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कुमाऊं में लांचिंग से पहले ही हिन्दुस्तान को झटके, तीन पत्रकारों ने दिया इस्तीफा

देहरादून। उत्तराखंड के कुमाऊं से धमाकेदार लांचिंग की तैयारियों के बीच दैनिक हिन्दुस्तान प्रबंधन को लगातार झटके सहने पड़ रहे हैं। स्थानीय अमर उजाला और दैनिक जागरण से रिपोर्टरों को तोड़ने में असफल रहे हिन्दुस्तान का साथ पुराने लोगों ने छोड़ना शुरू कर दिया है। हल्द्वानी में अखबार की स्थापना से ही जुड़े और सात साल काम कर चुके फोटो जर्नलिस्ट विनोद कुमार ने अखबार को बाय-बाय कहकर उत्तरांचल दीप का दामन थाम लिया है। काशीपुर के इंचार्ज कुंदन बिष्ट ने भी अमर उजाला ज्वाइन कर लिया है।

<p>देहरादून। उत्तराखंड के कुमाऊं से धमाकेदार लांचिंग की तैयारियों के बीच दैनिक हिन्दुस्तान प्रबंधन को लगातार झटके सहने पड़ रहे हैं। स्थानीय अमर उजाला और दैनिक जागरण से रिपोर्टरों को तोड़ने में असफल रहे हिन्दुस्तान का साथ पुराने लोगों ने छोड़ना शुरू कर दिया है। हल्द्वानी में अखबार की स्थापना से ही जुड़े और सात साल काम कर चुके फोटो जर्नलिस्ट विनोद कुमार ने अखबार को बाय-बाय कहकर उत्तरांचल दीप का दामन थाम लिया है। काशीपुर के इंचार्ज कुंदन बिष्ट ने भी अमर उजाला ज्वाइन कर लिया है।</p>

देहरादून। उत्तराखंड के कुमाऊं से धमाकेदार लांचिंग की तैयारियों के बीच दैनिक हिन्दुस्तान प्रबंधन को लगातार झटके सहने पड़ रहे हैं। स्थानीय अमर उजाला और दैनिक जागरण से रिपोर्टरों को तोड़ने में असफल रहे हिन्दुस्तान का साथ पुराने लोगों ने छोड़ना शुरू कर दिया है। हल्द्वानी में अखबार की स्थापना से ही जुड़े और सात साल काम कर चुके फोटो जर्नलिस्ट विनोद कुमार ने अखबार को बाय-बाय कहकर उत्तरांचल दीप का दामन थाम लिया है। काशीपुर के इंचार्ज कुंदन बिष्ट ने भी अमर उजाला ज्वाइन कर लिया है।

करीब छह सालों से अखबार से जुडे़ रहे और अल्मोड़ा जिले के इंचार्ज चंदन बंगारी ने भी अखबार छोड़कर अमर उजाला रूद्रपुर में ज्वाइन कर लिया है। उन्हें अखबार ने जूनियर सब एडिटर बनाया है। डेस्क में काम कर रहा एक रिपोर्टर अखबार छोड़कर जागरण में चला गया था। लेकिन चार दिन काम करने के बाद वह इसलिए वापस आ गया कि वहां काम का बोझ बहुत था। संपादक की टीम में होने के कारण उसे बिना लागलपेट वापस रख भी लिया गया। इससे पहले रूद्रपुर में कार्यरत पूरन कापड़ी भी हिन्दुस्तान छोड़कर लखनऊ जा चुके हैं। उपेक्षा से आहत कईं और रिपोर्टर दूसरे अखबारों में जाने की जुगत लगा रहे हैं। हिन्दुतान प्रबंधन दूसरे अखबारों के बेहतर रिपोर्टरों को तोड़ने में तो नाकाम रहा, वहीं अपने पुराने रिपोर्टरों को भी लांचिंग तक साथ रखने में असफल साबित हो रहा है।

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बता दें कि हिन्दुतान की सात साल पहले कुमाऊं से लांचिंग हुई थी। अभी तक पूरे मंडल का एक ही अखबार छपता है। लेकिन अब प्रबंधन अमर उजाला और जागरण की तरह जिलों के अलग-अलग एडिशन निकालने जा रहा है। इसके लिए हल्दूचैड़ में यूनिट बनाई जा रही है। लेकिन संपादक की कार्यप्रणाली से हिन्दुस्तान में लंबे समय से काम कर रहे लोगों में बेहद गुस्सा है। यही कारण है कि धीरे-धीरे पुराने रिपोर्टर अखबार से किनारा कर रहे हैं। संपादक गिरीश गुरूरानी ने हिमाचल प्रदेश, कानपुर और देहरादून से लोगों को लाकर हल्द्वानी में बैठा दिया है। पुराने लोगों को दरकिनार कर नए लोगों पर लांचिंग का दारोमदार डाला गया है।

स्थानीय अमर उजाला का तो हिन्दुस्तान काफी कोशिशों के बाद भी कोई रिपोर्टर नहीं तोड़ पाया मगर अमर उजाला ने पलटवार करते हुए दो तेज तर्रार रिपोर्टरों कुंदन बिष्ट और चंदन बंगारी को अपने पाले में करते हुए पोस्टिंग भी दे दी। आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल के लिए नए स्टाफर बने तरेंद्र बिष्ट को अल्मोड़ा इंचार्ज बना दिया गया। बताया जा रहा है कि संपादक के खास व हाल में स्टाफर बने प्रमोद डालाकोटी को काशीपुर इंचार्ज बनाया जाएगा। चर्चा है कि हिन्दुस्तान के सात से आठ रिपोर्टरों के बायोडाटा अमर उजाला के पास आ चुके हैं। कुछ रिपोर्टर जागरण में जाने की भी जुगत भिड़ा रहे हैं। ये सब वो रिपोर्टर हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर अखबार को इस ऊंचाई तक पहुंचाया। लांचिंग का इंतजार लंबे समय से कर रहे रिपोर्टरों को संपादक ने अंतिम समय में अंगूठा दिखा दिया। देखना है कि पुराने लोगों की उपेक्षा कर नए लोगों के दम पर अखबार की कितनी सफल लांचिंग हो पाती है।

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. giresh

    September 22, 2015 at 9:26 am

    इन दिनों हिन्दुस्तान के दफ्तर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, क्योंकि यहां हर समय एक अजीब अनावश्यक तनावभारा माहौल यहां के मुखिया संपादक गैरजरूरी तरीके से बनाए हुए हैं

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