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सुख-दुख

यूनीफॉर्म सिविल कोड से मुसलमान खुश, प्रोपगेंडिस्ट दुखी!

मोहम्मद अनस-

उत्तराखंड ने यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर जो मसौदा तैयार किया है, वह इस्लामिक स्कूल ऑफ थॉट से पूरी तरह मेल खाता है, सिवाया इद्दत के। इद्दत क्या है? इद्दत का मतलब जब किसी मुस्लिम पुरूष की मौत हो जाए या पुरूष मुस्लिम महिला को तलाक दे तो उसकी बीवी 3 महीने तक किसी दूसरे मर्द के साथ शादी नहीं कर सकती।

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इस नियम की वजह? यदि महिला ने पति के मौत/तलाक के तुरंत बाद शादी कर ली, और महिला एवं पुरूष(पूर्व पति) के मध्य शारीरिक सम्बंध स्थापित होते हुए संतान ठहर गया तो वह बच्चा किसका होगा? पूर्व पति का, जिसकी मृत्यु/तलाक हुआ या उसका जिससे उसकी शादी हुई एकाध दिनों में। इस संदेह को दूर करने हेतु इद्दत की प्रक्रिया इस्लाम में अपनाई जाती है।

यूसीसी पर उत्तराखंड के सुझावों पर ग़ौर कीजिए-

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1- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगनी चाहिए। (धर्म के आधार पर देखा जाए तो ईसाइयों में बहुविवाह की संख्या अधिक है. इसके बाद मुसलमान, बौद्ध और हिंदू में बहुविवाह की संख्या देखी गई है. ईसाइयों में 2.1%, मुसलमानों में 1.9%, बौद्ध में 1.5% और हिंदुओं में 1.3% बहुविवाह के मामले सामने आए हैं। मुसलमानों की आबादी है 30 करोड़, बहु विवाह का प्रतिशत है 1.9% , हिंदुओं कि आबादी है 90 करोड़, बहु विवाह का प्रतिशत है 1.3% , इस हिसाब से हिंदुओं में बहुविवाह(एक से अधिक पत्नी) अधिक हुआ। ) तत्काल रोक लगे बहुविवाह पर ऐसा मेरा सुझाव है लॉ कमिशन को।

2—-लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। (बहुत अच्छी बात है)

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3—- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता पिता को सूचना जाएगी। (शुद्ध इस्लामिक तरीका, ज़िना(बलात्कार) हराम है इस्लाम में, निकाह कीजिए, फिर आगे बढ़िए) एक नंबर का का फैसला, यदि लागू हुआ तो।

4—- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। (1400 साल पहले इस्लाम ने लड़कियों को पिता की जायदाद में हिस्सा दे दिया, अब यूनीफॉर्म सिविल कोड के जरिए यह इस्लामिक कानून, हिंदुओं-सिक्खों-जैनियों-इसाईयों पर भी लागू हो जाएगा) माशाल्लाह। अल्लाह जिससे काम ले ले। आज भाजपा/संघ/गोदी मीडिया से अल्लाह पाक ने अपना कानून लागू करवा दिया।

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5—- एडॉप्शन सभी के लिए allow होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। (इसमें कुछ नया नहीं है, पहले भी होता आया है)

6–हलाला और इद्दत पर रोक होगी। (इस पर थोड़ी आपत्ति है, हलाला तो वैसे भी प्रोपगेंडा है, अच्छा है इसपे कानूनी रोक लगे)

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7– शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा। (पढ़े लिखे समाज की निशानी, गुड स्टेप)

8–– पति-पत्नी दोनो को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी लिए भी लागू होगा। (इस्लाम औरतों को खुला का अधिकार देता है, यहां तक की तलाक की पूरी व्यवस्था ही इस्लामिक है, हिंदू धर्म में तो सात जन्मों का बंधन है शादी। धन्यवाद पुष्कर धामी जी, इस्लामिक तलाक सिस्टम को उत्तराखंड यूसीसी मसौदे में शामिल करने के लिए, तलाक का पूरा कॉन्सेप्ट एब्राहमिक रिलिजन से लिया गया है, हिंदूइज्म में तलाक नहीं था)

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9–नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा। (इस नियम की जितनी तारीफ हो वह कम है, धन्यवाद मोदी जी)

10– मेंटेनेंस– अगर पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की। (ग़ैरजिम्मेदार समाज को ज़िम्मेदारी की तरफ ले जाने वाला क्रांतिकारी कदम)

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11- गार्जियनशिप– बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा। (ओके, वेरी नाइस)

12- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है। (देखा जाएगा)

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13–जनसंख्या नियंत्रण की बात। (बहुत ज़रूरी है, ताकि सुदर्शन चैनल वाले सुरेश चव्हाणके टाइप के गुंडे, हिंदुओं को मुसलमानों की कथित बढ़ती जनसंख्या का डर दिखा कर बरगला न सके)

जय यूनीफॉर्म सिविल कोड। जय जय मोदी। जय हो पुष्करधामी की। जय हो लॉ कमिशन ऑफ इंडिया की। इस्लाम धर्म की न्यायप्रियता, बराबरी का सिद्धांत ज़िंदाबाद। गज़वा ए हिंद बनाने के लिए पुष्करधामी के इन सुझावों के साथ मैं खड़ा हूं।

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-मोहम्मद अनस

(स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता)

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