Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

सेलरी स्लिप न होने पर भी अखबार कर्मी पा गया अंतरिम राहत के 10,57,582 रुपए!

नई दुनिया को मजीठिया केस में 18वां झटका, संतोष सचान के पक्ष में 10.57 लाख का अवार्ड पारित

इंदौर : श्रम न्यायालय ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक कर्मचारी के पास सैलरी स्लिप नहीं होने के बावजूद उनके अन्य दस्तावेजों के आधार पर उन्हें अंतरिम राहत का हकदार मानते हुए 10,57,582 का अवार्ड पारित किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जागरण के नई दुनिया अखबार के कर्मचारियों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर वाडिया ने बताया कि संतोष सचान नई दुनिया में सर्कुलेशन विभाग में कार्यरत थे। उन्हें पिछले कुछ माह पूर्व रिटायरमेंट के पहले नौकरी से निकाल दिया था। इस मामले में मजीठिया का केस दर्ज कराने आने पर उनके पास सैलरी स्लिप नहीं होने से कोई वकील उनका केस हाथ में नहीं लेना चाहता था। ऐसे में मेरे व्दारा उनके ज्वाइनिंग लेटर और अन्य दस्तावेजों के आधार पर मजीठिया का प्रकरण दर्ज करवाया और माननीय न्यायालय ने मेरे तर्कों से सहमत होकर अंतरिम राहत राशि के रूप में 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित किया।

बता दें कि उक्त केस में नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) के वकील वरिष्ठ अभिभाषक गिरीश पटवर्धन ने अपने पूरे कानूनी दांव-पेच लगाने के बाद करीब 40 से अधिक पेजों की बहस पेश की थी। इस मामले में वाडिया के तर्कों से सहमत होकर माननीय श्रम न्यायालय इंदौर के विव्दान न्यायाधीश ने संतोष सचान के पक्ष में अंतरिम राहत राशि 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित करते हुए फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि 2008 से 2011 तक के सैलरी दस्तावेश पेश किए जाते हैं तो उक्त राशि की पात्रता पाने के हकदार संतोष सचान होंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस तरह से किया था सचान को प्रताड़ित

सूत्र बताते हैं कि संतोष नईदुनिया इंदौर में रहकर शाजापुर में सर्कुलेशन विभाग में रिकवरी के लिए कार्य करते थे, लेकिन उनके रिटायरमेंट के पूर्व ही उन्हें नौकरी से हटा दिया था। बताते हैं कि रिकवरी का पैसा उगाने वाले कर्मचारियों को TA DA पॉलिसी अनुसार खर्च राशि मिलती है, लेकिन नई दुनिया में बैठे अधिकारियों ने संतोष को TA DA रिकवरी की राशि कभी पास ही नहीं की। इसके बावजूद संतोष हर माह अपनी जेब से 8000-10000 तक राशि खर्च कर रिवकरी का पैसा उगाकर लाते थे और नौकरी करते थे। इतना ही नहीं अधिकारी जागरण की “सखी” पत्रिका सेल करने के लिए भी जबरन 25 कापी दे देते थे और उस पर शर्त रहती थी कि कापी बिके या ना बिके 25 कापी के पैसे आपको देना है। इतनी प्रताड़ना सहने वाले संतोष अपना पारिवारिक जीवन काफी कठिनाई में जी रहे थे और अंततः उसका प्रताड़ना का परिणाम यह हुआ कि संतोष ने आज नई दुनिया के खिलाफ 10 लाख से अधिक राशि पाकर संतोष व्यक्त करते हुए ईश्वर के साथ वाडिया और सभी मजीठिया क्रांतिकारियों को बधाई दी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह पास हुआ अवार्ड

माननीय कोर्ट ने संतोष सचान के पक्ष में 2008 से 2011 तक के मजीठिया वेतनमान के अनुसार अंतरिम राहत 1056572 रुपए का अवार्ड पारित किया। इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्षों से लेबर की लड़ाई लड़ रहे एक वरिष्ठ अभिभाषक के सामने सिविल कोर्ट के वाडिया के तर्क भारी पड़े और अंततः सत्य की विजय हुई। इस पूरे प्रकरण में वाडिया की मेहतन को सलाम।

Advertisement. Scroll to continue reading.
https://youtu.be/q8SaTsde9c0
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement