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वेब-सिनेमा

वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने True journalist डॉट कॉम का लोकार्पण किया!

गिरीश मालवीय-

true journalist वेबसाइट को लॉन्च कर दिया गया है… इसका लोकार्पण रविवार 9 जुलाई को दोपहर 1:00 बजे, अभिनव कला समाज ( गांधी हॉल, इंदौर ) में इन्दौर के स्टेट प्रेस क्लब के तत्वावधान में आयोजित मास्टर क्लास के समापन सत्र में वरिष्ठ पत्रकार श्री संकर्षण ठाकुर (एडिटर द टेलीग्राफ) के कर कमलों द्वारा किया गया।

True journalist हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज को उठाने का एक छोटा सा प्रयास है। यहां हम वो पड़ताल करते हैं ऐसे ज्वलंत मुद्दों को उठाते हैं जो बिक चुके मुख्य धारा के मीडिया या बड़े टीवी चैनलों ने जरूरी नहीं समझे….

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आप देख ही रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों से आपकी हमारी फेसबुक रीच कैसे कम की जा रही है। जैसे ही आप पोस्ट डालते हैं, लाईक बढ़ते है लेकिन उनकी रफ्तार अचानक से कम होने लगती है। ऐसा लगता है कि कोई ब्रेकर सेट कर दिया गया है कि इससे ज्यादा लाइक नही दिए जाएंगे।

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सीधी बात है कि लोगो को पोस्ट दिखाई ही नहीं जाएगी तो वे रिएक्शन देंगे कैसे ? भले ही उन्होने आपको फर्स्ट सी पर रखा हो पर क्या दिखाना है क्या नही दिखाना है ये कंट्रोल तो अल्टीमेटली फेस बुक के पास ही रहता है। ऐसा खासकर उन पोस्ट पर हो रहा है जिसमे किसी न किसी प्रकार से सरकार की आलोचना के स्वर निकल रहे हों।

कई सालों के फेसबुक के अनुभव से कह रहा हूं कि ऐसा पहली बार ही रहा है हालांकि पहले भी ऐसा होता था लेकिन उसका ड्यूरेशन कम रहता था थोड़े टाईम के बाद रीच पहले जेसे ही मिलने लगती थी।

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वैसे कई लोग इस चीज का मजाक भी उड़ाते हैं कि पोस्ट में कम होती रीच का जिक्र बार बार कर लेखक फुटेज खा रहे हैं पर आप सोचिए कि हम लोग भला यहां क्यों लिखते है?

हम यहा इसलिए लिखते है कि ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे विचारों को जानें हमे कोई पैसे तो मिल नही रहे हैं यहां लिखने से ??? कि लाइक कम आएंगे तो हमारी पेमेंट कम हो जाएगी !!!

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हम लोग जो महसूस करते है वो लिख देते हैं हमे अच्छा लगता है जब उसे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ते है अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और जब पोस्ट पर अच्छी मेहनत करने के बाद भी प्रतिक्रिया नहीं आती तो निराशा होना स्वाभाविक है

अब इसका रास्ता क्या है ? दरअसल सच्चाई यह है कि ऐसे हालातों में अब फेस बुक पर आने का मन नहीं करता क्योंकि उसने तो तय कर लिया है कि स्वतन्त्र रुप से व्यक्त किए गए विचारो के लिए उसके पास कोई स्पेस नही है ! फेसबुक के इस ढर्रे को देखते हुए इस नई वेबसाईट को शुरु किया गया है। true journalist डॉट कॉम इसी के लिए है।

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