ली के पुराने दोस्तों में एक और कम हो गया.
प्रतिभा राय-
संजय द्विवेदी सर नहीं रहें.. देश में टीवी पत्रकारिता के शुरुआती चेहरों में से एक संजय जी ने कई संस्थानों के साथ काम किया था. वरिष्ठ पत्रकार श्री शरद द्विवेदी जी के बड़े बेटे थे. 2006 में मैंने भी उनके साथ काम किया था,बहुत कुछ सीखने को मिला था. कैंसर से पीड़ित थे ,ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।