नई दिल्ली : मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष समिति (एमडब्ल्यूबीआईएसएस) ) की मांग पर अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा प्राथमिकता के तौर पर कार्रवाई करने के बाद मजीठिया के मामले पर कांग्रेस में उच्च स्तर पर चिंतन शुरू हो गया है।
कांग्रेस के एक बड़े समूह को डर लगने लगा है कि इस मामले में उनकी पार्टी पिछड़ गई है और इस दिशe में पूववर्ती सरकार के किये कराए का श्रेय अरविंद केजरीवाल बस एक ही प्रेस नोट से ले गए। इतना ही नहीं पार्टी के भीतर इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि कुछ वरिष्ठ नेता मजीठिया वेज बोर्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपने पेशे के बहाने मालिकों की मदद करे रहे हैं।
इनमें मजीठिया वेज बोर्ड के सबसे बड़े दुश्मन दैनिक जागरण के मालिकान का साथ पूर्व मानव विकास एवं संसाधन मंत्री कपिल सिब्ब्ाल का नाम सबसे ऊपर है।
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में हिन्दुस्तान टाइम्स की इस मामले की पैरवी अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं। ग्रास रूट और पार्टी के कई बड़े नेताअों को मानना है कि इससे पार्टी की छवि आम आदमी के बीच खराब होने की पूरी आश्ांका है क्योंकि जिस सरकार के मंत्री ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित किया, उसी के नेता अौर मंत्री सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ खड़े हैं।
समझा जाता है कि अरविंद केजरीवाल के इस दिशा में त्वरित कार्यवाही के बाद कांग्रेस में कपिल सिब्ब्ाल को मनाने की बात चल रही है कि वे दैनिक जागरण की ओर से पैरवी न करें। इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होने वाली है। कांग्रेस पार्टी की बेचैनी को देखते हुए संकेत मिल रहे हैं कि कपिल सिब्बल अगली सुनवाई 28 तारीख को शायद दैनिक जागरण के केस की पैरवी न करें। लेकिन सिंघवी के बारे में अभी कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं बन पाई है।
याद रहे कि इससे पहले दैनिक जागरण के केस से वरिष्ठ वकील पीपी राव भी हट चुके हैं। बताया जाता है कि केस के डिटेल देखने के बाद उन्होंने यह केस वापस कर दिया था।
मजीठिया मंच एफबी वॉल से
Comments on “सिब्बल और सिंघवी हट सकते हैं मजीठिया केस से, केजरीवाल के निर्णय से कांग्रेस में बेचैनी”
सही बात है… एक तरफ जब सत्ता मैं थे तो तब पत्रकारों की वाह वाही लूटने मैं आगे रहे… और अब सत्ता चली गई तो उन्ही बेचारो की आहे लेने मैं भी संकोच नहीं कर रहे हैं.
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