श्याम मीरा सिंह-
यूक्रेन में फँसे नवीन की मौत पर मोदी समर्थकों द्वारा कहा जा रहा है कि ‘और करो एंबेसी की गाइडलाइंस को इग्नोर’। सच ये है कि बाक़ी देशों ने 11 फ़रवरी को गाइडलाइंस जारी करके मदद शुरू कर दी थी, जबकि भारत ने 15 फ़रवरी को जारी की. युद्ध से पहले एयर इंडिया का सिर्फ़ एक जहाज़ पहुँचा था.
उस एक जहाज़ में 250 से कम छात्र भारत आ सके। जबकि यूक्रेन में क़रीब 20 हज़ार भारतीय फँसे हुए थे। एंबेसी की गाइडलाइन्स से बहुत पहले ही, 25 जनवरी से ही छात्र कह रहे थे यूक्रेन में एयर इंडिया को भेजो, विदेशी एयरलाइंस 1 लाख तक किराया ले रहीं थीं. लेकिन एयर इंडिया तो बिक चुकी है।
एयर इंडिया का सिर्फ़ एक जहाज़ भेजा गया। उसका किराया भी 60 हज़ार( नोर्मल किराया- 25 हज़ार)। वो भी सिर्फ़ एक घंटे में पूरी हो गई। जिन पर पैसे थे वो एक-एक लाख देकर कुवैत और दुबई के जहाज़ों से निकल आए। बाक़ी इंतज़ार में रहे कि एयर इंडिया आएगी। ना प्राइवेट एयर इंडिया आई, ना सरकार की तरफ़ से किराए में कोई मदद की है। किराया छोड़िए एंबेसी के अधिकारियों ने फ़ोन तक नहीं उठाए बच्चों के।
युद्ध की सम्भावनाओं पर वाइट हाउस ने 11 फ़रवरी को ही कह दिया था कि रूस यूक्रेन पर हमला करेगा। सारी ख़ुफ़िया एजेंसी इस बात की पुष्टि करतीं रहीं। अमेरिका ने 11 फ़रवरी को ही अपने लोगों से कह दिया 48 घंटे के अंदर निकल आएं। लेकिन हमारे जहाज़ तब पहुँचते जब होते, वे तो बिक चुके हैं।
लेकिन मोदी समर्थक यही कहेंगे कि सरकार ने तो पहले ही चेतावनी दे दी थी। इनसे पूछो मदद भी दी थी क्या?
प्रमोद पाहवा- दुनिया में सबसे वजनी जनाजा बाप के कंधे पर बेटे की मैय्यत होती हैं। लेकिन इसे केवल वो ही समझ सकता हैं जो घर परिवार वाला सामाजिक इंसान हो। लिख कर रख ले, खारखिव सुपर मार्केट के बाहर गोली लगने से शहीद इस 4th year भारतीय विद्यार्थी का ताबूत ये धूम धाम से मंगवायेंगे। उसके शव को भी अपनी चुनावी मुहिम और मीडिया इवेंट का हिस्सा बनाएंगे।। यदि इलेक्शन ना होते तो कह सकता था कि वो कौनसा उसके लिए मरा है