उच्चतम न्यायालय के आदेशों की केंद्र सरकार द्वारा जमकर उलंघन किया जा रहा है। 15 फरवरी के फैसले के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ने सीआईसी और राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक बार फिर केंद्र से कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में खाली पदों को तीन महीने के अंदर भरा जाए। साथ ही केंद्र से दो सप्ताह के भीतर वेबसाइट पर केंद्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी के सदस्यों के नाम डालने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की दलील पर कहा कि उच्चतम न्यायालय के 15 फरवरी के फैसले के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ने सीआईसी और राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की है। पीठ ने कहा कि हम केंद्र और राज्य को आज से नियुक्ती करने का निर्देश देते हैं।
सुनवाई में सूचना के अधिकार के दुरुपयोग का मुद्दा भी उठा। पीठ ने कहा कि हम आरटीआई कानून के खिलाफ नहीं हैं। ऐसे लोग जो किसी मुद्दे से नहीं जुड़े हों, वे भी आरटीआई दायर करते हैं। इसका इस्तेमाल अपराधिक रूप से हो सकता है। इसके लिए ब्लैकमेलिंग शब्द सटीक है, इसलिए कुछ प्रकार के दिशा-निर्देशों को विकसित करने की जरूरत है।
पीठ आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। इसमें शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने के लिए सरकारी अधिकारियों को एक निर्देश देने की मांग की गई थी, जो उन्हें निर्धारित समय के भीतर और पारदर्शी तरीके से सूचना आयुक्त नियुक्त करने के लिए कहे।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.