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सियासत

बिना जांच कार्रवाई पर अड़े पत्रकारों को यूपी सरकार का ठेंगा …

जाइये, नहीं करते राज्यमंत्री को बर्खास्त, नहीं भेजते जेल… अब जो करना है, मीडिया कर ले। कुछ ऐसे ही भाव थे प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा व सरकार में नम्बर दो के दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के। सोशल मीडिया पर खिलने वाले पत्रकार के मामले में एनडीटीवी वाले रवीश कुमार ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम खुला पत्र लिखा और कहा कि अगर राज्यमंत्री पर कार्रवाई करें तो संबंधित पत्र के साथ मेरा पत्र नत्थी कर दें। 

<p>जाइये, नहीं करते राज्यमंत्री को बर्खास्त, नहीं भेजते जेल... अब जो करना है, मीडिया कर ले। कुछ ऐसे ही भाव थे प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा व सरकार में नम्बर दो के दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के। सोशल मीडिया पर खिलने वाले पत्रकार के मामले में एनडीटीवी वाले रवीश कुमार ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम खुला पत्र लिखा और कहा कि अगर राज्यमंत्री पर कार्रवाई करें तो संबंधित पत्र के साथ मेरा पत्र नत्थी कर दें। </p>

जाइये, नहीं करते राज्यमंत्री को बर्खास्त, नहीं भेजते जेल… अब जो करना है, मीडिया कर ले। कुछ ऐसे ही भाव थे प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा व सरकार में नम्बर दो के दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के। सोशल मीडिया पर खिलने वाले पत्रकार के मामले में एनडीटीवी वाले रवीश कुमार ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम खुला पत्र लिखा और कहा कि अगर राज्यमंत्री पर कार्रवाई करें तो संबंधित पत्र के साथ मेरा पत्र नत्थी कर दें। 

प्रदेश सरकार के उक्त बयान के बाद रवीश कुमार की भी अपने बारे में गलतफहमी थोड़ी बहुत जरूर कम हो गयी है। पत्रकार बिना जांच राज्य मंत्री को कठोर से कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं और सरकार ने पत्रकारों को इस मामले में एक तरह से ठेंगा दिखा दिया है। सरकार में बैठे लोगों को लग रहा है कि मीडिया वैसे भी उनके खिलाफ है और कई पुराने मामलों में मीडिया ने खुलकर संदिग्ध भूमिका निभाई है। बड़ा सवाल यह है कि क्या अगर किसी पत्रकार पर गंभीर आरोप लगे और सरकार या फिर सरकारी मशीनरी इसमें बिना जांच के पत्रकार पर कार्रवाई करे तो कितने पत्रकार इसे बर्दाश्त करेंगे।

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मेरे हिसाब से अपने मामले में कोई भी व्यक्ति बिना जांच के किसी तरह की कार्रवाई की चाह नहीं रखेगा। अब अगर अखिलेश सरकार के खिलाफ मोरचा खोले पत्रकारों को इस सरकार पर तनिक भी भरोसा नहीं है और उन्हें जांच में खेल होने की संभावना है तो फिर सरकार भी पत्रकारों का हर भरोसा तार-तार करने को तनी बैठी है। अब जिसे जो समझ में आये समझे और जो करना है करे।

प्रकाश सिंह के एफबी वाल से

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