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हरीश रावत निजी सचिव स्टिंग प्रकरण : बेशर्म ‘हिंदुस्तान’ की पत्रकारिता तो देखिए….

आज का हिंदुस्तान 23 जुलाई 2015, दिल्ली व देहरादून अंक, जिस किसी ने पढ़ा, उसे देखकर कोई अंधा भी बता सकता है कि कांग्रेस को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की जरा भी चिंता नहीं। साथ ही, पूरे देश के अखबारों ने रावत के निजी सचिव की संटिग लीड खबर को जमकर छापा। हिंदुस्तान भारत का अकेला अखबार है जिसे इतनी महत्वपूर्ण खबर नहीं दिखाई दी। दिल्ली में अखबार ने लीड खबर में संसद के हंगामे की चर्चा के साथ चलते- चलते सीएम रावत के निजी सचिव के स्टिंग का हल्का जिक्र करके इतिश्री कर ली।

आज का हिंदुस्तान 23 जुलाई 2015, दिल्ली व देहरादून अंक, जिस किसी ने पढ़ा, उसे देखकर कोई अंधा भी बता सकता है कि कांग्रेस को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की जरा भी चिंता नहीं। साथ ही, पूरे देश के अखबारों ने रावत के निजी सचिव की संटिग लीड खबर को जमकर छापा। हिंदुस्तान भारत का अकेला अखबार है जिसे इतनी महत्वपूर्ण खबर नहीं दिखाई दी। दिल्ली में अखबार ने लीड खबर में संसद के हंगामे की चर्चा के साथ चलते- चलते सीएम रावत के निजी सचिव के स्टिंग का हल्का जिक्र करके इतिश्री कर ली।

जहां तक कांग्रेस सवाल है, रावत की इस बात पर पूरी पार्टी अडिग रहती कि जब तक जांच में कोई जुर्म साबित नहीं होता तो किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी लेकिन मुख्यमंत्री की नाक, आंख और कान के अलावा शराब, खनन  और जमीनों के अवैध कारोबार से मिलने वाली करोड़ों की कमाई में उनके निजी सचिव मोहम्मद शाहिद समेत दर्जनों लोग लिप्त हैं। कांग्रेस के लोग ही बता रहे हैं कि मोहम्मद शाहिद तो छोटी सी मछली हैं। 

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हिंदुस्तान अखबार की बेशर्मी की हद तो यहां तक हो गई कि उसने अपने देहरादून एडिशन में पेज वन पर स्टिंग आपरेशन की खबर के साथ बराबर में रावत के पक्ष में खबर लगाई कि कांग्रेस आलाकमान व पूरी पार्टी हरीश रावत के साथ खड़ी है। सच्चाई इसके विपरीत है। रावत ने निजी सचिव को सस्पेंड तब किया, जब दिल्ली से सोनिया व राहुल की हिदायद के बाद उन्हें जांच का इंतजार किए बिना ही तत्काल एक्शन का हुक्म मिला। रावत के लिए अपने आंख के तारे मोहम्मद शाहिद से किनारा कर पाना आसान नहीं है क्योंकि रावत की संपत्ति की पूरी सूचनाएं और दूसरे दर्जनों राज निजी सचिव शाहिद के पास हैं। अगर सीआई जांच होती है तो रावत और दिल्ली से देहरादून तक उनकी पूरी टोली और मीडिया में उनके एजेंट बेनकाब हो जाएंगे। 

हिंदुस्तान अखबार क्यों रावत को बचाने में जुटा है, इस पर भी गंभीरता से जांच की आवश्यकता है। हिंदुस्तान के शशि शेखर नाम के संपादक की करोड़ों की पापर्टी व रिसार्ट उत्तराखंड में जोशीमठ के निकट औली से लेकर गढ़वाल व भीमताल तक बताई जाती है। इसमें काफी संपत्ति बेनामी है, जिसे कोई अतुल शर्मा नाम का अरबपति व्यवसायी चलाता है। उसका करोबार बचाने के लिए शशि शेखर पूर्व मुख्यमंत्री नारायण तिवारी से लेकर भाजपायी मुख्यमंत्रियों व हरीश रावत के दरबार में हाजिरी लगाता है। उत्तराखंड में अपने सभी नंबर दो के कामों को बचाने की एवज में हरीश रावत का कर्ज उतारने के लिए हिंदुस्तान नतमस्तक है। हिंदुस्तान की मालकिन और उसके मैनेजरों को सब पता है लेकिन उनको पाप का घड़ा फोड़ने के लिए वक्त का इंतजार है। 

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. raja singh rajput

    July 23, 2015 at 8:24 am

    शशि शेखर देश के जाने-माने पत्रकार हैं। उन्होंने ऐसा क्यों किया भाई।

  2. deepak

    August 30, 2015 at 11:11 am

    शशि शेखर देश के जाने-माने पत्रकार हैं। उन्होंने ऐसा क्यों किया भाई।

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