बंगाल में बंद कल कारखानों को खुलवाने के संकल्प के साथ मां मानुष माटी की सरकार सत्ता में आया। बंद कल कारखाने तो खुल नहीं रहे हैं, लेकिन चालू औद्योगिक इकाइयां बंद होने लगी हैं। इसी सिलसिले में नया नाम जुड़ा है शालीमार पेंट्स का। बाजार में रंग बनाने वाली नयी कंपनियों के मुकाबले शालीमार लगातार बेरंग होता रहा और अब उसके बंद हो जाने से एक सदी पुरानी इस कंपनी के शानदार इतिहास का लगभग पटाक्षेप हो गया। कर्मचारी सदमे में हैं और राज्य सरकार की तरफ से कोई पहल अभी हो नहीं पायी है जबकि प्रबंधन का कहना है कि लगातार चार महीने से कारखाना चालू रखने की कवायद के बावजूद, कर्मचारियों को वेतन भुगतान जारी रखने के बावजूद वे आगे काम जारी रखने में असमर्थ है। प्रबंधन के इस आकस्मिक निर्णय से गुस्से में हैं कर्मचारी।
शालीमार पेंट्स लिमिटेड ने बुधवार को हावड़ा में अपनी फैक्ट्री में काम स्थगित कर दिया जिससे करीब 350 कामगारों के प्रभावित होने की आशंका है। आज सुबह जब कामगार काम करने फैक्ट्री पहुंचे तो उन्हें दरवाजे पर यह नोटिस चिपका हुआ मिला। कंपनी ने एक बयान में कहा गया है, ‘मार्च 2014 में हावड़ा फैक्ट्री में आग लग गई थी, हमने पचिालन शुरू करने की सारी कोशिश कीं इस दौरान हमने अपने कामगारों को पूरा वेतन दिया।
हालांकि संयंत्र चालू करने में अनिश्चितकालीन देरी के कारण हम परिचालन स्थगित करने के लिए बाध्य हैं। कर्मचारियों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए हमने उन्हें देश में अपने दूसरे संयंत्रों और डिपो में रोजगार देने की पेशकश की है। यह कहने की जरूरत नहीं कि शालीमार पश्चिम बंगाल के प्रति प्रतिबद्ध है और हमारे सभी कदम राज्य में उपस्थिति बढ़ाने को लेकर है। हाल के समय में पश्चिम बंगाल में कई कंपनियों को अपना परिचालन रोकना पड़ा है।
कोलकाता से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास की रिपोर्ट.