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उत्तर प्रदेश

एसजीपीजीआई लखनऊ के दो डाक्टरों ने ट्रायल ड्रग के जरिए महिला को मार डाला

: मेडिकल एथिक्स कोड का खुला उल्लंघन करने को लेकर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने लिखा पत्र :  अलीगंज निवासी सुरेश चन्द्र शुक्ला की हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित पत्नी ममता शुक्ला की एसजीपीजीआई, लखनऊ में हो रहे इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी. श्री शुक्ला ने इसके लिए गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ विवेक आनंद सारस्वत और डॉ श्रीजीथ वेणुगोपाल को दोषी ठहराते हुए उनके विरुद्ध पीजीआई थाने पर मुक़दमा दर्ज कराया. एफआइआर के अनुसार इन डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को प्रयोग के तौर पर जानबूझ कर ट्रायल ड्रग थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन, जिससे हड्डी का कैंसर होने की काफी सम्भावना रहती है और जिसे सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाइजेशन मात्र हेपेटाइटिस बी रोगियों के लिए अनुमन्य करता है, दिया जो उनकी मौत का कारण बना.

<p>: <strong>मेडिकल एथिक्स कोड का खुला उल्लंघन करने को लेकर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने लिखा पत्र</strong> :  अलीगंज निवासी सुरेश चन्द्र शुक्ला की हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित पत्नी ममता शुक्ला की एसजीपीजीआई, लखनऊ में हो रहे इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी. श्री शुक्ला ने इसके लिए गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ विवेक आनंद सारस्वत और डॉ श्रीजीथ वेणुगोपाल को दोषी ठहराते हुए उनके विरुद्ध पीजीआई थाने पर मुक़दमा दर्ज कराया. एफआइआर के अनुसार इन डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को प्रयोग के तौर पर जानबूझ कर ट्रायल ड्रग थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन, जिससे हड्डी का कैंसर होने की काफी सम्भावना रहती है और जिसे सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाइजेशन मात्र हेपेटाइटिस बी रोगियों के लिए अनुमन्य करता है, दिया जो उनकी मौत का कारण बना.</p>

: मेडिकल एथिक्स कोड का खुला उल्लंघन करने को लेकर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने लिखा पत्र :  अलीगंज निवासी सुरेश चन्द्र शुक्ला की हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित पत्नी ममता शुक्ला की एसजीपीजीआई, लखनऊ में हो रहे इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी. श्री शुक्ला ने इसके लिए गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ विवेक आनंद सारस्वत और डॉ श्रीजीथ वेणुगोपाल को दोषी ठहराते हुए उनके विरुद्ध पीजीआई थाने पर मुक़दमा दर्ज कराया. एफआइआर के अनुसार इन डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को प्रयोग के तौर पर जानबूझ कर ट्रायल ड्रग थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन, जिससे हड्डी का कैंसर होने की काफी सम्भावना रहती है और जिसे सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाइजेशन मात्र हेपेटाइटिस बी रोगियों के लिए अनुमन्य करता है, दिया जो उनकी मौत का कारण बना.

 

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श्री शुक्ला ने इस सम्बन्ध में 11 अप्रैल 2014 को कोड ऑफ़ मेडिकल एथिक्स 2002 के पैरा 1.3.2, जिसमे रोगी अथवा इसके अधिकृत तीमारदार को 72 घंटे में वांछित मेडिकल रिकॉर्ड दिए जाने का प्रावधान है, के तहत अपनी पत्नी के इलाज से जुड़े समस्त मेडिकल रिकॉर्ड मांगे. इस कोड के पैरा 7.2 में निर्धारित अवधि में रिकॉर्ड नहीं देना कदाचरण माना गया है. श्री शुक्ला ने उसी समय आरटीआई में भी ये अभिलेख मांगे. एसजीपीजीआई द्वारा अब तक ये रिकॉर्ड एथिक्स कोड अथवा आरटीआई में देने से स्पष्ट आनाकानी किये जाने पर श्री शुक्ला ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर से संपर्क किया है जिन्होंने संस्थान के निदेशक आर के शर्मा को पत्र लिख कर 72 घंटे में सूचना दिए जाने और ऐसा नहीं होने पर निदेशक और अन्य सम्बंधित चिकित्सकों के विरुद्ध एथिक्स कोड के पैरा 8 के तहत मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया में जाने की बात कही है.

सुरेश चन्द्र शुक्ला द्वारा अमिताभ ठाकुर को प्रेषित पत्र ——

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सेवा में,

श्री अमिताभ ठाकुर

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पुलिस महानिरीक्षक/संयुक्त निदेशक

नागरिक सुरक्षा

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उ0प्र0।

महोदय

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कृपया निवेदन है कि मेरी पत्नी स्व0 श्रीमती ममता शुक्ला की दिनांक 09.1.2013 को एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ में डा0 विवेक आनन्द सारस्वत और डा0 श्रीजीथ वेणुगोपाल द्वारा जानबूझकर गलत इलाज किये जोन के कारण मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई।  मैंने इस संबंध में इंडियन मेडिकल काउन्सिल के सेक्शन 1.3.2 ’कोड आफ मेडिकल एथिक्स एंड रेगुलेशन्स के  तहत एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ से पत्नी के इलाज से संबंधित अभिलेखों को दिये जाने का अनुरोध किया,  क्येांकि उक्त नियम में स्पष्ट अंकित है कि यदि किसी रोगी अथवा उसके अथराईज्ड अटेंडंट द्वारा किसी भी चिकित्सीय रिपोर्ट की मांग की जाती है तो वह 72 घंटे के अंदर उपलब्ध कराई जायेगी। मैंने दिनांक 11 अप्रैल, 2014 को उक्त नियम के तरह अपनी पत्नी के इलाज के संबंध में अभिलेख मांगे थे, जो आज दिनांक 28 जुलाई, 2014 तक मुझे प्राप्त नहीं हुए हैं। इस प्रकार वांछित सूचना उपलब्ध कराने में लगभग 90 से अधिक समय व्यतीत हो चुका है जबकि सूचना 72 घंटे के अंदर उपलब्ध कराने की व्यवस्था निर्धारित है।

स्पष्ट है कि इसमें एस0जी0पी0जी0आई0 प्रशासन की साफ लापरवाही है और जानबूझकर की गई आपराधिक षडयंत्र है। चूंकि एस0जी0पी0जी0आई0 के चिकित्सकों द्वारा मेरी पत्नी की जानबूझ कर हत्या करने के मामले एफ0आई0आर0 दर्ज कराने में आपने मेरी पूर्व में मदद की थी, अतः आपसे पुनः अनुरोध है कि एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ प्रशासन से मेरी पत्नी के इलाज से संबंधित चिकित्सीय अभिलेखों की प्रतियां मुझे उपलब्ध कराने की कृपा करें।

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भवदीय,

सुरेश चन्द्र शुक्ला

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बी-29, सेक्टर-ओ, अलीगंज,

लखनऊ।

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अमिताभ ठाकुर द्वारा प्रेषित पत्र——

सेवा में,

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प्रो0 आर के शर्मा

निदेशक

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एस0जी0पी0जी0आई

लखनऊ।

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महोदय

निवेदन है कि मैं अमिताभ ठाकुर, आईपीएस, नागरिक सुरक्षा विभाग, उ0प्र0 में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत् हूं।  मैं यह पत्र मानवाधिकार से जुड़े एक अत्यंत संवेदनशील प्रकरण में अपनी व्यक्तिगत हैसियत से आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं। मेरे परिचित श्री सुरेश चन्द्र शुक्ला, निवासी-बी-29, सेक्टर-ओ, अलीगंज, लखनऊ द्वारा मुझे बताया गया है कि उनकी पत्नी स्व0 श्रीमती ममता शुक्ला की दिनांक 09.1.2013 को एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ में डा0 विवेकानन्द सारस्वत और डा0 श्रीजीथ वेणुगोपाल द्वारा जानबूझकर गलत इलाज किये जाने के कारण मृत्यु हो गई।  श्री शुक्ल ने दिनांक 11 अप्रैल, 2014 को आपके कार्यालय से इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के अंतर्गत बनाये गये ’कोड आफ मेडिकल एथिक्स एंड रेगुलेशन्स’, 2002 के पैरा 1.3.2 के तहत पत्नी के इलाज से संबंधित अभिलेखों की मांग की थी। आप अवगत होंगे कि उक्त नियम में स्पष्ट अंकित है कि यदि किसी रोगी अथवा उसके आथोराईज्ड अटेंडंेंट द्वारा किसी भी चिकित्सीय रिपोर्ट की मांग की जाती है तो वह 72 घंटे के अंदर उपलब्ध कराई जायेगी।

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श्री शुक्ला ने आथोराईज्ड अटेंडेन्ट के रूप में उक्त नियम के तहत अपनी पत्नी के इलाज के संबंध में अभिलेख मांगे थे लेकिन श्री शुक्ला द्वारा मांगे गये अभिलेखों की प्रतियां आज तक उन्हें प्राप्त नहीं हुई हैं। वांछित सूचना उपलब्ध कराने में आपके संस्थान स्तर से लगभग 90 दिन से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है जबकि सूचना 72 घंटे के अंदर उपलब्ध कराने की व्यवस्था निर्धारित है।  स्पष्ट है कि यह ’कोड आफ मेडिकल एथिक्स एंड रेगुलेशन्स’, 2002 के पैरा 1.3.2 के नियमों की स्पष्ट अवहेलना है और इस रूप में इस कोड के पैरा 7.2 के अंतर्गत कदाचरण (डपेबनदकनबज) की श्रेणी में आता है। इस प्रकार आपके संस्थान के समस्त संबंधित चिकित्सक प्रथम दृष्टया इस कोड के पैरा 7.2 के अंतर्गत कदाचार के दोषी प्रतीत होते हैं।

विनयपूर्वक निवेदन करूंगा कि चूंकि इस मामले में एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के 2 वरिष्ठ चिकित्सक एक आपराधिक प्रकरण में नामित हैं, अतः न्याय के दृष्टिगत इस मामले में तत्काल वांछित अभिलेख उपलब्ध कराना आवश्यक है। निवेदन करूंगा कि संस्थान का निदेशक होने के कारण यह आपका भी व्यक्तिगत उत्तरदायित्व है। अतः सादर अनुरोध है कि इस पत्र की प्राप्ति के 72 घंटे के अंदर श्री सुरेश चन्द्र शुक्ला को उनकी पत्नी के इलाज से संबंधित समस्त वांछित अभिलेख नियमानुसार उपलब्ध नहीं कराये जाते हैं तो मैं यह मानने को बाध्य होऊॅंगा कि आप द्वारा उपरोक्त दोनों चिकित्सकों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है और मुझे इस संबंध में मेडिकल कांउसिंल एक्ट, 1956  के अंतर्गत बनाये गये उक्त कोड के अंतर्गत विधिक कार्यवाही हेतु बाध्य होना पड़ेगा।

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अमिताभ ठाकुर
5/426, विरामखण्ड,
गोमतीनगर, लखनऊ।
मो0-94155-34526  
पत्र सं0- AT/SGPGI/SPS
दिनांक   30 जुलाई, 2014                                                                                                         

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