ओम थानवी-
राजस्थान में राज्यसभा चुनावों की ख़ासियत यह रही कि ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ विफल रही। भाजपा ने पता नहीं क्या सोचकर सुभाष चंद्र को आगे किया था। उनके पास पैसा है और मीडिया का बल भी। मगर कांग्रेस की रणनीति कारगर साबित हुई।
यह बात अहम है कि हरदम हिंदू-मुस्लिम करने वाले टीवी चैनल के संस्थापक सुभाष चंद्र को हराकर राजस्थान ने सांप्रदायिक पत्रकारिता के प्रश्रय को ख़ारिज किया है।
नतीजे घोषित होने से पहले ही चंद्र ने हार मानते हुए एक खिसियाना वक्तव्य दिया और दिल्ली को निकल गए।
उन्होंने कहा — “(कुछ विधायकों ने) मुझे रात को और कुछ ने सुबह फोन कर माफी माँगी — भाईजी, इस बार साथ नहीं दे सकता। मैंने कहा (अपने) काम-वाम तो ठीक से करवा लिए? वे बोले, हाँ बहुत काम करवा लिए अबकी तो। चलो (इस तरह) मैं कुछ काम आया, यही अच्छी बात है।”