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उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट आजतक चैनल के बारे में फैसले पर पुनर्विचार करे : यूपी विधानसभा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मुजफ्फरनगर दंगों पर हुए स्टिंग आपरेशन के सिलसिले में आजतक समाचार चैनल के पत्रकारों के पेश होने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थगनादेश दिये जाने के बाद एक प्रस्ताव पारित कर तय किया कि शीर्ष अदालत से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया, ‘‘जांच समिति ने टीवी टुडे नेटवर्क के जिन पदाधिकारियों को दोषी पाया है, उन्हें सदन में पेश होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये गये हैं. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ सदन यह प्रस्ताव पारित करता है कि शीर्ष अदालत से अनुरोध किया जाये कि चार मार्च को इस संबंध में दायर रिट याचिका में सदन की कार्यवाही स्थगित करने के विषय में पारित आदेश पर पुनर्विचार किया जाये.”

<p>लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मुजफ्फरनगर दंगों पर हुए स्टिंग आपरेशन के सिलसिले में आजतक समाचार चैनल के पत्रकारों के पेश होने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थगनादेश दिये जाने के बाद एक प्रस्ताव पारित कर तय किया कि शीर्ष अदालत से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया, ‘‘जांच समिति ने टीवी टुडे नेटवर्क के जिन पदाधिकारियों को दोषी पाया है, उन्हें सदन में पेश होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये गये हैं. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ सदन यह प्रस्ताव पारित करता है कि शीर्ष अदालत से अनुरोध किया जाये कि चार मार्च को इस संबंध में दायर रिट याचिका में सदन की कार्यवाही स्थगित करने के विषय में पारित आदेश पर पुनर्विचार किया जाये.''</p>

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा ने मुजफ्फरनगर दंगों पर हुए स्टिंग आपरेशन के सिलसिले में आजतक समाचार चैनल के पत्रकारों के पेश होने पर उच्चतम न्यायालय द्वारा स्थगनादेश दिये जाने के बाद एक प्रस्ताव पारित कर तय किया कि शीर्ष अदालत से फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कहा गया, ‘‘जांच समिति ने टीवी टुडे नेटवर्क के जिन पदाधिकारियों को दोषी पाया है, उन्हें सदन में पेश होकर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये गये हैं. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ सदन यह प्रस्ताव पारित करता है कि शीर्ष अदालत से अनुरोध किया जाये कि चार मार्च को इस संबंध में दायर रिट याचिका में सदन की कार्यवाही स्थगित करने के विषय में पारित आदेश पर पुनर्विचार किया जाये.”

प्रस्ताव में आगे कहा गया, ‘‘तथा उसे इस आशय से संशोधित, परिवर्तित एवं निष्प्रभावी किया जाये जिससे प्रस्तुत प्रकरण में सदन की कार्यवाही बाधित नहीं हो और जांच समिति की संस्तुतियों के क्रम में आगे की कार्यवाही सदन में हो सके।” प्रस्ताव में कहा गया कि सदन सर्वोच्च न्यायालय का पूर्ण रुप से सम्मान करता है लेकिन सदन की कार्यवाही स्थगित किये जाने के संबंध में अदालत द्वारा रिट याचिका में चार मार्च को पारित आदेश संवैधानिक रुप से उपयुक्त नहीं लगता है. संवैधानिक योजना के तहत न्यायालय और विधायिका के कार्यक्षेत्र विशिष्ट रुप से परिभाषित किये गये हैं तथा इनमें आपस में कोई विरोधाभास नहीं है.

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प्रस्ताव में कहा गया कि सदन को अपनी कार्यवाही संचालित करने की संवैधानिक स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता. इस संबंध में सदन की संप्रभुता पर कोई प्रतिबंध लगाना संवैधानिक योजना के अनुरूप नहीं है. प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. प्रस्ताव पारित करने की प्रक्रिया में भाजपा सदस्य शामिल नहीं हुए.भाजपा नेता सुरेश खन्ना ने कहा कि जांच समिति के गठन से लेकर अब तक भाजपा इस प्रक्रिया में शामिल नहीं रही है, इसलिए वह इस प्रस्ताव में भी शामिल नहीं होगी.

इससे पहले अध्यक्ष पांडेय ने उच्चतम न्यायालय के स्थगनादेश के आलोक में सर्वदलीय बैठक बुलाकर विचार विमर्श किया था. बैठक मे शामिल दलों ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. सपा नेता एवं प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां से जुडे स्टिंग आपरेशन में शामिल लोगों का पक्ष सुनने और दंड तय करने के लिए संबंधित चैनल के अधिकारियों को चार मार्च को तलब किया गया था लेकिन चैनल ने उच्चतम न्यायालय से स्थगनादेश हासिल कर लिया था. इससे पहले 25 फरवरी को चैनल ने पत्र के जरिये पेशी के लिए और समय मांगा था. नेता प्रतिपक्ष बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य ने फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे विधायिका के कामकाज में दखलअंदाजी करार दिया.

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