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उत्तर प्रदेश

वाड्रा डीएलएफ डील की सूचना देने से पीएमओ द्वारा मना करने के खिलाफ याचिका

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में रोबर्ट वाड्रा-डीएलएफ डील के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में खोली गयी पत्रावली के सम्बन्ध में जानकारी दिए जाने हेतु रिट याचिका दायर किया है. मामले की सुनवाई परसों (06 अगस्त- बुधवार) को होगी. याचिका के अनुसार डॉ ठाकुर ने अक्टूबर 2012 में रोबर्ट वाड्रा- डीएलएफ डील के बारे में अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण द्वारा लगाए गए आरोपों के सम्बन्ध में जांच कराने के लिए आवेदन प्रेषित किया था. इसके बाद उन्होंने इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर किया था.

<p>सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में रोबर्ट वाड्रा-डीएलएफ डील के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में खोली गयी पत्रावली के सम्बन्ध में जानकारी दिए जाने हेतु रिट याचिका दायर किया है. मामले की सुनवाई परसों (06 अगस्त- बुधवार) को होगी. याचिका के अनुसार डॉ ठाकुर ने अक्टूबर 2012 में रोबर्ट वाड्रा- डीएलएफ डील के बारे में अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण द्वारा लगाए गए आरोपों के सम्बन्ध में जांच कराने के लिए आवेदन प्रेषित किया था. इसके बाद उन्होंने इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर किया था.</p>

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में रोबर्ट वाड्रा-डीएलएफ डील के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में खोली गयी पत्रावली के सम्बन्ध में जानकारी दिए जाने हेतु रिट याचिका दायर किया है. मामले की सुनवाई परसों (06 अगस्त- बुधवार) को होगी. याचिका के अनुसार डॉ ठाकुर ने अक्टूबर 2012 में रोबर्ट वाड्रा- डीएलएफ डील के बारे में अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत भूषण द्वारा लगाए गए आरोपों के सम्बन्ध में जांच कराने के लिए आवेदन प्रेषित किया था. इसके बाद उन्होंने इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर किया था.

कालांतर में उन्होंने इन दोनों मामलों में प्रधानमंत्री कार्यालय में खोली गयी पत्रावली के नोटशीट की प्रति देने हेतु आरटीआई प्रेषित किया था. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा विभिन्न कारणों से सूचना देने से मना करने पर डॉ ठाकुर ने इसके लिए केन्द्रीय सूचना आयोग में शिकायत की थी जिसे आयोग ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि यह वैयक्तिक सूचना है और गोपनीयता की शर्त पर दी गयी है. डॉ ठाकुर ने आयोग के आदेश को इस आधार पर गलत बताया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा विधि अधिकारियों से प्राप्त सूचना ना तो वैयक्तिक सूचना मानी जायेगी और ना ही गोपनीय.

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