दैनिक भास्कर में मेल हैक कर जबरन इस्तीफा लेने पर पुलिस ने किया केस दर्ज

दैनिक भास्कर चंडीगढ़ में मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वाले एक मीडियाकर्मी का फर्जी तरीके से उसी की मेल आईडी से एचआर वालों ने मेल भेजकर उन्हें कार्यमुक्त कर दिया. इस बाबत पीड़िता मीडियाकर्मी सुधीर श्रीवास्तव ने पुलिस में लिखित कंप्लेन दी.

इकलौते जज साहब हज करने चले गए, श्रम अदालत है महीने भर से खाली (देखें वीडियो)

बुरा हाल है श्रम अदालतों का, मीडियाकर्मी हक पाने के लिए भटक रहे… आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की कानपुर शाखा के सेक्रेटरी एके सिंह ने एक इंटरव्यू में मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे मीडियाकर्मियों के सामने आ रही दिक्कतों का खुलासा किया.

मजीठिया क्रांतिकारियों की नेशनल यूनियन ‘एनईयू इंडिया’ पंजीकृत

देश के सभी अखबार कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए आखिरकार एक नेशनल यूनियन का सपना साकार हो चुका है। मजीठिया क्रांतिकारियों की पिछले करीब पांच सालों की लंबी लड़ाई के दौरान जो समस्‍याएं सामने आई हैं, उन्‍हें देखते हुए खालिस अखबार कर्मचारियों की एक देशव्‍यापी यूनियन की जरूरत महसूस हो रही थी। इसी …

मजीठिया क्रांतिकारी और वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत का पुत्र बना पीसीएस अफसर

क्या आप उस बच्चे से अंग्रेजी माध्यम से 19वीं रैंक के साथ पीसीएस बनने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसकी शिक्षा सरकारी प्राइमरी स्कूल से शुरू हुर्इ हो, जिसे एकेडमिक करियर में अंग्रेजी विषय में 18 अंक ग्रेस मार्क देकर पास किया गया हो, जिसे कक्षा 10 में मात्र 59.8%, 12 में मात्र 63.3% और …

भास्कर ग्रुप के कर्मियों के लिए मंडे के दिन गुड न्यूज- ‘क्लेम करो, लाखों पाओ’! देखें आर्डर कॉपी

मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले के पक्ष में आए लेबर कोर्ट के फैसले की कॉपी पढ़ें… ये है मजीठिया अवॅार्ड को लेकर पहला आर्डर … जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में भड़ासी तेवर वाले महाराष्ट्र के क्रांतिकारी पत्रकार सुधीर जगदाले के पक्ष में आए लेबर कोर्ट के फैसले की कॉपी अब www.bhadas4media.com पर उपलब्ध है। देश …

मजीठिया मामले में राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन को हाईकोर्ट ने नहीं दिया स्टे

प्रबंधन ने तीन कर्मचारियों को बिना काम के वेतन दिया…. मजीठिया मामले में राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन का करारा झटका लगा है। लेबर कोर्ट से हारने के बाद राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन हाईकोर्ट में प्रोडक्शन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में गया। प्रबंधन को उम्मीद थी कि लेबर कोर्ट के आदेश पर स्टे मिल …

‘हिन्दुस्तान’ मुरादाबाद के मजीठिया क्रांतिकारी संतोष की गवाही पूरी, मार्च तक फैसला आएगा

मुरादाबाद से मजीठिया का दावा पेश करने वाले पहले क्रांतिकारी संतोष सिंह का केस अंतिम पड़ाव पर पहुंचा… हिन्दुस्तान मुरादाबाद में बतौर सिटी चीफ कार्य करने वाले संतोष सिंह को हिन्दुस्तान मुरादाबाद के सम्पादक मनीष मिश्रा के स्थानांतरण के बाद नवांगुत सूर्य कान्त द्ववेदी ने अपने पूर्व व्यक्तिगत द्वेष के चलते हाशिये पर डाल दिया.

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लेबर कोर्ट से सुधीर जगदाले बने देश के पहले विनर

देशभर के उन मीडियाकर्मियों के लिये एक खुशी भरी खबर आयी है जिन्होंने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लेबर विभाग या लेबर कोर्ट में मुकदमा कर रखा है। मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के सुधीर जगदाले की लेबर कोर्ट में शानदार जीत हुयी है और वे इस मामले में लेबर कोर्ट से जीतने …

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का बरेली श्रम न्यायालय में दिखा असर

कंपनी के कागजात जमा करने को ज्यादा समय देने से किया इनकार, सुनवाई के लिए अंतिम 2 दिन की मोहलत, फिर 2 फरवरी की डेट लगी, पीठासीन अधिकारी का बदला नज़र आया रुख, मजीठिया के अन्य केसों में भी दो दिन बाद फिर सुनवाई, हिन्दुस्तान के पैरोकारों की श्रम न्यायालय ने टालमटोल करने पर लगाई …

सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड और टर्मिनेशन के लंबित मामले तय समयसीमा में निपटाने के आदेश दिए

देशभर के सभी हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी किए गए… देशभर में मजीठिया वेतनमान के लिए संघर्ष कर रहे प्रिंट मीडिया के साथियों के लिए नए साल में देश की सबसे बड़ी अदालत ने बड़ी राहत भरी खबर दी है। मजीठिया को लेकर दायर एक मिसलेनियस एप्लीकेशन पर सोमवार 28 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश …

जब मुख्य न्यायाधीश अपना ही आदेश नहीं मनवा सकता तो फिर इस न्याय पालिका पर कौन विश्वास करेगा!

मजीठिया वेज बोर्ड 11 साल से लागू न करा पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी जिम्मेदार… मजीठिया वेज बोर्ड के लिए संघर्ष कर रहे साथियों से यह कहना चाहता हूं कि प्रिंट मीडिया में जो मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू नहीं हो पा रही हैं, मांगने वालों को बर्खास्त किया जा रहा है, ट्रांसफर …

मीडिया मालिकों के ‘भक्त’ पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आम मीडियाकर्मियों ने शुरू की मुहिम

मजीठिया वेज बोर्ड न मिलने से नाराज मीडियाकर्मियों ने पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को पत्र भेजा… पीएम नरेंद्र मोदी अपने मूल स्वभाव में एलीट समर्थक और आम जन विरोधी हैं. यही कारण है कि वे हर मसले पर साथ बड़े लोगों का लेते हैं और छोटे लोगों को उनके हाल पर मरने-तपड़ने के …

ये अंशकालिक संवाददाता तो मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई जीतने वाला है! आप कब जागेंगे?

देश भर के समाचार पत्रों में कार्यरत अंशकालिक संवाददाताओं के लिये अच्छी खबर है। समाचार पत्रों में समाचार भेजने के बदले नाम मात्र का भुगतान पाने वाले अंशकालिक संवाददाता भी मजीठिया वेज बोर्ड के तहत लाखों रुपये का बकाया भुगतान क्लेम कर सकते हैं और इसे पा भी सकते हैं। एक अंशकालिक संवाददाता अपने इसी …

मजीठिया वेज बोर्ड : महाराष्ट्र में समाचार पत्रों की फिर से होगी जांच

मुंबई : पत्रकारों और समाचारपत्र कर्मियों के लिये गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भी अमल में नहीं लाया जा सका है। महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित त्रिपक्षीय समिति की बैठक में इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुये कामगार आयुक्त राजीव जाधव ने …

पत्रकार ने अमित शाह को मजीठिया वेज बोर्ड के सवाल पर घेरा तो बगले झांकने लगे

जयपुर में आज अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर कुछ पत्रकारों ने सवालों का ऐसा गोला दागा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बगले झांकने लगे और बड़ी बेशर्मी से अमित शाह ने कह दिया कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के बारे में कुछ नहीं मालूम। अमित शाह पर सवालों …

मजीठिया क्रांतिकारी का 37 लाख रुपये बकाया कोर्ट में जमा करने का दैनिक भास्कर को निर्देश

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पंजाब से एक बड़ी खबर आ रही है। पंजाब हाईकोर्ट ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कार्प को निर्देश दिया है कि वह क्लेमकर्ता की पूरी बकाया राशि को रजिस्ट्रार कार्यालय में दस दिनों के अंदर जमा कराए। पूरे देश में ये पहला मामला है जब किसी …

नई दुनिया इंदौर के मीडियाकर्मी अभिषेक यादव ने प्रबंधकों की दादागिरी का कच्चा चिट्ठा खोला

Pramod Patel : मजीठिया वेज बोर्ड मांगने पर किस प्रकार से कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है, किस तरह मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है और किस तरह केस वापस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है, उसका उदाहरण है नई दुनिया, इंदौर के मीडियाकर्मी अभिषेक यादव का प्रकरण. हम इस साथी को …

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पत्रकारों के लिए सुनाया एतिहासिक फैसला, लेकिन सवाल वही है- ‘इसे लागू कौन कराएगा माई लॉर्ड?’

सुप्रीम कोर्ट ने नाक रगड़ लिया लेकिन किसी अखबार मालिक ने ठीक से मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं किया. वो मीडियाकर्मी जो खुलकर मजीठिया वेज बोर्ड मांगते हुए सामने आए, उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया गया या फिर दूर दराज कहीं ट्रांसफर करके फेंक दिया गया. जो लोग चुप्पी साधे अखबारों में मालिकों …

पाखंडी भास्कर समूह को आइना दिखाने वाली बहादुर रिसेप्शनिस्ट आलिया इम्तियाज़ शेख को एक सैल्यूट!

महिला मीडियाकर्मी का यह इस्तीफानामा दैनिक भास्कर के पाखंड को तार-तार करता है… आप भी पढ़ें और दूसरों को भी पढ़वाएं….

अखबार ने नौकरी से निकाला तो 34 साल बाद कोर्ट से जीत सके दुबे जी!

कुछ लोगों का कहना है कि यह जीत कोई जीत नहीं है. 34 साल बाद किसी कंपनी से निकाले गए आदमी का जीतना बताता है कि दरअसल कंपनी जीत गई, आदमी हार गया. बावजूद इसके, कई पत्रकार साथी खुश हैं कि चलो, जीते हुए साथी को समुचित पैसा, बकाया, वेज बोर्ड और मुआवजा तो मिल …

मजीठिया वेज बोर्ड : 20जे के विवाद को लेकर इस तरह बनाएं अपना जवाब

दैनिक जागरण, दैनिक भास्‍कर, अमर उजाला और कई अन्‍य समाचारपत्रों के प्रबंधकों की ओर से मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर 20जे को विवाद का बड़ा हथियार बनाकर जबरन लिए गए हस्‍ताक्षरों वाले दस्‍तावेज लगाकर डीएलसी स्‍तर पर या लेबर कोर्ट में चल रहे मामले को खारिज किए जाने की अर्जी डाली जा रही है। प्रबंधन के …

मजीठिया वेज बोर्ड : दैनिक भास्कर पर 62 हजार रुपये का जुर्माना

नोटिस रिसीव न करने और गैरहाजिर रहने पर कोर्ट की कार्रवाई…. मजीठिया मामले में हताश, निराश और कदम-कदम पर पराजित अखबार मालिकों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। पलायनवादी और शतुर्मुर्गी रवैया अब उन्हें भारी पड़ने लगा है। कानून से भागने की अखबार मालिकों की रणनीति अब बैक फायर करने लगी है।

मजीठिया वेज बोर्ड मुद्दे पर गुमराह करने की कोशिशों पर अदालत ने सहारा के वकील से जताई नाराजगी

वर्ष 2015 में टर्मिनेट किए गए लोगों की नोएडा लेबर कोर्ट में सुनवाई थी. कोर्ट में सहाराकर्मियों और उनके वकीलों ने सहारा प्रबंधन के वकीलों को पानी पिला दिया. कोर्ट में ही नारे लगने लगे. पढ़िए एक सहाराकर्मी द्वारा फेसबुक पर लिखी गई टिप्पणी…. Sumnesh Kumar Chaturvedi : “कहाँ से अनपढ़ लोगों को ले आते …

मजीठिया मामले में पत्रिका प्रबंधन को आज फिर मुंहकी खानी पड़ी!

Vijay Sharma : पत्रिका प्रबन्धन को आज फिर मुंहकी खानी पड़ी। प्रबन्धन ने 190 कर्मचारियों के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट से स्टे ले कर उसे लम्बा खींचने की कोशिश कर रहा था। लेकिन पत्रिका प्रबन्धन की ये कोशिश नाकाम हो गई और आज राजस्थान हाई कोर्ट ने स्टे ऑर्डर खारिज करते हुए लेबर कोर्ट …

मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इन लेबर कोर्ट को दिया 31 मार्च तक सुनवाई पूरी करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट से मजीठिया वेज बोर्ड मामले में एक ताजा आदेश आया है। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर कोटा, बनारस और जयपुर के मजीठिया क्रांतिकारियों को बड़ी राहत दी है।

मजीठिया वेज बोर्ड प्रकरण में कोई मालिक भले न जेल गया, एक बेरोजगार मीडियाकर्मी जरूर अंदर कर दिया गया

Amitabh Thakur : श्री एम के गाँधी की महानता पर कोई टिप्पणी किये बगैर मैं उनके महिलाओं के साथ किये गए सेक्स प्रयोगों को पूर्णतया गलत समझता हूँ और उन्हें घृणास्पद और निंदनीय मानता हूँ. किसी भी व्यक्ति को अपने महत्ता और ताकत का उस प्रकार बेजा प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसा श्री गाँधी ने ब्रह्मचर्य प्रयोग की जांच के नाम पर अन्य महिलाओं के साथ नग्न या अन्यथा साथ सो कर किया था.

अमिताभ ठाकुर


इन पांच मीडियाकर्मियों ने कोर्ट में दैनिक भास्कर को किया परास्त, देखें फोटो

  मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मीडिया कर्मचारियों को लेबर कोर्ट से मिला न्याय। कोर्ट ने दैनिक भास्कर होशंगाबाद के पांच कर्मचारियों की सेवा समाप्ति को अवैध और अनुचित माना। कोर्ट ने सेवा बहाली का अवार्ड पारित किया है। कोर्ट ने माना कि मजीठिया वेज बोर्ड मांगने के कारण कर्मचारियों को प्रबंधन ने निकाला।

नोएडा का डीएलसी बोला- तुम पत्रकार इसी लायक हो!

Ratan Bhushan नोएडा के डी एल सी पी के सिंह ने निकाली भड़ास… बोला, तुम पत्रकार इसी लायक हो… आज नोएडा के डी एल सी श्री पी के सिंह ने पत्रकारों और माननीय सुप्रीम कोर्ट के बारे में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट …

नवभारत मुंबई प्रबंधन की प्रताड़ना के शिकार मजीठिया क्रांतिकारी विमल मिश्र की मौत

मुंबई : चार साल से नवभारत प्रबंधन की प्रताड़ना से जंग लड़ रहे नवभारत के रिपोर्टर विमल मिश्र का निधन हो गया। नवभारत प्रबंधन ने उन्हें न तो ट्रांसफर किया था, ना ही सस्पेंड किया और ना ही टर्मिनेट किया। इसके बावजूद वेतन नहीं दे रहा था। तकरीबन 4 साल पहले श्री मिश्र ने नवभारत …

ये 17 मीडियाकर्मी पटना में एचटी ग्रुप से अपने हक के लिए लड़ रहे हैं

पटना : संयुक्त श्रमायुक्त वीरेंद्र प्रसाद ने हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स के कुल 17 कामगारों एवं पत्रकारों का मजीठिया वेज बोर्ड का मामला सुनवाई के बाद लेबर कोर्ट में रेफरेंस के लिए भेज दिया। इसमें शोभना भरतीया को सीधे पार्टी बनाया गया है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के अधिनियम 17 (2) के अन्तर्गत मजीठिया बकाए के …

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारों के पक्ष में बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बॅाम्बे हाई कोर्ट ने दी कर्मचारियों को बड़ी राहत, लेबर कोर्ट में हो रही सुनवाई पर हस्तक्षेप करने से किया इनकार, कंपनी द्वारा उठाये गए आपत्ति को भी किया रिजेक्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट में कर्मचारियों का पक्ष रखा गया…

राष्ट्रीय सहारा के गुणानंद को मजीठिया मामले में मिली लेबर कोर्ट में जीत

लेबर कोर्ट देहरादून ने दिया सहारा को बड़ा झटका… ठेका कर्मी को नियमित कर्मचारी मानते हुए मजीठिया देने का आदेश… राष्ट्रीय सहारा को लेबर कोर्ट देहरादून ने करारा झटका दिया है। श्रम न्यायालय ने सहारा प्रबंधन के तमाम तिकडम और दबाव के बावजूद कर्मचारियों के हक में फैसला दिया है। श्रम न्यायालय के माननीय जज …

सहारा को तीन बर्खास्त मीडियाकर्मियों की बहाली और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन देने के निर्देश

देहरादून। राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन को अपने यहां से निकाले गए मीडियाकर्मियों के मामले में झटका लगा है। लेबर कोर्ट ने तीन कर्मियों की बर्खास्तगी को अवैध मानते हुए उनकी बहाली के साथ ही मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन देने का भी निर्देश दिया है।

मजीठिया केस : दैनिक जागरण पर लगा बीस हजार रुपये का जुर्माना

Brijesh Pandey : दैनिक जागरण हिसार के 41 कर्मियों का टेर्मिनेशन का मामला… हिसार के 41 कर्मियों के टर्मिनेशन के मामले में 16 A की शिकायत के बाद सरकार ने 17 की शक्ति का प्रयोग करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में 6 माह की समय सीमा के साथ न्यायनिर्णय हेतु लेबर …

मजीठिया मामले में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने जरूरी कदम उठाने का दिया भरोसा

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने उत्तर प्रदेश के पत्रकारों को भरोसा दिलाया है कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को पूरी तरह लागू कराने के लिये वे जो भी आवश्यक कदम होगा, जरूर उठायेंगे। इसके लिये राज्यपाल ने कहा है कि पत्रकार अपने एजेंडे के साथ उनसे मिलने आयें और इस वेज …

जागरण ग्रुप के नई दुनिया अखबार से होगी दो लाख तीस हजार रुपये की वसूली, देखें आदेश की कॉपी

जानेमाने रंगकर्मी एवं साहित्यकार नीलाभ अश्क चुपचाप अपने घर से लापता हो गए हैं। अपने साथ वह घर के ढेर सारे जरूरी सामान लैपटॉप, कंप्यूटर, फोन सेट आदि भी उठा ले गए हैं। उनके जानने वालों का कहना है कि वह अपनी भूमिका द्विवेदी से डर कर कहीं जा छिपे हैं। उन्हें अपनी जान जाने का अंदेशा रहा है। उनकी पत्नी का शुरू से ही उनकी धन-संपत्ति पर निगाह रही है। बाकी सब सरोकार तो एक दिखावा भर रहा है। गुमशुदगी के संबंध में पुलिस को भी अवगत करा दिया गया है। पुलिस मामले की छानबीन के साथ ही नीलाभ अश्क को ढूंढने में भी जुट गई है। 

दैनिक भास्कर के जालंधर आफिस की कुर्की का आदेश

मजीठिया वेजबोर्ड का बकाया ना देने के कारण होगी कार्रवाई… ए.एल.सी. द्वारा पास किया 23.52 लाख का क्लेम ब्याज सहित अदा ना किया तो होगी भास्कर कार्यालय की नीलामी… पंजाब के फिरोजपुर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां सहायक लेबर कमिश्रर फिरोजपुर की कोर्ट द्वारा भास्कर कर्मी राजेन्द्र मल्होत्रा को 23 लाख 52 …

डीएलसी बरेली के खिलाफ हाईकोर्ट ने वारंट जारी कर दिया

मजीठिया मामले में डीएलसी के खिलाफ वारंट के आदेश से श्रम विभाग में मचा हड़कंप…. उत्तर प्रदेश के बरेली से बड़ी खबर आ रही है। तीन क्लेमकर्ताओं की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर एक सप्ताह में समस्त बकाया अदा करने का आदेश देने वाले बरेली के उपश्रमायुक्त रोशन लाल गुरुवार को याचिका पर …

बिहार के एक पत्रकार को दैनिक जागरण देगा साठ लाख बयालीस हजार रुपये, आरसी जारी

बिहार के गया जिले के पत्रकार पंकज कुमारका सपना सच हो गया. वे सुप्रीम कोर्ट से लेकर बिहार हाईकोर्ट और गया जिले की अदालतों के चक्कर काटने के बाद अंतत: दैनिक जागरण को मात देने में कामयाब हो गए. इस सफलता में उनके साथ कदम से कदम मिला कर खड़े रहे जाने माने वकील मदन …

कोर्ट में मीडियाकर्मियों द्वारा डाले गए केस को घुमाने-लटकाने में उस्ताद है दैनिक जागरण प्रबंधन

Padampati Sharma : दो सितारों का जमीं पर हुआ मिलन बीती रात… टेलीविजन एंकरिंग की दो जबरदस्त युवा प्रतिभाएं 13 अप्रैल की शाम एक दूजे की हो गयीं. जी हां, मैं बात कर रहा हूं देश के सर्वश्रेष्ठ खेल पत्रकारों में एक और जाने माने युवा एंकर रवीश बिष्ट और परी जैसी एंकर खुशबू शर्मा का बरसों का रोमांस करनाल रोड स्थित वेलेंटाइन माटल में बीती शाम अंजाम यानी लग्न मंडप तक जा पहुंचा.

दैनिक जागरण हिसार के 49 मीडियाकर्मियों की लड़ाई जीत की ओर, देखें नोटिस की कापी

Brijesh Pandey : मजीठिया केस रिकवरी का मामला… दैनिक जागरण हिसार के 49 साथियों ने मजीठिया के तहत एक्ट की धारा 17 (1) के अंतर्गत रिकवरी फाइल किया था..  अब तक की कार्यवाही में सरकार ने यह पाया कि दैनिक जागरण की देनदारी बनती है,…

भास्कर ग्रुप को धूल चटाने वाली इस लड़की का इंटरव्यू देखें-सुनें

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने में बहुत बड़े बड़े पत्रकारों की पैंट गीली हो जाती है लेकिन भास्कर समूह में रिसेप्शनिस्ट पद पर कार्यरत रही एक लड़की ने न सिर्फ भास्कर ग्रुप से कानूनी लड़ाई लड़ी बल्कि अपना हक हासिल करने की अग्रसर है.

कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर हिन्दुस्तान टाईम्स से वसूली किए जाने पर लगी रोक हटायी

टर्मिनेट कर्मचारी पुरुषोत्तम सिंह के मामले में शोभना भरतिया को लगा तगड़ा झटका, एडवोकेट उमेश शर्मा ने लगातार दो दिन की थी जोरदार बहस….  जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में हिन्दुस्तान टाईम्स की मालकिन शोभना भरतिया को एक बार फिर मंगलवार १९ /२/२०१८ को दिल्ली उच्च न्यायलय में मुंह की खानी पड़ी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े वसूली मामले में लगायी गयी रोक को हटा लिया। इससे हिन्दुस्तान प्रबंधन से मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लगाये गये १७ (१) के मामले में वसूली का रास्ता साफ हो गया है।

फिरोजपुर से भास्कर कर्मी राजेन्द्र मल्होत्रा के पक्ष में जारी हुयी साढ़े बाईस लाख की आरसी

पंजाब के फिरोजपुर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां दैनिक भास्कर में कार्यरत ब्यूरो चीफ राजेन्द्र मल्होत्रा के आवेदन को सही मानते हुये फिरोजपुर के सहायक कामगार आयुक्त सुनील कुमार भोरीवाल ने दैनिक भास्कर प्रबंधन के खिलाफ २२ लाख ५२ हजार ९४५ रुपये की वसूली के लिये रिकवरी सार्टिफिकेट जारी की है। राजेन्द्र …

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में दैनिक भास्कर के खिलाफ एक और आरसी जारी

मुंबई से खबर आ रही है कि यहां दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी. बी. कॉर्प लिमिटेड में कार्यरत सिस्टम इंजीनियर अस्बर्ट गोंजाल्विस के पक्ष में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 26 लाख 38 हजार 203 रुपए 98 पैसे का रिकवरी सर्टीफिकेट (आरसी) जारी किया गया है। इस आरसी को मुंबई (उपनगर) के कलेक्टर को भेज कर आदेश दिया गया है कि वह आवेदक के पक्ष में कंपनी से भू-राजस्व की भांति वसूली करें और आवेदक अस्बर्ट गोंजाल्विस को यह धनराशि प्रदान कराएं। आपको बता दें कि इस मामले में अस्बर्ट गोंजाल्विस ने अपने एडवोकेट एस. पी. पांडे के जरिए मुंबई उच्च न्यायालय में कैविएट भी लगवा दी है।

महाराष्ट्र के चार मीडिया कर्मियों का बकाया न देने पर भास्कर समूह के खिलाफ आरसी जारी

अपने कर्मियों का हक मारने के कारण दैनिक भास्कर को झटके पर झटका लग रहा है. भास्कर अखबार की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प द्वारा संचालित मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के अकोला एडिशन से खबर आ रही है कि यहां के ४ मीडिया कर्मियों के आवेदन पर भास्कर के खिलाफ आरसी जारी हुई है. इन मीडियाकर्मियों के पक्ष में सहायक कामगार आयुक्त अकोला श्री विजयकांत पानबुड़े ने रिकवरी सार्टिफिकेट आदेश जिलाधिकारी अकोला को दिया है।

संयुक्त आयुक्त श्रम ने जागरण के मालिक मोहन गुप्त को नोटिस भेजा, शेल कम्पनी ‘कंचन प्रकाशन’ का मुद्दा भी उठा

दैनिक जागरण के एचआर एजीएम विनोद शुक्ला की हुई फजीहत…  पटना : दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्त को श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने नोटिस जारी कर जागरण कर्मियों द्वारा दायर किए गए जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा को लेकर वाद में पक्ष रखने के लिए तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होनी है। वहीं दैनिक जागरण पटना के एजीएम एचआर विनोद शुक्ला के जागरण प्रबंधन के पक्ष में उपस्थिति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अधिवक्ता मदन तिवारी ने संबंधित बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत कागजात की मांग कर एजीएम शुक्ला की बोलती बंद कर दी। दैनिक जागरण के हजारों कर्मियों को अपना कर्मचारी न मानने के दावे एजीएम शुक्ला के दावे की भी श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डा.  वीरेंद्र कुमार के सामने हवा निकल गई।

महाराष्ट्र के लेबर कमिश्नर का निर्देश- ठेका कर्मचारियों को भी मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ देना जरूरी

सभी अखबारों की होगी फिर से जांच…  महाराष्ट्र के लेबर कमिश्नर द्वारा बुलाई गई त्रिपक्षीय समिति की बैठक में लेबर कमिश्नर यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि आपको माननीय सुप्रिमकोर्ट के आदेश का पालन करना ही पड़ेगा। श्री केरुरे ने कहा कि वेज बोर्ड का लाभ ठेका कर्मचारियों को भी देना अनिवार्य है। मुम्बई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के लेबर कमिश्नर कार्यालय में बुलाई गई इस बैठक में  राज्यभर के विभागीय अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।

मजीठिया मामला : दैनिक भास्कर मुंबई के सुनील कुकरेती ने भी लगा दिया क्लेम

डी बी कॉर्प लिमिटेड द्वारा संचालित दैनिक भास्कर समाचार-पत्र के प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड मामले में कंपनी को धूल चटाए जाने के बाद ‘भास्कर’ के मुंबई ब्यूरो में बागियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। अपने बकाए की वसूली के लिए श्रम विभाग पहुंचने वालों में अब नया नाम जुड़ा है सुनील कुकरेती का। सुनील इस संस्थान में बतौर सीनियर रिपोर्टर कार्यरत हैं।

मजीठिया वेज बोर्ड मामला : सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों को राहत देने से किया इनकार, देखें ऑर्डर की कापी

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट अखबार मालिकों के खिलाफ सख्त होता जा रहा है। जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों के लिए दो सख्त आदेश दिए हैं… पहला तो यह कि उन्हें अपने कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देना ही पड़ेगा, भले ही उनका अखबार घाटे में हो। दूसरा, अखबार मालिकों को उन कर्मचारियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक लाभ देना पड़ेगा, जो ठेके पर हैं। सुप्रीम कोर्ट के रुख से यह भी स्पष्ट हो चुका है कि जिन मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ चाहिए, उन्हें क्लेम लगाना ही होगा।

हिन्दुस्तान प्रबन्धन को डीएलसी की कड़ी चेतावनी, कहा- हठधर्मी का रास्ता छोड़ें

बरेली से खबर आ रही है कि मजिठिया को लेकर उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान उपश्रमायुक्त बरेली ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हिन्दुस्तान का प्रबन्धन हठधर्मी का रास्ता छोड़े। यदि कोई ये समझता है कि वह सर्वोपरि है तो ऐसे लोग जान लें, सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर कोई नहीं है। ना मैं और ना अखबार मालिक। लिहाजा आपसी समझौते से शिकायतकर्ता कर्मचारियों से मसला निपटा लें, नहीं तो अगली तिथि पर मजबूरन उनको विधि सम्मत कड़ा निर्णय लेना पड़ेगा।

मजीठिया मांगने पर भाजपा विधायक ने रिपोर्टर को अखबार के दफ्तर में घुसने से रोका, मामला पहुंचा पुलिस स्टेशन

मुंबई : खुद को उत्तर भारतीयों का रहनुमा समझने वाले भाजपा विधायक और हमारा महानगर अखबार के मालिक आरएन सिंह के अखबार में उत्तर भारतीय कर्मचारियों का सबसे ज्यादा शोषण किया जा रहा है। इस अखबार के सीनियर रिपोर्टर (क्राइम) केके मिश्रा को विधायक के पालतू गार्ड हमारा महानगर के दफ्तर में पिछले कुछ दिनों से नहीं घुसने दे रहे हैं।

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा अनुपालन, केन्द्रीय मंत्री ने पत्रकारों को दिया आश्वासन

केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों को आश्वासन दिया कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में वे पत्रकारों की भावना को सक्षम स्थान व नेतृत्व के समक्ष अवश्य रखेंगे। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने बिहार के गया जिले में पत्रकारों के समक्ष दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में किसी को भी दवा के अभाव में मरने नहीं देने को लक्षय रखा है।

सीनियर आईटी मैनेजर ने किया हिन्दुस्तान पर केस, मांगे 43.64 लाख

बरेली से बड़ी खबर आ रही है कि नोयडा बुलाकर जबरन इस्तीफा लिखा लेने से तिलमिलाए बरेली यूनिट के सीनियर आईटी मैनेजर हरिओम गुप्ता ने हिन्दुस्तान के प्रबन्धन को सबक सिखाने की ठान ली है। वे अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने को मैदान में उतर गए हैं। उन्होंने इस उत्पीड़न की वजह मजिठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतन-भत्ते आदि की मांग करना बताया। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रबन्धन पर 43 लाख 64 हजार 850 रुपये के मजिठिया के बकाया एरियर का दावा उपश्रमायुक्त बरेली के समक्ष ठोंक दिया है। उपश्रमायुक्त ने हिन्दुस्तान के प्रबंधन को नोटिस जारी कर तलब किया है।

मजीठिया वेज बोर्ड : SC के आदेश का असर, लेबर कोर्ट ने दी छोटी डेट

सुप्रीम कोर्ट के 13 और 27 अक्टूबर के आदेश का असर अब लेबर कोर्ट में चल रहे मजीठिया वेज बोर्ड के केसों में दिखना शुरू हो गया है। लेबर कोर्ट प्रबंधन की लंबी डेट की मांग को अनसुना कर अब छोटी डेट दे रहे हैं। इससे रिकवरी, ट्रांसफर, टर्मिनेशन आदि के केस लड़ने वाले कर्मचारियों के अंदर उत्साह का संचार दौड़ पड़ा है।

मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर हुए ट्रांस्फर / टर्मिनेशन के मामले भी छह माह में निपटाने होंगे : सुप्रीम कोर्ट

रविंद्र अग्रवाल की रिपोर्ट

अखबार कर्मियों को दिवाली के बाद छठ का तोहफा, पंकज कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया उत्साहजनक आदेश…

अखबार मालिकों के सताए अखबार कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ी राहत भरी खबर मिली है। माननीय सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस गोगोई और जस्टिस सिन्हा की बैंच ने आज मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर की गई टर्मिनेशन और ट्रांस्फर के मामलों को भी छह माह में निपटाने के आदेश जारी किए हैं। आज दैनिक जागरण गया के कर्मचारी पंकज की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों के खिलाफ लगाई गई अवमानना याचिाकाओं पर 19 जून को दिए गए आने निर्णय के पैरा नंबर 28 में बर्खास्तगी और तबादलों को लेकर दिए गए निर्देशों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17(2) के तहत रेफर किए गए रिकवरी के मामलों में 13 अक्तूबर को दिए गए टाइम बाउंड के आर्डर के साथ अटैच करते हुए इन मामलों की सुनवाई भी छह माह के भीतर ही पूरी करने के निर्देश जारी किए हैं।

छह माह में मजीठिया मामले निपटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की लिखित कापी देखें

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने आज २४ अक्टुबर २०१७ को एक आदेश जारी कर देश भर की लेबर कोर्ट और इंडस्ट्ीयल कोर्ट को निर्देश दिया है कि १७(२) के मामलों का निस्तारण प्रार्थमिकता के आधार पर ६ माह के अंदर करें। माननीय सुप्रीमकोर्ट ने आज जारी अपने आदेश में उन मामलों पर कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जो लेबर विभाग में चल रहे हैं।  माननीय सुप्रीमकोर्ट के आज जारी आदेश का उन मीडियाकर्मियों ने स्वागत किया है जिनका मामला लेबरकोर्ट या इंडस्ट्रीयल कोर्ट में १७(२) के तहत चल रहा था। लेकिन उन लोगो को थोड़ी परेशानी होगी जिनका १७(१) का मामला लेबर विभाग में चल रहा है।

दैनिक जागरण को लगा झटका, रामजी के तबादले पर श्रम विभाग ने लगाई रोक

कानपुर। “स्वघोषित चैम्पियन” दैनिक जागरण के मालिकान को ताजा झटका कानपुर श्रम विभाग से मिला है। सहायक श्रम आयुक्त आरपी तिवारी ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप वेतन एवं बकाये की मांग करने वाले दैनिक जागरण कानपुर में कार्यरत कर्मचारी रामजी मिश्रा के सिलीगुड़ी स्थानांतरण पर फिलहाल रोक लगा दी है। श्री तिवारी द्वारा जारी आदेश में दैनिक जागरण प्रबंधन की ओर से रामजी मिश्रा का कानपुर कार्यालय से सिलिगुड़ी किए गए तबादले को अनुचित एवं अवैधानिक करार दिया गया है।

नवभारत अखबार के 47 कर्मचारियों ने लगा दिया मजीठिया वेज बोर्ड का क्लेम

महाराष्ट्र के प्रमुख हिंदी दैनिक नवभारत में माननीय सुप्रीमकोर्ट के 13 अक्टूबर यानि आज के आदेश का असर दिखने लगा है। यहां आज दिनांक 13 अक्टूबर को बांबे यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट संलग्न महाराष्ट्र मीडिया एंप्लाइज यूनियन से जुड़े नवभारत हिंदी दैनिक के 47 कर्मचारियों ने सामूहिक रुप से ठाणे लेबर कमिश्नर कार्यालय में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाये का क्लेम फाइल किया।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- ‘मजीठिया वेज बोर्ड के सभी प्रकरण 6 महीने के भीतर निपटाएं’

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता / दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए।

मजीठिया : जितेंद्र जाट की जीत से पत्रिका प्रबन्धन में भारी बौखलाहट

पत्रिका ग्वालियर के जितेंद्र जाट की शानदार जीत पत्रिका प्रबन्धन को हजम नहीं हो रही, इसीलिए जाट को जिस जगह बैठाया गया है उस जगह पर ख़ास तौर से CCTV कैमरा लगा दिया गया है ताकि यह देखा जा सके कि जाट से कौन-कौन कर्मचारी बात कर रहा है ताकि बाद में जाट से बात करने वाले कर्मचारी को सजा दी जा सके। साथ ही जाट के CCTV रेंज से बाहर जाते ही फोन कर पूछा जाता है कि जाट इस समय कहाँ पर हैं? कहीं कर्मचारियों से बात कर उनको मजीठिया क्लेम के लिए तैयार तो नहीं कर रहा?

एचटी मैनेजमेंट ने फिर कोई जवाब देने से इन्कार किया

हाईकोर्ट में रिट फाइल करने की आड़ में अगली तारीख ले ली…सीनियर वकील संजय कुमार सिंह मैनेजमेंट की ओर से पहुंचे डीएलसी कोर्ट… मामला मजीठिया वेज बोर्ड के कार्यान्वयन और ग्रेच्यूटी भुगतान में हुए फ्रॉड का है… पटना से खबर है कि मजीठिया मामले एवं उससे जुड़े ग्रेच्यूटी के सवाल पर डीएलसी पटना के यहां सुनवाई हुई और फिर हाईकोर्ट की आड़ लेकर मैनेजमेंट ने अगली तारीख ले ली।

हिंदुस्तान का पक्ष रखने डीएलसी के पास गए एचआर मैनेजर की हुई जमकर फजीहत

बरेली में बुधवार को उपश्रमायुक्त के समक्ष कर्मचारियों के उत्पीड़न के मामले में हिन्दुस्तान प्रबन्धन की ओर से पेश हुए एचआर प्रभारी सत्येंद्र अवस्थी को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा। उनको प्रबन्धन का पक्ष रखे बगैर बैरंग लौटना पड़ा। डीएलसी ने ताकीद किया कि उनको (सतेंद्र अवस्थी) तब तक नहीं सुना जाएगा जब तक वह प्रतिवादियों की ओर से उनका पक्ष रखने का अधिकार पत्र लेकर नहीं आएंगे।

‘हिंदुस्तान’ अखबार से छह करोड़ रुपये वसूलने के लिए आरसी जारी

मजीठिया प्रकरण में ‘हिंदुस्तान’ की सबसे बड़ी हार… लखनऊ से बड़ी ख़बर है। मजीठिया वेतनमान प्रकरण में दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान की अब तक की सबसे बड़ी हार हुई है। कम्पनी का झूठ भी सामने आ गया है। यह भी सामने आया है कि मजीठिया वेज बोर्ड देने से बचने के लिए कम्पनी ने तरह तरह के षड्यंत्र किए। लखनऊ के श्रम विभाग ने हिंदुस्तान के 16 पत्रकारों व कर्मचारियों को करीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। लखनऊ के एडिशनल कमिशनर बी.जे. सिंह व सक्षम अधिकारी डॉ. एम॰के॰ पाण्डेय ने 6 मार्च को हिंदुस्तान के खिलाफ आरसी जारी कर दी और पैसा वसूलने के लिए जिलाधिकारी को अधिकृत कर दिया है। श्रम अधिकारी ने जिलाधिकारी को भेजी रिकवरी-आरसी की धनराशि हिंदुस्तान से वसूल कर श्रम विभाग को देने को कहा है।

सोशल नेटवर्किंग जिताएगी ‘मजीठिया’ की जंग

जुटाना होगा जनाधार : हम देख ही रहे हैं कि मजीठिया के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट, लेबर कमिश्नर ऑफिस, लेबर कोर्ट और सरकार का रवैया क्या है। कितने अफ़सोस की बात है कि जिन लोगों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर रिकवरी चालान इश्यू कराने तक की जीत हासिल की,उनमें से भी अधिकतर लोगों के खाते में पैसा नहीं पहुंचा है। बीयूजे सहित देश की कई संस्थाएं- संगठन हर स्तर पर संघर्षरत हैं ही, पर हमें मीडिया हाउसेस के खिलाफ़ अपनी जंग जीतने के लिए एक नई रणनीति भी अपनानी होगी। इस रणनीति के जनक यशवंत सिंह हैं, जिन्होंने ‘भड़ास 4 मीडिया’ लांच कर पत्रकारों को पूरे पत्रकारिता-जगत से जोड़ा।

नवभारत कर्मियों ने दशहरा पर लिया प्रबंधन रूपी रावण के दहन का संकल्प (देखें वीडियो)

नवभारत कर्मचारियों ने महाराष्ट्र मीडिया इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर सानपाड़ा पूर्व स्थित कार्यालय के सामने गेट मीटिंग की. मीटिंग में यूनियन से जुड़े करीब 70 कर्मचारियों के अलावा मिड-डे और डीएनए के कर्मचारी भी शामिल हुए. मीटिंग में नवभारत इकाई के अध्यक्ष केशव सिंह बिष्ट और सचिव अरुण गुप्ता ने अपनी बात रखी. मीटिंग के दौरान मजीठिया मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया. इस दौरान सभी कर्मचारियों ने नवभारत प्रबंधन को देने के लिए एक रिमाइंडर लेटर पर भी सिग्नेचर किया.

मजीठिया मामला : बीमार जागरणकर्मी के जम्मू तबादला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 13 अक्टूबर को सुनवाई

पंकज कुमार वर्सेज यूनियन आफ इंडिया रिट याचिका की सुनवाई जस्टिस रंजन गोगई व जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच करेगी… बिहार के गया जिले से जम्मू तबादला किये गए दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज कुमार के रिट याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर की टेनटेटिव तिथि निर्धारित की है. जस्टिस रंजन गोगई व जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच सुनवाई करेगी. बिहार के पूर्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नागेन्द्र राय सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता पंकज कुमार की ओर से अदालत में पक्ष रखेंगे.

‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ अखबार ने अपने कर्मचारियों में मजीठिया वेज बोर्ड का का बकाया एरियर वितरित किया

देश के प्रमुख बिजनेस समाचार पत्र ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ से खबर आ रही है कि इस अखबार ने अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया लाखों रुपये का एरियर दे दिया है। कर्मचारियों को पांच से आठ लाख रुपये तक उनका बकाया एरियर देकर वेतन वृद्धि का भी काम प्रबंधन ने किया है। हालांकि ये लाखों रुपये का एरियर सिर्फ उन्हीं मीडिया कर्मियों को दिया गया है जिनका वेतन कम था।

दूसरी बार भी मजीठिया सुनवाई में नहीं आया एचटी मैनेजमेंट

पटना : मजीठिया मामले में एक बार फिर हिन्दुस्तान टाइम्स मैनेजमेंट भाग खड़ा हुआ। कल 25 सितम्बर को श्रम विभाग के उप सचिव अमरेंद्र मिश्र के यहां सुनवाई आरंभ हुई। एचटी मैनेजमेंट की ओर से कोई नहीं आया। एक एडवोकेट आए मगर न तो उसके पास कंपनी की तरफ से दिया हुआ कोई वकालतनामा था और न ही कोई मांगी गई सूचना का कंपलायन्स। दूसरी बार लगातार प्रबंधन की अनुपस्थिति को उप सचिव अमरेंद्र मिश्र ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यहां कानून से बढ़कर कोई नहीं है।

मजीठिया मामला : प्रभात खबर के खिलाफ मिथलेश कुमार के रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीमकोर्ट में 5 को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी खबर आ रही है। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे प्रभात खबर के आरा (बिहार) के ब्यूरो चीफ मिथिलेश कुमार बनाम प्रभात खबर मामले में दायर रिव्यू पिटीशन पर 5 अक्टूबर को सुनवाई होगी। यह सुनवाई विद्वान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश नवीन सिन्हा द्वारा की जाएगी।

मजीठिया मामला : प्रभात खबर प्रबंधन के झूठ की होगी जांच

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ माननीय सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे प्रभात खबर के आरा (बिहार) के ब्यूरो चीफ मिथिलेश कुमार बनाम प्रभात खबर मामले में सुनवाई के दौरान माननीय उप-श्रमायुक्त पटना के न्यायालय में प्रभात खबर प्रबंधन के प्रतिनिधि के रूप में शामिल महाप्रबंधक (फाइनेंस) कौशल कुमार अग्रवाल ने कहा कि प्रभात खबर द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड द्वारा निर्धारित वेतनमान सहित सारी सुविधाएं अपने शत प्रतिशत कर्मचारियों को दिया जा रहा है। अखबार प्रबंधन के इस तर्क का प्रभात खबर के आरा ब्यूरोचीफ मिथलेश कुमार ने कड़ा विरोध किया और कहा कि प्रबंधन झूठ बोल रहा है। इस अखबार के एक भी कर्मी को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं मिला है। इस पर उप-श्रमायुक्त वीरेंद्र कुमार ने कहा कि कर्मचारियों के पेमेंट से संबंधित बैंक स्टेटमेंट अगली तिथि को लेकर उप श्रमायुक्त कार्यालय में जमा करें।

जांच करने पहुंचे श्रम अधीक्षक को दैनिक जागरण के मैनेजर ने गेट के अंदर ही नहीं घुसने दिया

कानून और नियम को ठेंगे पर रखता है दैनिक जागरण प्रबन्धक… गया के श्रम अधीक्षक के साथ दैनिक जागरण प्रबंधक ने की गुंडागर्दी… नहीं करने दिया प्रेस की जांच… पंकज कुमार दैनिक जागरण गया के वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं. इन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मांगा तो प्रबंधन ने इन्हें परेशान करना शुरू कर दिया… पंकज ने बिहार के श्रम आयुक्त गोपाल मीणा के यहां एक आवेदन दिनांक 26.07.2017 को दिया था.. इसमें पंकज कुमार ने आरोप लगाया था कि गया सहित दैनिक जागरण बिहार के सभी चार प्रकाशन केंद्र में श्रम कानून के तहत मीडियाकर्मियों और गैर मीडियाकर्मियों को लाभ नहीं दिया जा रहा है. 90 प्रतिशत से अधिक पत्रकारों एवं गैर-पत्रकारों का प्राविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा, सर्विस बुक समेत कई सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. साथ ही माननीय सर्वोच्च्य न्यायालय द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के तहत ग्रेड की घोषणा भी नहीं की गई है.

मजीठिया मामला : मुंबई हाईकोर्ट ने दिया डीबी कॉर्प लि. को कर्मचारियों का बकाया जमा करने का निर्देश

देश की आर्थिक राजधानी से एक बड़ी खबर आ रही है। मुंबई हाई कोर्ट ने ‘दैनिक भास्कर’ की प्रबंधन कंपनी “डी. बी. कॉर्प लि.” को निर्देश दिया है कि मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार, प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया इम्तियाज शेख की जो बकाया व एरियर्स की राशि बनी है, जिसके आधार पर श्रम विभाग ने वसूली प्रमाण-पत्र जारी किया है, उसका हिस्सा वह कोर्ट में जमा करे। इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की सुनवाई पर दो सप्ताह की रोक लगा दी है।

मजीठिया की जंग : दस दिन में भेजें नेशनल यूनियन की सदस्यता सूची

मजीठिया वेजबोर्ड को पूरी तरह लागू करवाने की जंग को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही नेशनल यूनियन के गठन के लिए सभी राज्यों के मजीठिया क्रांतिकारियों से निवेदन है कि वे अपने क्षेत्र या राज्य में मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई  लड़ रहे या इसमें शामिल होने के इच्छुक साथियों की सूची नीचे दिए जा रहे फारमेट के अनुसार तैयार करके ए-4 कागज पर प्रिंट करने के बाद सदस्यों के हस्ताक्षर करवाकर दस दिनों के भीतर भिजवाने की व्यवस्था करवाने का कष्ट करें। इसके अलावा इसी फारमेट के अनुसार बनाई गई सूची की साफ्ट कापी में सदस्य के संस्थान और उसके पद की अतिरिक्त जानकारी भी भर कर मेल करने का भी कष्ट कीजिएगा। नीचे दिया गए फारमेट को ही प्रिंट करने के बजाय इसी तरह की डॉक्युमेंट फाइल बनवा कर टाइम या एरियल फांट में १० या १२ साइज में यह जानकारी टाइप करवाएं।

मजीठिया मामले मे चल रही सुनवाई से भाग खड़ा हुआ एचटी मैनेजमेंट

एचटी ग्रुप मामले को लटकाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा

पटना : हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप में मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं किए जाने तथा ग्रेच्युटी के कैलकुलेशन मे भारी गड़बड़ी की शिकायत को लेकर पटना डीएलसी के यहां अलग-अलग दो चरणों मे सुनवाई हुई। 9 सितम्बर को सबसे पहले 11 बजे दिन से ग्रेच्यूटी को लेकर पहली सुनवाई थी मगर मैनेजमेंट भाग खड़ा हुआ। उसके अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने लिखित सूचना दी कि प्रबंधन ने इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय में एक रिट दायर की है, इसलिए इस पर सुनवाई रोकी जाय।

मजीठिया वेजबोर्ड के लिए राष्ट्रीय यूनियन की तैयारी शुरू

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए काफी दिनों से एक राष्ट्रीय स्तर की यूनियन बनाने को लेकर आवाज उठ रही थी। इसे देखते हुए दिल्ली/नोएडा के साथियों के सहयोग से इस सोच को अमलीजामा पहनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। पहले इस बात को लेकर मंथन हुआ कि क्या यूनियन के गठन के लिए पहले सभी साथियों की बैठक बुलाई जाए और फिर पंजीकरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए। फिर काफी सोच विचार के बाद तय किया गया है कि त्योहारी सीजन होने के कारण सभी का एकत्रित हो पाना संभव नहीं है। लिहाजा दिल्ली के नजदीक के साथियों की मदद से पहले यूनियन का गठन कर लिया जाए और फिर किसी दिन सभी की सुविधा अनुसार एक महासभा बुलाकर शक्ति प्रदर्शन किया जाए।

मजीठिया मामला : डीबी कॉर्प के 5 मीडियाकर्मियों के पक्ष में आरसी जारी करने की प्रक्रिया शुरू

दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प के मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के महाराष्ट्र के अकोला एडिशन से खबर आ रही है कि यहां 5 मीडियाकर्मियों के पक्ष में आरसी जारी करने के लिए  अंतिम प्रक्रिया शुरू करने का सहायक कामगार आयुक्त अकोला श्री विजयकांत पानबुड़े ने अपने विभाग को निर्देश दिया है। ये मीडियाकर्मी हैं इस मराठी अखबार के पेज मेकर दीपक वसंतराव मोहिते (रिकवरी राशि 13 लाख 35 हजार 252 रुपये), पेजमेकर राजू रमेश बोरकुटे (रिकवरी राशि 12 लाख 66 हजार 275), डिजाइनर मनोज रामदास वाकोडे (११ लाख 75 हजार 654 रुपये), पेजमेकर संतोष मलनन्ना पुटलागार (११ लाख 98 हजार 565 रुपये) और डिटीपी इंचार्ज रोशन अम्बादास पवार (6 लाख 17 हजार 308 रुपये)।

एचटी ग्रुप का एचआर डायरेक्टर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में डीएलसी के सामने ये क्या बोल गया!

दिनांक 21 अगस्त को मजीठिया वेज लागू करने के सवाल पर बिहार में दो जगहों सुनवाई हुई। फार्म सी के साथ दिए गए क्लेम पर सुनवाई राज्य सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी अमरेन्द्र मिश्र ने की। फरवरी में दिए गए आवेदन पर सुनवाई की शुरुआत करने में 5 महीने लग गये। सुप्रीम कोर्ट की मोनेटरिन्ग होने के बाद भी गति नौ दिन चले ढाई कोस की तरह धीमी रही। दूसरा मजीठिया मामलों मे कंप्लेन केस, गलत बयानी और दमनात्मक कार्रवाई पर डीएलसी पटना के यहां सुनवाई थी। दोनों जगहों पर एचटी के एचआर डायरेक्टर राकेश गौतम खुद उपस्थित हुए और बेहूदगी व मूर्खता की सारी सीमा लांघ दी।

मजीठिया मुद्दे पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए राज्यपाल को दिया ज्ञापन

वाराणसी । काशी पत्रकार संघ और समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार 22 अगस्त, 2017 को अपराह्न लखनऊ स्थित राजभवन में प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक से मिलकर उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के तहत पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मचारियों के लम्बित वादों के निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया।

श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से जुर्माना वसूला!

मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन लिमिटेड के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से दो हजार रुपये जूर्माना वसूलकर वर्करों को दिलवाया और जागरण से अपना जवाब देने के लिए कहा। दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों, जिन्होंने जस्टिस मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था, के मामले की कल सुनवाई थी। इन सभी वर्कर को जागरण ने बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया था।

कानपुर श्रम विभाग व एचटी प्रबंधन की मिलीभगत से मजीठिया क्लेम खारिज करने की साजिश!

कानपुर श्रम विभाग द्वारा हिंदुस्तान अखबार के कर्मचारियों का क्लेम पार्थना पत्र अखबार प्रबंधन की मिलीभगत से खारिज किया जा रहा है। बताया जाता है कि हिंदुस्तान के 7 लोगों ने कानपुर उप श्रमायुक्त कार्यालय में विगत 8 माह पहले क्लेम लगाया लेकिन कार्यालय के बाबू व प्राधिकारी की मिलीभगत से सुनवाई के दिन गये लोगों के हस्ताक्षर न कराकर कार्रवाई बाद में लिखने को कह दिया जाता है. साथ ही उन्हें अनुपस्थिति दिखा दिया जाता है. पंकज कुमार की आरटीआई से मिली सूचना देखने पर पता चलता है कि प्राधिकारी आरपी तिवारी द्वारा 28/03/3017 को पक्ष को उपस्थित दिखाया गया और 3/4/2017, 15/5/2017 सहित कई डेट पर स्वतः अनुपस्थित दिखाकर वाद को ख़ारिज किया जा रहा है.

राजस्थान पत्रिका प्रबंधन से श्रम विभाग ने पूछा- क्यों नहीं दिया मजीठिया, कारण बताओ

राजस्थान पत्रिका के एमडी को श्रम विभाग ने नोटिस भेजकर उपस्थित होने को कहा

जयपुर। सर्वोच्च न्यायालय के मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में 19 जून को दिए गए फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को झटका जरूर लगा था, लेकिन इस फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को नए पंख भी मिल गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर के श्रम कार्यालयों में मजीठिया वेज बोर्ड को हल्के में नहीं ले रहे हैं। लेबर विभाग को लेकर आम धारणा है कि यहां सालों साल मामले ​खिंचते चले जाते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद श्रम विभाग को लेकर मजबूरी में ही सही सक्रिय होना पड़ रहा है।

अमर उजाला में प्रबंधन गुपचुप रूप से कागज पर दस्तखत करा रहा

खबर है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने इंप्लाइज से गुपचुप रूप से एक कागज पर साइन करा रहा है. एरियर देने के नाम पर कराए जा रहे दस्तखत के दौरान इंप्लाइज को यह भी नहीं दिखाया जा रहा कि उनका जहां हस्ताक्षर लिया जा रहा है, वह किस तरह का कागज है.

हिंदुस्तान अखबार के फ्रॉड के सुबूत दिखाने पर एचआर हेड की बोलती बंद हो गई!

मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में यूपी सरकार की मंशा साफ़ है : मंत्री 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में सरकार की मंशा साफ़ है।  सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अक्षरशः अनुपालन हो। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मालिकान अगर अपने स्तर से सुनिश्चित कराते हैं तो यह उनकी महानता होगी। उन्होंने कहा कि इरादे नेक हों तो हर समस्या का हल किया जा सकता है। 

पटना एचटी के एचआर हेड पर गिरी गाज, सुनवाई में नहीं आया संस्थान

हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के सवाल पर पटना डिप्टी लेबर कमिश्नर के यहां सुनवाई के दौरान नया मोड़ आया। बार-बार झूठ और भ्रष्ट हरकतों को अपनाने वाली प्रबंधन ने नई चाल चली और 4 अगस्त को उसने वेज बोर्ड लागू करने के संदर्भ में मांगी गई सारी सूचनाओं का अभिलेख लेकर आने के लिए जिस प्रबंधन ने खुद समय लिया था, अचानक भाग खड़ा हुआ। सुनवाई का समय दो बजे दिन तय था और ढाई बजे तक प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं पहुंचा। उसके तत्काल बाद एक फोन आया- ”मैं एचटी ग्रुप का नया एचआर हेड अभिषेक सिंह बोल रहा हूं। पुराने एचआर हेड रविशंकर सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया है। मैं नया हूं इसलिए कुछ समय चाहिए। मैं इसकी लिखित सूचना और आवेदन भेज रहा हूं।” मगर दो घंटे बाद तक भी लिखित सूचना और आवेदन नहीं आया। अब सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

पटना के एक अखबार के प्रबंधन ने डीएलसी को वाशिंग मशीन और आरओ गिफ्ट किया!

पटना के एक अखबार के एक मीडिया कर्मी ने जानकारी दी है कि यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड न देना पड़े इसके लिए एक भ्रष्ट डिप्टी लेबर कमिश्नर महोदय चांदी काट रहे हैं। इस मीडियाकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि पटना के महाधूर्त डिप्टी लेबर कमिश्नर को अखबार प्रबंधन ने अपने एक खास मातहत के जरिये वाशिंग मशीन और पानी को शुद्ध करने वाला आरओ गिफ्ट किया है। इसके अलावा अन्य उपहार भी समय समय पर दिए जा रहे हैं। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि अखबार प्रबंधन ने डीएलसी को ये खास गिफ्ट इसलिए भेंट दिया है ताकि मजीठिया मामले में ये अखबार प्रबंधन की मदद करें।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में यूपी के मीडियाकर्मी यहां करें शिकायत

यूपी सरकार की मजीठिया निगरानी समिति की बैठक 8 अगस्त को होने जा रही है। मजीठिया मांगने पर यदि आपके खिलाफ अन्याय हो हुआ है या हो रहा है तो आप अपनी संक्षिप्त रिपोर्ट (नाम, पता, मोबाइल नंबर, अखबार का नाम औऱ 5 लाइन में घटनाक्रम) इन मेल आईडीज पर भेज दें…

मजीठिया के लिए कानूनी सहायता कैंप : दर्जनों मीडियाकर्मियों ने क्लेम के लिए बढ़ाया कदम

वाराणसी। मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों को लागू कराने की लड़ाई की अगुवाई कर रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को पराड़कर स्मृति मवन में “कानूनी सहायता शिविर लगाया गया। शिविर में काफी संख्या में पत्रकारों, समाचार पत्र कर्मियों ने मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों को कैसे हासिल किया जाय, इसकी कानूनी जानकारी ली। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी ने कैम्प में आये पत्रकारों समाचार पत्र कर्मचारियो कों मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियो के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उसे कानूनी रूप से कैसे लिया जा सकता है उससे अवगत कराया। 

बनारस में मजीठिया मामले में मीडियाकर्मियों के मुकदमों की फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह होगी सुनवाई

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर को लेकर पत्रकारों व गैर पत्रकारों की लड़ाईं लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ की पहल पर अब डीएलसी स्तर तक के सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई निर्धारित समय के भीतर पूरी होगी। इस आशय का आदेश जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने शनिवार को समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल की बातों को सुनने के बाद दी।

अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करना ही होगा : कामगार आयुक्त

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश महाराष्ट्र में लागू कराने के लिये बनायी गयी त्रिपक्षीय समिति की बैठक में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आये फैसले के बाद अखबार मालिकों को बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है। अखबार मालिकों को हर हाल में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करनी ही पड़ेगी। श्री केरुरे ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने जो आदेश जारी किया है उसको लागू कराना हमारी जिम्मेदारी है और अखबार मालिकों को इसको लागू करना ही पड़ेगा। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुये कामगार आयुक्त ने कहा कि अवमानना क्रमांक ४११/२०१४ की सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट ने 19 जून 2017 को आदेश जारी किया है जिसमें चार मुख्य मुद्दे सामने आये हैं। इसमें वर्किंग जर्नलिस्ट की उपधारा २०(जे), ठेका कर्मचारी, वेरियेबल पे, हैवी कैश लॉश की संकल्पना मुख्य थी।

हिमाचल प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्‍टस यूनियन गठित, मजीठिया को लेकर निर्णायक जंग की तैयारी

मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड को लागू करवाने और प्रबंधन के उत्‍पीड़न के खिलाफ पिछले दिन वर्षों से लड़ाई लड़ रहे वरिष्‍ठ पत्रकार रविंद्र अग्रवाल के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में पहली बार पत्रकार एवं गैर-पत्रकार अखबार कर्मियों की यूनियन का गठन कर लिया गया है। हिमाचल के कई पत्रकार और गैरपत्रकार साथी इस यूनियन के सदस्‍य बन चुके हैं और अभी भी सदस्‍यता अभियान जारी है। एक जून को इस हिमाचल प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्‍टस यूनियन(एचपीडब्‍ल्‍यूजेयू) के नाम से गठित इस कर्मचारी यूनियन में पत्रकार और गैरपत्रकार दोनों ही श्रेणियों के अखबार कर्मियों को शामिल किया जाएगा। नियमित और संविदा/अनुबंध कर्मी भी यूनियन के सदस्‍य बन सकते हैं, वशर्ते इनका पेशा सिर्फ अखबार के कार्य से ही जुड़ा होना चाहिए।

क्या नोएडा के डीएलसी रहे बीके राय दैनिक जागरण के आदेशपाल की तरह काम करते थे?

माननीय सुप्रीम कोर्ट से मजीठिया को लेकर जो फैसला आया, उसको मालिकानों ने अपने काम कर रहे वर्कर के बीच गलत तरह से पेश किया। उदाहरण के तौर पर दैनिक जागरण को लेते हैं। सभी जानते हैं कि दैनिक जागरण का रसूख केंद्रीय सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक में है। इनके प्यादे अक्सर इस बात की धौंस मजीठिया का केस करने वाले वर्करों को देते रहते हैं कि रविशंकर प्रसाद, जेटली जी और पी एम मोदी जागरण की बात सुनते हैं। देश में ऐसा कौन है जो जागरण की बात नहीं मानेगा? इन नेताओं की आय दिन तस्वीरें जागरण के मालिकानों के साथ अख़बारों में छपती रहती हैं। देखें तो, प्यादों की बात सही भी है, क्योंकि यह सब जागरण के वर्करों ने देखा भी है। तभी तो जागरण के मालिकान और मैनेजमेंट बेख़ौफ़ होकर किसी भी दफ्तर में गलत तर्क या गलत शपथ पत्र देते नहीं हिचकते हैं।

सेवानिवृत्त मीडियाकर्मी भी अपना हक लेने के लिए मीडिया मालिकों के खिलाफ मैदान में कूदे

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अवमानना के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसके बाद अख़बार कार्यालयों से अपनी सेवा से निवृत हो चुके वर्कर भी अब इस लड़ाई में कूद पड़े हैं। जाहिर है, मालिकान ने अभी तक जो पैसा दिया है, वह मजीठिया के अनुसार नहीं दिया है। पिछले दिनों पटना के कुछ रिटायर वर्करों ने अखबार मालिकानों पर अपना दावा लिखित रूप से ठोंका। सूत्र बताते हैं कि इनकी संख्या बारह के करीब है। इस कड़ी में आगे कुछ और लोगों के जुड़ने की उम्मीद है और आशा की जानी चाहिए कि यह आग धीरे धीरे पूरे देश में लगेगी।

मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद श्रम अधिकारियों का रवैया बदला है

सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया को लेकर जो फैसला दिया है, उसके बाद हर जिले के डीएलसी आफिस यानी सहायक श्रम आयुक्त कार्यालय के हर कर्मचारियों का रवैया बदला है। इन कर्मचारियों का रुख इसलिए बदला है कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले में यह स्पष्ट लिखा है कि मजीठिया वेतन आयोग के मामले में सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के क्या दायित्व होंगे। यही वजह है कि मजीठिया का मामला 19 जून के बाद जहां भी शुरू हुआ है, मालिकान की तरफदारी करने वाले सभी सरकारी अधिकारी का रवैया बदला है।

अपने अखबार मालिकों के धंधों का काला चिट्ठा निकालिये, मजीठिया लेने में काम आएंगे

एक-दो अख़बारों को छोड़ दें तो सभी अख़बार या अख़बार समूहों में वेतन को लेकर कोई न कोई लोचा जरूर है। सवाल वही है कि अगर किसी आयोग ने हमारी तनख्वाह 2000 रूपये तय की है और मालिकान हमें 1995 रुपये दे रहे हैं, तो 5 रुपये की गड़बड़ी तो मालिकान ने की ही है। फिर इस लिहाज से आयोग के आदेश का सही तरह से पालन कहां हुआ? सरकार द्वारा मंजूर इस देनदारी को अख़बार मालिकानों ने सही तरह से नहीं निभाया है।

अगर आप प्रिंट मीडिया से रिटायर हुए हैं या नौकरी से निकाले गए हैं तो पा सकते हैं लाखों रुपये, जानें कैसे

जो मीडियाकर्मी दुनिया में नही हैं उनके परिजन भी पा सकते हैं मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने के लिए वे मीडियाकर्मी भी सामने आ सकते हैं जो वर्ष 2008 से 18 जुलाई 2017 के बीच सेवानिवृत हुए हैं। यही नहीं, अगर कंपनी ने आपको इस अवधि के दौरान नौकरी से निकाल दिया है तो ऐसे लोग भी लाखों रुपये पा सकते हैं।

नईदुनिया प्रबन्धन ने मजीठिया क्रांतिकारियों की सेलरी में मात्र सौ रुपये प्रतिमाह की वृद्धि की

जागरण प्रकाशन की इकाई नईदुनिया ने वार्षिक वेतन वृद्धि के दौरान मजीठिया का केस लगाने वाले अपने समस्त कर्मचारियों के वेतन में प्रतिमाह मात्र 100 रुपये की वृद्धि की है। कहा जा रहा है कि ऐसा कर नईदुनिया और जागरण के प्रबन्धन ने अपने कर्मचारियों को, जिन्होंने अपने जायज़ वेतन की मांग के चलते मजीठिया के लिए कोर्ट केस किया हुआ है, सजा के तौर पर यह मामूली वेतन वृद्धि की है।

कोर्ट ने दैनिक जागरण को लगाई फटकार, रोज होगी मजीठिया की सुनवाई

कानपुर से मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे मीडियाकर्मियों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है. आज कानपुर लेबर कोर्ट ने दैनिक जागरण समूह की कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड को कड़ी फटकार लगाई. आज मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई थी. सुनवाई के दौरान जब जागरण प्रकाशन का नंबर आया तो जागरण प्रकाशन की तरफ से कोई मौजूद नहीं था. वकील ने कोर्ट से अगली तारीख देने की अप्लीकेशन लगा दी.

मजीठिया : पत्रिका को पत्रकार जितेंद्र जाट का तमाचा, लेबर कोर्ट में जीते टर्मिनेशन का केस

कल 10 जुलाई यानि सावन के पहले सोमवार को एक शुभ समाचार आया। पत्रिका अखबार के मालिक गुलाब कोठारी और उनके ख़ास सिपहसालारों की हार की शुरुआत हो गई है। पत्रिका के मालिकों के खिलाफ जब कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के केस लगाये तो पत्रिका प्रबन्धन ने संबंधित कर्मचारियों को टर्मिनेट-ट्रान्सफर करना शुरू कर दिया। टर्मिनेशन-ट्रान्सफर के खिलाफ कर्मचारी लेबर कोर्ट गए।

मजीठिया पर ताजे फैसले के बाद मीडियाकर्मियों के पक्ष में शुरू हुआ एक्शन, मालिकों और प्यादों के चेहरे सूखे

हाल में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया मामले को लेकर जो आदेश सुनाया, उसने अख़बार मालिकानों की जान हलक में अटका दी है। अब हर मालिकान अपने प्यादों को इस काम में लगा रखा है कि कहीं से भी राहत ढूंढ के लाओ। वैसे तो कमोवेश देश के सभी अखबार मालिकान इस बात को मान चुके हैं कि आये इस आदेश ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। मालिकों के पालतू, जो हर यूनिट में 4 या 5 होते हैं और पूरे ग्रुप में 1 या 2, ने कुछ साल पहले मालिकानों को जो आइडिया दिया था ठेके पर वर्कर रखने का, वह भी अब किसी काम का साबित नहीं हुआ।आये फैसले ने सभी को पैसा लेने का हकदार बना दिया और इन पालतुओं की सारी कवायद धरी रह गयी।

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बौखलाए अखबार मालिकों ने सैकड़ों लोगों को नौकरी से बाहर निकाला

लोकमत प्रबंधन ने अपने 186 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया… मजीठिया वेज बोर्ड का भूत डराता रहेगा अखबार मालिकों को…  पिछले दिनों मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई का जब फैसला आया, तब सारे अख़बार मालिकानों ने अपने दफ्तरों में यही खबर फैलाया कि जिन लोगों ने कोर्ट में अवमानना का केस डाला था, वे हार गए। हम यानी अखबार मालिकान जीत गए। फैसला 19 जून को आया था। अब कुछ समय बीत गया है और ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा है, मालिकानों की ख़ुशी गम में बदल रही है। उनके सामने अब बड़ी मुसीबत यह है कि कैसे लड़ाकू वर्करों के अगले कदम का मुकाबला किया जाये और कैसे अंदर बैठे यानी काम करने वाले वर्कर की देनदारी का रास्ता खत्म किया जाये।

मजीठिया पर नए कोर्ट आर्डर के बाद लोकमत प्रबंधन ने 2400 मीडियाकर्मियों का कांट्रेक्ट रिनुअल लटकाया

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे बड़ा झटका लोकमत अखबार को लगा है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोकमत समूह में ठेका कर्मचारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 19 जून 2017 के आदेश में साफ कर दिया है कि ठेका कर्मचारियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मिलेगा। अब लोकमत प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सबसे ज्यादा सांसत में फंस गया है।

भास्कर समूह की कंपनी डीबी कार्प के खिलाफ कट गई आरसी, मजीठिया क्रांतिकारियों का बकाया देने के लिए संपत्ति होगी नीलाम

मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में कटी पहली आरसी… दैनिक भास्कर और दिव्य भास्कर समेत कई अखबारों को संचालित करने वाली भास्कर समूह की कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड के माहिम और बीकेसी कार्यालय को नीलाम कर कर्मचारियों को बकाया पैसा देने का आदेश…

मजीठिया पर ताजा फैसले के बाद मीडियाकर्मियों और लेबर कोर्ट की सक्रियता देख मालिकों की नींद हराम

यूपी के एक एडिशनल लेबर कमिश्नर ने जो बात कही, वह सच होता दिख रहा है। उनका कहना था कि मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर आये ताजा फैसले से मालिकानों की नींद हराम हो गई होगी। जाहिर सी बात है कि अब वे और उनके गुर्गे इस काम में लग गए हैं कि कैसे इन मजीठिया क्रांतिकारियों से पीछा छुड़ाया जाए। केस में आये पुराने वर्कर से तो वे परेशान हैं ही, अब नए लोगों यानि अंदर काम करने वाले वर्कर भी केस में आने की तैयारी कर चुके हैं। तय है कि जल्द ही नए केस लगने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।

(आखिरी पार्ट 5) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें

26. अधिनियम के प्रावधानों में या वेजबोर्ड अवार्ड की शर्तों में ऐसा कुछ नहीं है, जो हमें अवार्ड के लाभ देने के लिए अनुबंध या ठेका कर्मचारियों को छोड़ कर, नियमित कर्मचारियों तक सीमित करेगा। इस संबंध में हमने अधिनियम की धारा  2(सी), 2(एफ) और 2(डीडी) में परिभाषित समाचारपत्र कर्मचारी, श्रमजीवी पत्रकार और गैरपत्रकार कर्मचारियों की परिभाषा पर ध्यान दिया है। जहां तक वेरिएबल-पे का संबंध है, इस पर पहले ही उपरोक्त पैरा 7 में ध्यान दिया गया है और सारगर्भित किया गया है, जब यह न्यायालय वेरिएवल-पे की अवधारणा पर चर्चा की, तो विचार किया कि इस राहत का मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड में उचित और न्यायसंगत निरुपण किया गया है। इसलिए वेरिएबल-पे के संबंध में कोई अन्य विचार लेकर इस लाभ को दबाने/रोकने का कोई प्रश्र नहीं उठता है। वास्तव में अवार्ड के प्रासंगिक भाग का एक पठन यह दर्शाता है कि वेरिएबल-पे की अवधारणा, जो अवार्ड में लागू की गई थी, छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में निहित ग्रेड-पे से ली गई है और इसका उद्देश्य अधिनियम के दायरे में आने वाले श्रमजीवी पत्रकार और गैरपत्रकार कर्मचारियों को याथासंभव केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समतुल्य लाना है। जहां तक कि भारी नकदी हानि की बात है, हमारा मानना है कि बिलकुल वही भाव स्वयं इंगित करता है कि वह वित्तीय कठिनाइयों से अलग है और इस तरह की हानि प्रकृति में पंगु होने की सीमा से अलग, अवार्ड में निर्धारित समय की अवधि के अनुरुप होने चाहिए। यह तथ्यात्मक सवाल है जिसे केस टू केस या मामला दर मामला निर्धारित किया जाना चाहिए।

मजीठिया को लेकर ‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ की उठी मांग

काशी पत्रकार संघ में हुई बैठक, पूर्वांचल सम्मेलन में तय होगी आंदोलन की रूप रेखा, सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष का निर्णय

वाराणसी : काशी पत्रकार संघ और समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन की संयुक्त बैठक रविवार 25 जून को पराड़कर स्मृति भवन में हुयी। इसमें मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में हुए फैसले पर विस्तार से चर्चा हुयी। साथ ही यह निर्णय हुआ कि मजीठिया मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कराने के लिए पुरजोर आंदोलन किया जायेगा। इसके लिए शासन-प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा जायेगा। ताकि फास्ट ट्रैक कोर्ट बनने से पत्रकारों को शीघ्र ही न्याय प्राप्त हो सके।

(पार्ट 4) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें

22. प्रत्युत्तर में दायर किए गए विभिन्न शपथपत्रों में समाचारपत्र प्रतिष्ठानों द्वारा अपनाए गए स्टैंड/कदम से, समय-समय पर विभिन्न राज्यों के श्रम आयुक्तों द्वारा दायर की गई रिपोर्टों में किए गए बयानों से, और साथ ही दायर की गई लिखित दलीलों से और आगे दखी गई मौखिक प्रस्तुतियों से यह स्पष्ट होता है कि संबंधित समाचारपत्र प्रतिष्ठानों ने मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड हिस्से में या नहीं कार्यान्वित किया है, इसके तहत क्या इन समाचारपत्र संस्थानों ने केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत और अधिसूचित मजीठिया वेजबोर्ड, जिसे दी गई चुनौती को इस न्यायालय द्वारा रिट पेटिशन नंबर 246 आफ 2011 में दिनांक 07.02.2014 के फैसले/जजमेेंट में निरस्त कर दिया गया है, की गुंजाईश और दायरे को माना है। दृढ़मत है कि अवार्ड के गैर-कार्यान्वयन या आंशिक कार्यान्वयन को लेकर जो आरोप है, जैसा कि हो सकता है, स्पष्ट रूप से विशेष तौर पर संबंधित समाचारपत्र संस्थानों की अवार्ड की समझ से उपजा है, यह हमारा विचारणीय नजरिया है कि संबंधित प्रतिष्ठानों को रिट पेटिशन नंबर 246 आफ 2011 में दिनांक 07.02.2014 को दिए गए फैसले/जजमेेंट की जानबूझकर अव्हेलना का जिम्मेवार नहीं ठहरया जा सकता है। अच्छा रहेगा, कथित चूक को बदल कर इस न्यायालय द्वारा बरकरार रखे गए अवार्ड की गलत समझ के तौर पर जगह दी जाए। इसे जानबूझकर की गई चूक नहीं माना जाएगा, ताकि न्यायालय की अवमानना अधिनियम,1971 की धारा 2बी में परिभाषित सिविल अवमानना के उत्तरदायित्व को अकर्षित किया जा सके। यद्यपि कथित चूक हमारे लिए स्पष्टत: साक्ष्य है,किसी भी समाचारपत्र प्रतिष्ठान को जानबूझकर या इरादतन ऐसा करने के विचार की गैरमौजूदगी में अवमानना का उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। दूसरी ओर वे अवार्ड को इसकी उचित भावना और प्रभाव में, इस रोशनी के साथ कि हम अब क्या राय/समझौता प्रस्तावित करते हैं, लागू करने का एक और अवसर पाने के हकदार हैं।

अगर तीन महीने तक मजीठिया का लाभ नहीं दिया तो सुप्रीम कोर्ट फिर जाने का रास्ता खुला है

7-2-2014 को मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया था, उसका कई हिस्सा इस बार भी दुहाराया गया है। ताजे आदेश में स्पष्ट लिखा है कि एक साल के अंदर 4 किश्तों में वर्कर के बकाया राशि का भुगतान मालिकान करें. यानि इस आर्डर के मुताबिक तीन माह बाद अगर वर्कर …

(पार्ट थ्री) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें

16. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीकार करने और अधिसूचना जारी किए जाने के बाद श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड के तहत अपना वेतन/मजदूरी प्राप्त करने के हकदार हैं। यह, अवमानना याचिकाकर्ताओं के अनुसार, अधिनियम की धारा 16 के साथ धारा 13 के प्रावधानों से होता है, इन प्रावधानों के तहत वेजबोर्ड की सिफारिशें, अधिनियम की धारा 12 के तहत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित होने पर, सभी मौजूदा अनंबधों के साथ श्रमजीवी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों की सेवा की शर्तों को नियंत्रित करने वाले विशिष्ट अनुबंध/ठेका व्यवस्था को अधिलंघित  (Supersedes) करती है या इसकी जगह लेती है।

जागरण प्रबंधन को करारा तमाचा, दो पत्रकारों ने लेबर डिपार्टमेंट से अपना तबादला रुकवा लिया

मजीठिया वेज बोर्ड के लाभ मांगने पर दैनिक जागरण आगरा के प्रबंधन ने दो पत्रकारों का दूरदराज के इलाकों में तबादला करने का फरमान जारी कर दिया. इसके बाद दोनों पत्रकारों लेबर डिपार्टमेंट गए और अब लेबर डिपार्टमेंट ने इनका तबादला रोक दिया है. इन दो पत्रकारों के नाम हैं सुनयन शर्मा और रूपेश कुमार सिंह. दैनिक जागरण आगरा में सुनयन चीफ सब एडिटर हैं तो रूपेश डिप्टी चीफ सब एडिटर.

मीडिया मालिकों के इस मुखबिर को भड़ास वालों ने दिया करारा जवाब

मजीठिया क्रांतिकारियों… सावधान… मीडिया मालिकों के मुखबिर नए नए रूप में टहलने लगे हैं… ऐसे ही एक मुखबिर ने भड़ास4मीडिया को झांस में लेने के लिए फर्जी आईडी से मीडिया हेल्पर बनने का दावा करते हुए इस उम्मीद से मेल भेजा कि भड़ास पर अच्छे खासे तरीके से छप जाएगा लेकिन भड़ास वालों ने इस मुखबिर की नीयत जान ली और इसे दिया करारा जवाब…

आप बाल-बाल बच गए हैं सर और इस वजह से हम प्यादे भी आपकी लात खाने से बाल-बाल बचे!

19 जून को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो मजीठिया वेज बोर्ड का फैसला सुनाया था, उसमें मालिकान तो बाल-बाल बचे ही, मालिकानों के खास प्यादे भी बाल बाल बचे और ईश्वर को धन्यवाद किया. 19 को माननीय सुप्रीम कोर्ट की मीडिया पार्क में देश के तमाम मीडिया कर्मी आये हुए थे। सभी अपने अपने तर्कों से लैस थे। हर कोई अपनी बात को सच साबित करने में जुटा था। अभी दोपहर के बाद का 3 बजकर 20 मिनट हुआ था, देखा की कोर्ट के में गेट से सबसे पहले दैनिक जागरण के एक वकील और 2 प्यादे ऐसे बाहर निकले जैसे उनकी जान कोर्ट ने बख्श दी हो। तीनों के चेहरे पर बाल बाल बचने का भाव स्पष्ट दिख रहा था। वे सब यही सोचते आगे भाग रहे थे, क़ि यह खबर जल्दी से संजय गुप्ता को दें कि आप बाल बाल बच गए हैं सर और आपके बाल बाल बचने के साथ ही हम सब आपके प्यादे भी आपकी लात खाने से बाल बाल बचे।

(पार्ट टू) मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें

11. इस चरण में मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड के खंड 20जे, जो मौजूदा कार्यवाही में विवाद के मुख्य क्षेत्रों में से एक है, पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा सकता है।

“20जे संशोधित वेतनमानसभी कर्मचारियों पर 1 जुलाई 2010 से लागू होगा। हालांकि यदि कोई कर्मचारी इन अनुशंसाओं के प्रवर्तन के लिए अधिनियम की धारा 12 के तहत सरकारी अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से तीन हफ्तों के भीतर अपने मौजूदा वेतनमान और वर्तमान परिलब्धियों/प्रतिभूतियों को बनाए रखने का विकल्प चुनता है, तो वह अपने मौजूदा वेतनमान तथा ऐसी परिलब्धियों को बनाए रखने का पात्र होगा।”

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हिंदी अनुवाद पढ़ें (पार्ट वन)

अखबार प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान न दिए जाने और माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई 83 अवमानना याचिकाओं और तीन रिट पेटिशनों का निपटारा करते हुए 19 जून, 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसे कुछ कर्मचारी साथी मालिकों के पक्ष में बताकर निराशा का माहौल पैदा करने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस निर्णय में मालिकों के पक्ष में सिर्फ एक ही बात गई है, वो यह है कि कोर्ट ने इनके खिलाफ अवमानना को स्वीकार नहीं किया है और जिन अखबार मालिकों ने मजीठिया वेजबोर्ड अधूरा लागू किया है और जिनने नहीं लागू किया है उन्हें एक और मौका दिया गया है।

बुरे फंसे अखबार मालिक, सुप्रीम कोर्ट ने बचने के सभी दरवाजे बंद किए

अखबार मालिक एक साल में नहीं सुधरे तो मीडियाकर्मियों के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का मार्ग खुलेगा… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 19 जून 2017 को दिए गए फैसले को अगर गंभीरता से पढ़ें तो माननीय सुप्रीमकोर्ट ने अखबार मालिकों को बचाया नहीं है बल्कि उन खांचों को बंद कर दिया है जिनसे निकलकर वे बच निकलते थे। अब अखबार मालिकों ने एक साल के अंदर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया तो मीडियाकर्मी फिर उनके खिलाफ अवमानना का सुप्रीमकोर्ट में केस लगा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर बता दिया- इस देश में न्याय ले पाना अब मीडियाकर्मी के भी बूते की बात नहीं!

Ashwini Kumar Srivastava :  बहुत ही अफसोसनाक और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बजने जैसी खबर है यह। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह कानून के साथ खिलवाड़ करने और पत्रकारों के हक को मारने के मीडिया मालिकों / धन्ना सेठों के दुस्साहस को प्रश्रय दिया है, उससे अब मीडिया का रहा-सहा दम भी निकल …

एक साल पूरा होने पर हम तीनों को ‘नवां जमाना’ अखबार ने बिना नोटिस द‍िए राम-राम कह दिया!

Reetu Kalsi : सन 2008 की बात है एक दिन मैं और नवराही जी नवां जमाना अखबार के दफ्तर गए, पहले भी अक्सर जाना होता था पर उस दिन हम जस मंड जी से मिले। वे नए नए मैनेजिंग ट्रस्‍टी बने थे नवां जमाना समाचार पत्र के। मैं उस वक्त अमर उजाला में काम कर रही थी। जस मंड अखबार को नई उचाईयां दिलाना चाहते थे। तकरीबन पहले भी इस पर चर्चा करते थे कि कैसे अखबार को और अच्छा बनाया जाए। विज्ञापन कैसे मिल सकते हैं वगैरह वगैरह … तो उस दिन जस मंड जी ने बातो बातों में मुझे नवां जमाना जॉइन करने का ऑफर दे दिया।

न्याय की जहां से आस थी, वह मंदिर बाजार हो गया….!

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट से आए हालिया फैसले को लेकर बरेली के मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा एडवोकेट की कविता पेश-ए-खिदमत है…

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का साइड इफेक्ट : मज़ाकिया मूड में आ गए ‘झींगुर’!

धर्मेंद्र प्रताप सिंह मैं कुछ निजी कार्यों में उलझा हुआ हूँ. सो, अपनी इस व्यस्तता के कारण मजीठिया वेज बोर्ड पर आये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद मैंने कोई ‘धांसू’ प्रतिक्रिया क्या नहीं दी, कंपनी के कुछ चमचेनुमा ‘झींगुर’ मज़ाकिया मूड में आ गए लगते हैं! हालांकि इनमें से किसी का नंबर बढ़ने …

मीडियाकर्मियों के हित में है सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश!

”सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के संबंध में सोमवार, 19 जून 2017 को दिये गये फैसले का मैं स्वागत करता हूं। यह निर्णय पूरी तरह से कर्मचारियों के पक्ष में दिया गया फैसला है। इतना ही नहीं इस फैसले ठेके पर काम करने वाले पत्रकारों (कांट्रेक्टचुअल जर्नालिस्ट) को भी फायदा होगा।” यह कहना है समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अजय मुखर्जी का।

एडवोकेट अजय मुखर्जी

न्याय मांगने वालों को याचिकाएं वापस ले लेनी चाहिए क्योंकि अदालतें मनी मैन लोगों के लिए हैं!

वाह सुप्रीम कोर्ट के जज ने अपने आप जान लिया है वे ना समझदार हैं… देश की न्यायपालिका पर नहीं ऐसे गरीब लोगों पर तरस आती है जो इस पर विश्वास करते हैं और यहां न्याय मांगने की भूल कर बैठते है। दरअसल कोर्ट बड़े लोगों के लिए है आम लोगों का गुस्सा सरकार पर या पूंजीपतियों के खिलाफ ना भड़के इसके लिए अंग्रेजों ने कोर्ट बनाया। मजीठिया वेज वोर्ड के फैसले को देखकर भ्ज्ञी ऐसा ही लगता है।

यही फैसला सुनाना था तो इतना ड्रामा क्यों किया जज साहब!

खोदा पहाड़ निकली चुहिया वो भी मरी हुई… कुछ ऐसा ही हाल पत्रकारों के लिए गठित वेजबोर्ड मजीठिया का है। इसके पहले गठित सभी आयोग की सिफारिशें औंधे मुंह गिरी हैं। लगभग सभी में अखबार के मालिकानों ने अपनी माली हालत खस्ता होने का रोना रोकर आयोग की सिफारिशों को रद्दी की टोकरी में डलवाया है। हां यह अलग बात थी कि इस आयोग की सिफारिशों को लागू कराने के लिए अखबारकर्मियों ने आर पार की लड़ाई लड़ी है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश एचटी प्रबंधन ने सेलरी बढ़ाने का लालीपॉप दिया

मित्रों, मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अड़ियल मीडिया प्रबंधनों में हड़कम्प मच गया है। फैसले के इंतजार में ही इस बार हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका व अमर उजाला सहित कई बड़े अखबारों के कर्मचारियों को न तो इंक्रीमेंट मिला और न ही एप्रेजल भरवाये गये। यदि कुछ जगह एप्रेजल भरवाये गये तो उनपर कार्यवाही नहीं हुई और कर्मचारियों के वेतन में कुछ बढ़ोतरी हुई तो सिर्फ उनकी वेतन विसंगतियों का अंतर तनिक कम करने के लिए।

सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया को लेकर मीडियाकर्मियों की लड़ाई को लेबर कोर्टों के हवाले किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिया साफ संदेश- ”मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लेबर कोर्ट में लड़िए”. मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं करने पर दायर अवमानना याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला सुनाया है उसका स्पष्ट मतलब यही है कि आगे से इस मामले में कोई भी सुप्रीम कोर्ट न आए और जिसे अपना हक चाहिए वह लेबर कोर्ट जाए. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रंजन गोगोई व जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ से मीडियाकर्मियों ने जो उम्मीद लगाई थी, वह दोपहर तीन बजे के बाद मुंह के बल धड़ाम से गिरी. दोनों जजों ने फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि वेजबोर्ड से जुड़े मामले संबंधित लेबर कोर्टों में सुने जाएंगे. वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर समेत वेतन भत्ते संबंधित मामले लेबर कोर्ट या अन्य कोर्ट में ही तय किए जाएं. संबंधित कोर्ट इन पर जल्दी से जल्दी फैसला लें.