बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, भ्रम पैदा करने वाले विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगाएं अन्यथा इसके लिए उनपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला?
कोरोना काल में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था, जिसके मुताबिक उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी, साथ ही इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था. अब इसी मामले में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को भविष्य में इस तरह के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी है. अदालत ने कहा कि, पतंजलि को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह मीडिया में इस तरह के बयान देने से दूरी बनाए.
कोर्ट की तरफ से निर्देश दिया गया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट नहीं दिए जाएं. साथ ही इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाने की भी हिदायत दी गई.
कोर्ट ने यह निर्देश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर दिया है. इस याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है. IMA ने इस पूरे मामले में कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमीड एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है.
मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी. जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कंपनी के एलोपैथिक दवाइयों के विज्ञापनों को लेकर कहा, ‘इस तरह के भ्रम क्रिएट करने वाले विज्ञापनों का प्रसारण जारी रहेगा तो उन पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लग सकता है.’