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सियासत

राजदीप जैसे राष्ट्रीय पत्रकार को जनता ने एक झापड़ में अन्तर्राष्ट्रीय बना दिया

बारात  में अक्सर कोई शराबी या बिना पिए ही कोई किसी से लड़ जाए और पिट जाए तो कोई नहीं कहता कि दूल्हे ने पिटवा दिया या उसके बाप ने पिटवा दिया। या दुल्हन ने और उसके बाप ने पिटवा दिया। तो फिर अमेरिका में राजदीप की करतूतों के लिए वह पिट गये तो मोदी इसके लिए कैसे जिम्मेदार हैं? यह आसानी से समझ में आ जाने वाली एक सामान्य सी बात है। और इसके लिए अमेरिका की सरकार जिम्मेदार नहीं है, यह भी कैसे समझ लिया जाए।

<p>बारात  में अक्सर कोई शराबी या बिना पिए ही कोई किसी से लड़ जाए और पिट जाए तो कोई नहीं कहता कि दूल्हे ने पिटवा दिया या उसके बाप ने पिटवा दिया। या दुल्हन ने और उसके बाप ने पिटवा दिया। तो फिर अमेरिका में राजदीप की करतूतों के लिए वह पिट गये तो मोदी इसके लिए कैसे जिम्मेदार हैं? यह आसानी से समझ में आ जाने वाली एक सामान्य सी बात है। और इसके लिए अमेरिका की सरकार जिम्मेदार नहीं है, यह भी कैसे समझ लिया जाए।</p>

बारात  में अक्सर कोई शराबी या बिना पिए ही कोई किसी से लड़ जाए और पिट जाए तो कोई नहीं कहता कि दूल्हे ने पिटवा दिया या उसके बाप ने पिटवा दिया। या दुल्हन ने और उसके बाप ने पिटवा दिया। तो फिर अमेरिका में राजदीप की करतूतों के लिए वह पिट गये तो मोदी इसके लिए कैसे जिम्मेदार हैं? यह आसानी से समझ में आ जाने वाली एक सामान्य सी बात है। और इसके लिए अमेरिका की सरकार जिम्मेदार नहीं है, यह भी कैसे समझ लिया जाए।

राजदीप की करतूतों से देश का मीडिया बदनाम हुआ है। भारत की बदनामी हुयी है। यह आदमी देश के बाहर जाकर अपने ही मुल्क के लोगों से लड़ा, उनसे अभद्रता की और सौ बार पूछा “क्या वह मोदी के लिए वापस भारत लौटेंगे?” हर बार जवाब हां में मिला। इन लोगों ने भारत की तरक्की के अपने सपने बताना चाहे तो इसने पीठ फेर ली। इसने एक बार भी यह नहीं सुनना चाहा कि क्या वे देश की तरक्की के लिए वापस अपने वतन लौटेंगे? इसे इस बात की ज़रा भी खुशी नहीं हुई कि अमेरिका में बसे भारतीय अपने वतन के लिए किस कदर कसक रहे हैं कि वह अपने देश के प्रधानमंत्री को सुनने आये। अमेरिका में रहकर भारत के लिए व्यग्र हैं।

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राजदीप सरदेसाइयों की गलत फहमी दूर हुयी है। ये भांडगिरी पर पत्रकारिता की मुहर ठोकते रहे। और अब इस गलतफहमी में जी रहे थे कि अमेरिका में बसे भारतीय इनके चैनल पर दिखने के लिए जो यह बोलेंगे वही वह भी बोलेंगे! बेवकूफ ये हैं, जनता नहीं। और अपने देश का चौथा खम्भा कहलाने वाले मीडिया में महज दलाली करने को बेवजह घुस आये लोग अपने ही मुल्क के खिलाफ लोगों को भड़काने में लगे हैं? यह वही लोग हैं जो यह कह रहे हैं कि ओबामा ने मोदी को भाव नहीं दिया। यही वे लोग हैं जो यह अमरीका की सड़कों  सरेआम भारतीयों को उसकी सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। तो सवाल यह भी उठना वाजिब है कि इन्हें अमरीका का वीजा क्या भरत के खिलाफ भारतीयों को बरगलाने के लिए मिला? यह देश द्रोह से कम नहीं है और देश मीडिया से बहुत बड़ा है।

पिछले 70 सालों में देश की युवा शक्ति ने देश से निराश होकर अपने भविष्य के लिए भारत में अपनी सम्पत्ति बेच कर भी पढ़ाई की और अमेरिका जैसे देशों में जाकर नौकरी करने लगे, कभी वापस न लौटने की शपथ लेकर। अब उनसे देश का मीडिया यह पूछे क्या वह मोदी के लिए भारत आएंगे? और उसका जवाब भी हाँ में सौ मिल जाने के बाद भी यही सवाल बार बार पूछा जाए तो किसे गुस्सा नहीं आएगा और कौन यह नहीं सोचेगा कि सामने वाला दिल दिमाग से कितना दुरस्त है, यही परखा जाए? पूरे अमेरिका ने अपने देश की सड़कों पर भारत के मीडिया का सामन्य ज्ञान देखा! उसकी प्रतिभा और नामचीन (पत्रकारिता या भांडगीरी) हो चुके लोगों की अपने देश के प्रति चिंता देखी। उनके लक्ष्य देखे। उनके चिंतन के विषय देखे। उनकी देश भक्ति देखी। राष्ट्र की बात तो उनके चिंतन में ही नहीं है।

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इसमें मोदी का क्या हाथ है? भाजपा का क्या हाथ है? ओबामा हाथ क्यों नहीं है?

भारत के बाहर जाकर भारत को उसके प्रधानमंत्री को बुरा भला कहना और कहलवाना क्या देश द्रोह नहीं है? और जब किसी को गुस्सा आये तो मोदी मोदी–हाय पत्रकार पत्रकार। इन जैसे लोगों की ही वजह से आज देश में पत्रकार बदनाम है। और जब जब पत्रकारों पर सत्ता या उसके दलालों ने हमले किये तब ये राष्ट्रीय पत्रकार बने रहे और आज इन्हें आम जनता ने एक झापड़ में अन्तराष्ट्रीय बना दिया।

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शाबास भारत!!

 

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आशीष अग्रवाल। [email protected]

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