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मध्य प्रदेश

पानी से चलेगी आपकी गाड़ी, साइकिल चलाकर बनाओ बिजली

: सविष्कार (आईफास्ट-2015) में युवा टेक्नोक्रेट ने किया अनूठे प्रोजेक्ट का प्रदर्शन :  भोपाल । पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम अब आपको सताएंगे नहीं और न ही महंगी बिजली आपके घर का बजट बिगाड़ेगी। यह सब संभव कर दिखाया है युवा टेक्नोक्रेट्स ने। आम आदमी की रोजमर्या की समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के विद्यार्थियों ने कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। मैनिट में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में अपने प्रोजेक्ट का सफल प्रदर्शन भी युवाओं ने किया। तकनीक और प्रौद्योगिकी से जुड़े लोगों ने युवाओं के प्रोजेक्ट्स की सराहना की। इसके साथ ही अलग-अलग विषयों पर 12 सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने युवाओं का मार्गदर्शन और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। 

<p><strong>: सविष्कार (आईफास्ट-2015) में युवा टेक्नोक्रेट ने किया अनूठे प्रोजेक्ट का प्रदर्शन : </strong> भोपाल । पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम अब आपको सताएंगे नहीं और न ही महंगी बिजली आपके घर का बजट बिगाड़ेगी। यह सब संभव कर दिखाया है युवा टेक्नोक्रेट्स ने। आम आदमी की रोजमर्या की समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के विद्यार्थियों ने कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। मैनिट में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में अपने प्रोजेक्ट का सफल प्रदर्शन भी युवाओं ने किया। तकनीक और प्रौद्योगिकी से जुड़े लोगों ने युवाओं के प्रोजेक्ट्स की सराहना की। इसके साथ ही अलग-अलग विषयों पर 12 सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने युवाओं का मार्गदर्शन और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। </p>

: सविष्कार (आईफास्ट-2015) में युवा टेक्नोक्रेट ने किया अनूठे प्रोजेक्ट का प्रदर्शन :  भोपाल । पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम अब आपको सताएंगे नहीं और न ही महंगी बिजली आपके घर का बजट बिगाड़ेगी। यह सब संभव कर दिखाया है युवा टेक्नोक्रेट्स ने। आम आदमी की रोजमर्या की समस्याओं को हल करने के लिए तकनीक के विद्यार्थियों ने कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। मैनिट में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में अपने प्रोजेक्ट का सफल प्रदर्शन भी युवाओं ने किया। तकनीक और प्रौद्योगिकी से जुड़े लोगों ने युवाओं के प्रोजेक्ट्स की सराहना की। इसके साथ ही अलग-अलग विषयों पर 12 सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने युवाओं का मार्गदर्शन और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। 

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, विद्यार्थी कल्याण न्यास और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सविष्कार (आईफास्ट-2015) में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया। आरिएंटल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के छात्रों ने एचएचओ जनरेटर नाम की एक डिवाइस बनाई है। इस डिवाइस के उपयोग से किसी भी गाड़ी को पानी से चलाया जा सकता है। छात्र प्रिंस सिंह चौहान, शैलेन्द्र सिंह, अमन सक्सेना और अभिषेक ठाकुर ने बताया कि डिवाइस के उपयोग से गाड़ी का एवरेज भी बढ़ जाएगा। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा। चार दोस्तों हर्ष शर्मा, अमित साहू, राहुल सिन्हा और लेखा शर्मा ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर में ही बिजली बना सकता है। उन्होंने बताया कि इस मशीन की मदद से मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रीकल एनर्जी में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे बिजली पैदा हो जाती है। इस मशीन का उपयोग रिवर फ्लो, कोल्हू का बैल, स्टडी टेबल और जिम साइकिंलग करते हुए किया जा सकता है। खास बात यह है कि महज 50-60 हजार रुपये में ‘आम आदमी की बिजली’ मशीन तैयार हो जाती है। बीवीआरटी, हैदराबाद से आई छात्रा काव्या और सौजन्य ने स्पेशल चाइल्ड के लिए ‘किड जोन’ नाम की एण्ड्राइड एप बनाई है। इसकी मदद से ये बच्चे बोलना ही नहीं बल्कि पढऩा भी सीख सकते हैं। ऐसे ही अनूठे प्रोजेक्ट विद्यार्थी सविष्कार में लेकर आए हैं, जो सीधेतौर पर आम आदमी की रोज की जरूरत और उसकी समस्याओं से जुड़े हुए हैं।

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इन स्टॉल पर भीड़, विद्यार्थियों ने ली जानकारी :

क्राम्प्टन ग्रीव्स और एचईजी ने भी अपने महत्वपूर्ण उपकरणों का प्रदर्शन किया और विद्यार्थियों को उनके बारे में जानकारी दी। जबकि टेक्निकल एजुकेशन के स्टॉल पर सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी विद्यार्थियों को दी गई। इसके साथ ही डीआरडीओ, ऊर्जा विकास निगम, पर्यटन निगम, नगरीय प्रशासन, सीआईपीईटी, एसटीपीआई, डीटीई, आरजीपीवाय, बीईई, मप्र वाणिज्य एवं उद्योग विभाग और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने भी अपने स्टॉल लगाए। इन स्टॉल पर भी विद्यार्थियों और आगंतुकों की भारी भीड़ देखी गई।

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12 सत्रों में विशेषज्ञों ने दिखाई राह, जिज्ञासाओं का किया समाधान :

सविष्कार के दूसरे दिन 12 सत्रों में विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को बताया कि तकनीक के क्षेत्र में कैसे न केवल खुद का करियर बनाएं बल्कि अपने देश को भी मजबूत करें। विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण के सूत्र भी विशेषज्ञों ने दिए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि किसी भी प्रकार की तकनीक तैयार करने के लिए सकारात्मक मन की आवश्यकता होती है। दरअसल, जैसा मन होगा, वैसा विचार बनेगा और आखिर में वैसा समाज बनेगा। उन्होंने बताया कि बाहर का वातावरण कैसा भी हो, लेकिन मन का वातावरण अच्छा रहेगा तो निश्चित ही आपको सफलता मिलेगी। यदि आपका संकल्प पवित्र है तो प्रकृति भी उसे पूर्ण करने में आपकी मदद करती है। प्रो. कुठियाला ने कहा कि मनुष्य पर ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों और पानी पर भी विचारों का प्रभाव पड़ता है। भारतीय वैज्ञानिक प्रो. जगदीश चन्द्र बसु ने यह सिद्ध भी करके दिखा है कि पेड़ रोते भी हैं और खुश भी होते हैं। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मप्र पर्यटन बोर्ड के एमडी अश्विनी लोहानी ने कहा कि हम अपनी मंजिल तय करें, कैसे हासिल करेंगे, इसके फेर में नहीं फंसे। बस इतना ठान लें कि मंजिल ढूंढ ही लेंगे। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री श्रीहरि बोरिकर ने कहा कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें कुछ अधिक मेहनत करना चाहिए। जबकि एएफआरसी के ओएसडी सुनील कुमार ने कहा कि नवाचार को नहीं बढ़ाएंगे तो देश की गरीबी दूर नहीं की जा सकती। इसके साथ ही एसटीपीआई के ओमकार राय, डीआईसीसीआई के अध्यक्ष मिलिन्द काम्बले, आरिएंटल ग्रुप के अध्यक्ष प्रवीण ठकराल, एनपीएल के वैज्ञानिक सचिव डॉ. आलोक मुखर्जी, वीसीआई के अध्यक्ष डॉ. उमेश शर्मा, बनारस हिन्दू विश्वविद्याल की सदस्य प्रो. कुसुमलता केडिय़ा, सैफिया टेक्नोलॉजी के एमडी धनंजय पाण्डेय, आरसीआई के डायरेक्टर डॉ. जी. सतीश, ट्रिन्टी कॉलेज के अध्यक्ष शोभित जैन, आईईएस ग्रुप के अध्यक्ष बीएस यादव सहित अन्य विशेषज्ञ और विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।

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बॉक्स स्टोरी :

बैम्बू हाउसिंग बेहतर विकल्प : रायपुर के एमएम कॉलेज के छात्रों ने बैम्बू हाउसिंग को स्टील एवं कांक्रीट से बने घरों का बेहतर विकल्प बताया है। लेकिन, इसकी सरंचना में आंशिक बदलाव करने होंगे। 50 वर्षों तक बैम्बू हाउस इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं। पर्यावरण को भी इससे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसकी खास बात यह है कि बांस से बने घरों की छतों पर खेती भी की जा सकती है। प्रोजेक्ट को तैयार करने वाले अंकित पाण्डेय, आशीष गिरी, सचिन सोलंकी और अमित गिरी ने बताया कि रायपुर के पास महासमुद्र में इस बैम्बू हाउसिंग का सफल प्रयोग भी किया जा रहा है।

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प्लास्टिक से बनाई मजबूत सड़क : रायपुर के आईटीएम कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रामीण सड़क विकास के मामले में एक सार्थक कदम उठाया है। शुभम जायसवाल, चिराग आथा, श्वेता सिंह और उमेश आडवानी ने बताया कि उनके आसपास के गांव में सड़कें तो बनती थीं लेकिन बाढ़ और अन्य कारणों से ज्यादा दिन टिक नहीं पाती थीं। ऐसे में इन छात्रों ने पहल कर बिना किसी सरकारी मदद के स्थानीय स्रोतों और कूड़े-कचरे, विशेषकर प्लास्टिक का उपयोग कर टिकाऊ सड़क का निर्माण किया है, जो अब बाढ़ में बहती नहीं। इस सड़क की लागत भी कम आई है।

डीआरडीओ ने बताए अपने नवाचार : डीआरडीओ अपने हैदराबाद, ग्वालियर और आगरा के सेंटर द्वारा विकसित प्रोजेक्ट के साथ सविष्कार में शामिल हुआ है। डीआरडीओ ने ‘नजर (नाभकीय, जैविक, रसायनिक)’ प्रोजेक्ट को शामिल किया है, जो कि आपदा की पहचान, सुरक्षा और उसके शुद्धिकरण पर केन्द्रित है। एडीआरडीई भारतीय सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले पैरासूट के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दे रहा है। आरसीई हैदराबाद ने मिसाइल के अंदरुनी भागों के बारे और डीआरडीएल हैदराबाद ने विभिन्न भारतीय मिसाइल के बारे में पोस्टर प्रदर्शनी लगाई है। ये एलसीडी पर मिसाइल फायरिंग शो भी दिखा रहे हैं, जो आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

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हायरसेकण्ड्री के छात्र ने बनाया फाइटर प्लेन : मैनिट कैम्पस में चल रहे तीन दिवसीय सविष्कार (आईफास्ट-2015) में ग्वालियर के अनूप सिंह राठौर एक फाइटर प्लेन का मॉडल लेकर आए हैं। वे 12वीं के छात्र हैं।  उनके फाइटर प्लेन की खासियत है कि यह 30 किमी की रेंज में आने वाले दुश्मानों को सेंसर कर लेगा और जमीन से 70-80 फीट ऊपर जाने पर साउण्ड लैस हो जाएगा। यह 80-90 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगा और जरूरत पडऩे पर इसकी रफ्तार बढ़ाई भी जा सकती है। यह युद्ध करने के साथ-साथ विपत्ति की सारी गतिविधियों पर निगरानी रखेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यह फाइटर प्लेन महज 50 हजार रुपये में तैयार हो जाएगा। इसे लैण्ड कराने के लिए रन-वे की आवश्यकता भी नहीं होगी। अनूप किसान परिवार से है। सात साल की कठिन मेहनत के बाद उन्होंने अपना मॉडल बनाया है।

आवाज से चलेगी व्हील चेयर : रायपुर के बीटेक कम्प्यूटर साइंस के छात्रों ने आवाज से संचालित होने वाली व्हील चेयर तैयार की है। छात्र कृष्ण पाल तिवारी बताते हैं कि उनका प्रोजेक्ट वॉइस रिकॉगनेशन सिस्टम पर काम करता है। इसकी खासियत है कि यह सभी भाषाओं को पकड़ लेता है। व्हील चेयर का उपयोग करने वाले व्यक्ति को एक छोटी-सी ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। ट्रेनिंग के बाद इनपुट देने पर यह आदेश का पालन करेगी। इसमें 20 से 40 शब्द रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। इसी सभी दिशाओं में घूम सकती है और अवरोध आने पर स्वत: ही रुक सकती है। इस तरह की व्हील चेयर विदेशों में करीब एक लाख रुपये की कीमत में आती है लेकिन यह महज 20 हजार रुपये में तैयार की गई है।

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मीडिया समन्वयक
रितेश बिरथरे
(मोबाइल : 9584491526)

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