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सुरेश तिवारी की संविदा नियुक्ति अवैध, इस्तीफ़ा लिया

मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के विवादस्पद संचालक एवं एमडी ‘माध्यम’ सुरेश तिवारी फिर नए झमेले में फँस गए हैं। वे 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। लेकिन, कथित रूप से राज्य सरकार ने उन्हें काम करते रहने के निर्देश देते हुए उनकी सेवाएं एक साल के लिए संविदा पर लेने की तैयारी कर ली थी। तिवारी को एक साल की संविदा नियुक्ति देने के साथ ही उन्हें ‘माध्यम’ का ओएसडी पदस्थ किए जाने की संभावना जताई जा रही थी।

<p>मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के विवादस्पद संचालक एवं एमडी 'माध्यम' सुरेश तिवारी फिर नए झमेले में फँस गए हैं। वे 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। लेकिन, कथित रूप से राज्य सरकार ने उन्हें काम करते रहने के निर्देश देते हुए उनकी सेवाएं एक साल के लिए संविदा पर लेने की तैयारी कर ली थी। तिवारी को एक साल की संविदा नियुक्ति देने के साथ ही उन्हें 'माध्यम' का ओएसडी पदस्थ किए जाने की संभावना जताई जा रही थी।</p>

मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के विवादस्पद संचालक एवं एमडी ‘माध्यम’ सुरेश तिवारी फिर नए झमेले में फँस गए हैं। वे 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। लेकिन, कथित रूप से राज्य सरकार ने उन्हें काम करते रहने के निर्देश देते हुए उनकी सेवाएं एक साल के लिए संविदा पर लेने की तैयारी कर ली थी। तिवारी को एक साल की संविदा नियुक्ति देने के साथ ही उन्हें ‘माध्यम’ का ओएसडी पदस्थ किए जाने की संभावना जताई जा रही थी।

लेकिन, अचानक सरकार ने सुरेश तिवारी की संविदा नियुक्ति निरस्त करते हुए, उनसे इस्तीफ़ा ले लिया गया। बताया जाता है कि सुरेश तिवारी की संविदा नियुक्ति का तरीका गलत था, जिससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नाराज हुए। किसी संचालक स्तर के अधिकारी की संविदा नियुक्ति कैबिनेट की बैठक में तय होती है। जबकि, तिवारी की संविदा नियुक्ति का आदेश मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के आयुक्त एस.के. मिश्रा ने ही निकाल दिए थे। जानकारी के मुताबिक एस. के. मिश्रा ने ये आदेश जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल की नोटशीट पर निकाला था, जो मुख्यमंत्री को रास नहीं आया। फिलहाल सुरेश तिवारी की संविदा नियुक्ति के आदेश निरस्त कर उनसे इस्तीफ़ा ले लिया गया है।

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सुरेश तिवारी जनसंपर्क विभाग में विवादों की विरासत रहे हैं। आपातकाल के दौरान धार जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुरेश तिवारी की जनसंपर्क विभाग में बतौर असिस्टेंट पीआरओ डायरेक्ट नियुक्ति अर्जुन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। उन्हें तत्कालीन धार जिला कांग्रेस के अध्यक्ष (स्व.महेश मंडलोई) की सिफारिश पर अर्जुन सिंह ने अनुशंसा नियुक्ति दी थी। कांग्रेस के प्रति तिवारी का झुकाव बना रहा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दूसरे कार्यकाल में वे दिग्विजय सिंह के बेहद ख़ास रहे! इंदौर का मीडिया मैनेज करने में उन्हें महारत थी।

14 साल इंदौर में रहने के बाद वे भोपाल गए भाजपा की तरफ मुड़ गए और कैलाश विजयवर्गीय के ख़ास बन गए। उज्जैन के पिछले सिंहस्थ (2004) के दौरान सुरेश तिवारी ने दो महीने के लिए उज्जैन ट्रांसफर करवा लिया और सिंहस्थ के बाद फिर इंदौर आ गए! फिर भोपाल आने पर पत्नी स्वाति तिवारी (कथित कहानीकार) की नियुक्ति भी शिक्षा विभाग से जनसंपर्क में करवा ली! इस बीच पत्नी द्वारा शासकीय वाहन से किए गए एक एक्सीडेंट को लेकर भी तिवारी दंपत्ति का नाम काफी उछला था। फिलहाल वे रिटायर होने के बाद नई नियुक्ति को लेकर विवादों में हैं। विभाग के जानकार सूत्रों के मुताबिक सुरेश तिवारी मुख्यमंत्री को मैनेज करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। संभव है वे अपनी कोशिशों में कामयाब भी हो जाएं!

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0 Comments

  1. Ashwin Kumawat

    January 8, 2015 at 2:26 pm

    बिल्कुल सही है ये बात! सुरेश तिवारी से ज्यादा जुगाड़ू, भ्रष्ट और मौका परस्त आदमी जनसंपर्क विभाग में न तो कोई हुआ है और न होगा! धार, खरगोन, रतलाम और इंदौर, जहाँ भी सुरेश तिवारी रहा है, हमेशा विवादों में घिरा रहा! ‘भड़ास’ की खबर में ये जानकारी छूट गई है कि इनका बेटा अमेरिका में पढ़ता है (या पढ़ चुका है) और सुरेश तिवारी ने आईएएस अलॉट के लिए भी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था, पर किसी ने शिकायतों का पुलिंदा चीफ सेक्रेटरी के पास भिजवा दिया और बात बिगड़ गई! सुरेश तिवारी के खिलाफ लोकायुक्त में भी मामला दर्ज है! इस सबके बाद रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें संविदा नियुक्ति दी गई, तो समझा जा सकता है कि सुरेश तिवारी क्या चीज है!

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