मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई शहर के सभी समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व को दर्शाने वाला टर्नओवर देना इस समय श्रम आयुक्त कार्यालय के लिये गले की हड्डी बन गया है। इस टर्नओवर को पाने के लिये मुंबई के पत्रकार शशिकांत सिंह ने आरटीआई दायर की थी जिससे पता चल सके कि कौन कौन से समाचार पत्र का उस समय कितना टर्नओवर था और किस आधार पर मजीठिया की गणना की गयी है।
इस पर श्रम आयुक्त कार्यालय ने यह सूचना उपलब्ध नहीं करायी और तमाम तरह के बहाने बनाये जिसके बाद श्री सिंह ने श्रम आयुक्त कार्यालय में अपील दायर कर दिया। इस अपील पर 7 नवंबर को सुनवाई के दौरान श्रम आयुक्त कार्यालय मुंबई शहर के जन माहिती अधिकारी मौजूद ही नहीं हुये और ना ही अपील अधिकारी के पास सुनवाई के लिये फाईल उनके टेबल पर रखी गयी थी।
काफी खोजबीन के बाद फाईल मिली तो अपील अधिकारी श्री भुजबल ने अपीलकर्ता शशिकांत सिंह का पक्ष समझा और बिना पूर्व सूचना के जन माहिती अधिकारी के गायब रहने के मामले को गंभीरता से लिया और स्पष्ट आदेश दिया कि अपीलकर्ता शशिकांत सिंह को निशुल्क रूप से सूचना उपलब्ध करायी जाये। फिलहाल इतना तो तय है कि मुंबई के श्रम आयुक्त कार्यालय के पास किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान का वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व को दर्शाने वाला टर्नओवर नहीं है और बिना इस टर्नओवर की छानबीन किये माननीय सुप्रीम कोर्ट को मजीठिया स्टेटस संबंधी यह रिपोर्ट भेजी गयी है कि कहां कहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू है और कहां कहां नहीं।
यह टर्नओवर अब श्रम आयुक्त कार्यालय के लिये गले की हड्डी बन गयी है। अगर सही सही टर्नओवर का पता चल जाये तो समाचार पत्र मालिकों की कलई खुल जायेगी इसलिये श्रम आयुक्त कार्यालय ने मालिकों द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट को बिना किसी जांच किये हूबहू उसी तरह भेज दिया है माननीय सुप्रीम कोर्ट को, ऐसा लग रहा है। फिलहाल अगर यह टर्नओवर समय से नहीं मिला तो शशिकांत सिंह ने कहा है कि वे राज्य सूचना आयुक्त के यहां भी जायेंगे।
Kashinath Matale
November 16, 2015 at 4:12 am
Napur me bhi yehi hal hai. ALC office Nagpur, union ko court me jane ki salah de raha hai.