Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

नहीं रहे गिरीश दत्त सिंह उर्फ व्यथित हिन्दुस्तानी

फैजाबाद : ”मेरे साथ हुआ जो कल है, मेरी ही करनी का फल है, यकीं सिर्फ है मुझे आज पर, मैं क्या जानूं कोई कल है..।” अस्तित्व के इस कदर गहरे अनुरागी कवि व्यथित हिन्दुस्तानी नहीं रहे। शुक्रवार-शनिवार की मध्य रात्रि हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया। वे 53 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी, दो पुत्रियां एवं एक पुत्र छोड़ गए।

फैजाबाद : ”मेरे साथ हुआ जो कल है, मेरी ही करनी का फल है, यकीं सिर्फ है मुझे आज पर, मैं क्या जानूं कोई कल है..।” अस्तित्व के इस कदर गहरे अनुरागी कवि व्यथित हिन्दुस्तानी नहीं रहे। शुक्रवार-शनिवार की मध्य रात्रि हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया। वे 53 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी, दो पुत्रियां एवं एक पुत्र छोड़ गए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पुत्र लवकुश सिंह ने सरयू के दिलासीगंज घाट पर मुखाग्नि दी। इस मौके पर उन्हें अंतिम प्रणाम करने वालों में जंगबहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह, विकास सिंह, अशोक सिंह आदि सहित बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक-परिजन शामिल रहे।

ग्राम देवगढ़ निवासी व्यथित का वास्तविक नाम गिरीशदत्त सिंह था। अस्तित्व के सहज प्रवाह में पगी कविताएं करने वाले व्यथित ने प्रगतिशीलता के प्रतिनिधि रचनाकार के तौर पर छाप छोड़ी। होम्योपैथी चिकित्सक के साथ व्यथित अपनी सरलता-साफगोई के लिए भी जाने जाते रहे। उनके मित्र कवि अशोक टाटंबरी के अनुसार हमने संवेदनशील कवि, आत्मीय मित्र और उम्दा इंसान खो दिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुंवर समीर शाही
कार्यकारी सम्पादक
चक्रव्यूह इण्डिया न्यूज़

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement