एक ओर जहां सहारा ग्रुप में टीवी और प्रिंट में कार्यरत हजारों मीडिया कर्मी एवं कर्मचारी लगभग एक वर्ष से प्रतिमाह 15-15 दिन की सैलरी पर अपनी घर-गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं, आए दिन हंगामा हो रहा है, कई कर्मचारियों को जान से जाना पड़ा, हर कर्मी कर्ज के बोझ से लदता जा रहा है, संस्थान उनसे ड्यूटी तो पूरा ले रहा, तनख्वाह आधी दे रहा है, दूसरी तरफ वह एक दिलचस्प घटनाक्रम में लंदन के ग्रॉसवेनर हाउस होटल को फिर खरीदने की दौड़ में शामिल हो गया है।
गौरतलब है कि इस ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय इस समय लंबे समय से तिहाड़ जेल में बंद हैं। वही जैसे ग्रुप का दफ्तर चल रहा है। बीच बीच में वह बुलाकर समझा धमका रहे हैं, कभी छंटनी की धमकी तो कभी काम काज को लेकर खिंचाई, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी पर कोई बात नहीं।
सहारा ने लंदन का ग्रॉसवेनर हाउस होटल वर्ष 2010 में खरीदा था पर ‘ऋण चुकाने में तकनीकी चूक’ के बाद इसके लिए कर्ज देने वाले बैंक ऑफ चाइना ने इसे नीलामी पर लगा रखा है। सहारा समूह अपने प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई के लिए धन जुटाने का प्रयास कर रहा है। उसने इसके लिए लंदन के इस मसहूर होटल सहित विभिन्न परिसंपत्तियों के लिख खरीदार की तलाश में जुटा था। सुब्रत राय एक साल से भी अधिक समय से दिल्ली के तिहाड कारागार में बंद हैं।
सूत्रों ने कहा कि सहारा समूह बैंक ऑफ चाइना के रिणों को कुछ अन्य बैंकों को हस्तांतरित करने के लिए ‘पुनर्वित्त’ के सौदे की बातचीत कर रहा है। वहीं दूसरी ओर, समूह कुछ वैश्विक बैंकों द्वारा समर्थित एक ‘फाइनेंसर’ के जरिए ग्रॉसवेनर हाउस के लिए बोली लगाने की दौड़ में शामिल है ताकि इस होटल का कुछ बेहतर मूल्य सुनिश्चित हो सके।
बताया जा रहा है कि इस होटल के लिए बोली लागाने वाले अन्य पक्षों में अबुधाबी इनवेस्टमेंट अथारिटी, चीन का फोसन ग्रुप, कनस्टेलेशन होटल्स होल्डिंग और एमएंडजी प्रूडेंशियल शामिल हैं। जहां सहारा के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना किया, सूत्रों ने कहा कि समूह ‘दो सूत्री रणनीति’ पर काम कर रहा है जिससे राय की रिहाई के लिए आवश्यक धन हासिल किया जा सके तथा लंदन के इस प्रतिष्ठित होटल को भी अपने पास रखा जा सके।
बैंक ऑफ चाइना ने इस होटल को मार्च के शुरू से एक प्रशासक के अधीन रख रखा है ताकि वह अपने रिण की वसूली कर सके। इसके लिए खरीदार की खोज का काम डेलाइट और जेएलएल को दिया गया है। जेएलएल और डेलाइट से इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं मिली।
ramu
May 28, 2015 at 5:38 am
rajasthan patrika already purchased hotel in u.k. and even Gaddar gulab kothari , nalayak Nihar Kothari and akal se pedal sidharth Kothari have taken the citizen ship of Canada also inspite being theyse gandu have not given the wage board to their employes.
कुमार कल्पित
May 28, 2015 at 7:42 am
शुरू से ही कर्मचारी विरोधी रहा है सहारा । चूंकि कर्मचारियों के बिना काम चलेगा नहीं इसलिए रखना मजबूरी है । यूनियनबाजी से मक्ति के लिए ये सुविधा रूपी टुकडा यदाकदा फेंक देते हैं । कर्मचारी भी खुश हो जाता कि परिवार है ये । इतनी बडी संस्था सहारा में यूनियन इसीलिए नहीं बन पाई ।
एक कहावत है ” घर के देव ललायं बहरवासी पूजा लेंय “…. खिलाडियों को सोना देने के लिए सहारा के पास पैसे हैं अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए नहीं । ये हैऐ सहारा परिवार ….
insaf
May 28, 2015 at 8:18 am
SAHARA ME BHI EK BADE REVOLT KI TAIYARI HO RAHI HAI. SABHI KARAMCHARIYN ME ANDAR ANDER VIDROH KI CHINGARI PHUT RAHI HAI. JO HASRA SAHARA KA HOGA WO HASA ABTAK ITIHAS NE NAHI DEKHA.
Reema
May 28, 2015 at 9:11 pm
कीड़े पड़ेंगे सैलरी हड़पने वालों को. मुझे लगता है सहारा Shri जेल से निकलना ही नहीं चाहते
sanjay rana
May 29, 2015 at 9:53 am
char mah ka samay lene ke baad bhi sahara sri apne karmchariyo ke saath dagebaji kar rahe hai. panch mah se karmchariyo ka vetan rok kar ab aur mauto ka intazaar kar rahe hai kya sahara pariwar ke mukhiya.