गिरीश मालवीय-
स्वतंत्र भारत के इतिहास में इससे बड़ी बेशर्मी की मिसाल कभी सामने नही आयी है जो मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के मामले में पेश की जा रहीं है।
लखीमपुर में हुई किसानों की हत्या के मामले में अब तक यह कहकर बचा जा रहा था कि अब तक चार्जशीट पेश नही हुई है। लेकिन अब तो एसआइटी ने कोर्ट में 5000 पन्नो की चार्जशीट भी पेश कर दी है जिसमे आशीष मिश्रा को हत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया है। एसआईटी ने 3 अक्टूबर को हुई चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या की उस घटना को एक ‘‘सोची-समझी साजिश’’ करार दिया है।
पांच अक्टूबर को अजय मिश्र टेनी ने स्वयं कहा था, ‘मैं लगातार अपनी बात रख रहा हूं। हमारे पास यह साबित करने के सबूत हैं कि न तो मैं और ना ही मेरा बेटा घटनास्थल पर मौजूद थे। अगर मेरे बेटे की मौजूदगी का प्रमाण साबित हो जाए तो मैं अभी मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।’
अगर थोड़ा भी नैतिक बल उनमें होता तो वे अब तक इस्तीफा दे देते लेकिन यदि वो इस्तीफा नहीं देते तो भी मोदी को अब तक उनसे इस्तीफा ले लेना चाहिए था क्योंकि प्रोटोकॉल के मुताबिक एसआईटी उनसे तब तक पूछताछ नहीं कर सकती, जब तक वे मंत्रिपद पर हैं।
‘सोची समझी साजिश’ का इल्जाम उन पर भी है क्योंकि उन्होंने ही किसानों को मारने के लिए ललकारा था, 26 सितंबर को जब किसान इनकी गाड़ी के आगे काले झंडे दिखाकर विरोध कर रहे थे। उसी दिन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए किसानों के खिलाफ कहा था ‘जो किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर मैं पहुंच गया होता तो भागने का रास्ता नहीं मिलता। लोग जानते हैं कि विधायक, सांसद बनने से पहले मैं क्या था। जिस चुनौती को स्वीकार कर लेता हूं, उसे पूरा करके ही दम लेता हूं। सुधर जाओ…नहीं तो 2 मिनट का वक्त लगेगा।’
अब इससे बड़ा सुबूत क्या होगा कि इस साजिश का असली सूत्रधार कौन है ओर ऐसे व्यक्ति को मोदी सरकार को लगातार बचा रही है।
न्याय की कसौटी यह है कि न्याय हो ही नहीं, बल्कि होता हुआ दिखे भी। लेकिन अजय मिश्रा टेनी के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा।
Prashant
January 4, 2022 at 3:39 pm
“अगर थोड़ा भी नैतिक बल उनमें होता तो वे अब तक इस्तीफा दे देते”
Naitikata ka shabd bhi Ajay Mishra Ko Pata hoga mujhe to nahi lagta. ye sarkar ya Modi se jyada hamare (voters) liye sharmnak hai ki ham aise logo ko apana NETA chunate hai.
Ye sari ghatnaye hame (Voters) chetati hai ki ab bhi ham nahi jage to fir hame kahne ka kya haq hoga ki ” ye sarkar kuch nahi karti ya sarkar ahankari hai”.
Taali dono hatho se bazti hai or ham baza rahe hain.
Sharmnak.