टीवी 9 मराठी के पुणे के पत्रकार पांडुरंग रायकर की वक्त पर एंबुलेंस न मिलने से मौत हो गई। चैनल ने दिन भर सरकार और प्रशासन के नाम का विलाप किया। जम कर सरकार को कोसा। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब टीवी 9 के पुणे के पत्रकार को कोरोना हुआ था तो चैनल प्रबंधन ने उसके लिए क्या किया?
ये कोई दूरदराज के इलाके का स्ट्रिंगर तो था नहीं। ये पांडुरंग तो वो था जो असाईनमेंट के एक इशारे पर पुणे से लेकर महाराष्ट्र के किसी भी जिले में जाकर रिपोर्टिंग कर लेता था। फिर उसकी खबर क्यों नहीं ली गई।
सच तो ये भी है कि जो पिछले छह महीने से ऑफिस ही नहीं आए, उन डेस्क के लोगों ने रिपोर्टरों को फील्ड पर दौड़ाया। इन सीनीअर्स की वजह से टीवी 9 के लगभग सभी रिपोर्टर्स कोरोना की चपेट में आ गए।
अब कहा ये जा रहा है कि वक्त रहते पांडुरंग को एंबुलेंस नहीं मिला जिसकी वजह से उसे कोविड सेंटर तक नहीं पहुंचाया जा सका। लेकिन, एक असलियत ये भी है कि टीवी9 प्रबंधन ने अपने मीडियाकर्मियों के लिए कुछ एंबुलेंस का प्रबंध कर रखा था ताकि जरूरत पड़ने पर मुहैया कराई जा सके, जिसका बाकायदा एक मेल सभी मीडियाकर्मियों को भेजा जा चुका था। तो जब ये पता चला कि पांडुरंग को एंबुलेंस की जरूरत आन पड़ी है तो उसकी बहन का फोन टीवी 9 मराठी में बैठे किसी शख्स ने भी क्यों नहीं उठाया।
जब पुणे पहुंचने पर भी उसे किसी अस्पताल में दाखिल करवाने में दिक्कतें हो रही थी, तब भी वहां के दूसरे चैनल के रिपोर्टर्स ने अपना रसूख इस्तेमाल कर पांडुरंग को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती करवाया, लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान टीवी 9 मराठी का असाईनमेंट बस मुंह ताकता रहा। इतना ही नहीं, पांडुरंग की असमय मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए कैलाश श्मशान भूमी में चार घंटे इंतजार करना पड़ा, उसके बाद उसे किसी और श्मशानभूमी में ले जाने की तैयारीयां शुरू हो गई। लेकिन मौत के बाद भी टीवी 9 का प्रबंधन उसके काम नहीं आया बल्कि काम आए उसके साथ काम करने वाले उसके साथी। उन्होंने उसका अंतिम संस्कार कैलास शमशानभूमी में करवाया।
अब सबसे गलीज बात, शायद गलीज शब्द भी इसके लिए कम पड़ जाए। पांडुरंग की मौत के बाद जहां चैनल रुदाली रोना रो रहा था तब उसी वक्त असाईनमेंट के आकाओं में ये चर्चा चल रही थी कि अब पुणे में पांडुरंग की जगह किसे लिया जाए? हालांकि, पुणे में टीवी9 के 2 रिपोर्टर अब भी कार्यरत हैं। लेकिन, पांडुरंग की चिता की आग ठंडी होने पहले पुणे में पांडुरंग की जगह किसी और को तुरंत ज्वॉईन करवाने के लिए लामबंदी शुरू हो गई, अब इसकी वजह जानेंगे तो मीडिया से पूरा विश्वास उठ जाएगा।
पांडुरंग की जगह किसी ऐसे बंदे को रिपोर्टर बनाने की कोशिशें शुरू हो गईं, जो असाईनमेंट में बैठे लोगों के लिए लाइजनिंग का काम कर सके! जी हां असाईनमेंट में बैठे लोगों के लिए लाइजनिंग! पांडुरंग के रहते ये हो नहीं सका, लिहाजा, बाकी मेट्रो सिटीज् की तर्ज पर पुणे जैसे मेट्रो सिटी में असाईनमेंट के आकाओं को कोई लाइजनिंग करनेवाला चाहिए।
सबसे अहम सवाल, कोरोना की वजह से मुंबई और मराठी चैनल में दो मौतें हुई और दोनों मौतें सिर्फ टीवी9 के कर्मियों की ही हुई। बाकी चैनलों पर भी कोरोना का कहर बरपा है, लेकिन, जान पर बन आयी सिर्फ टीवी 9 में काम करनेवालों की।
यहां पिछले छह-सात महिनों से चैनल हेड और उनकी फेवरिट एंकर घर से ही काम कर रही हैं, सीनीअर सब घर पर हैं और बाकी सभी जूनिअर्स को ऑफिस बुलाया जा रहा है। जो ऑफिस आने में मना कर रहे हैं उन जूनिअर्स को सीधे काम से निकाला जा रहा है और एचआर के लोग सोशल मीडिया पर असिस्टंट प्रोड्यूसर के लिए एड दे रहे हैं।
ये है अंदरखाने की सच्चाई!
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.